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65 साल की उम्र में नंग-धड़ंग तस्वीर देखने की इच्छा नहीं होती : ग्राहकों को लूट रही हैं मोबाइल टाटा और रिलायंस मोबाइल कंपनियां :
देश की दो जानी मानी मोबाइल कम्पनियां इन दिनों अपने ग्राहकों को जमकर लूट
रहीं हैं, क्योंकि इन कंपनियों की लाखों कोशिशों के बाद भी बाजार पर इनकी
पकड़ ढीली होती जा रही है. हम इन कंपनियों के बारे में ऐसा क्यों लिख रहे
हैं, आइये कुछ उदाहरण दे देता हूँ. कुछ महीने पहले मैंने रिलायंस कम्पनी का
एक मोबाइल लिया, जिसका नंबर 9313444115 था. जो प्रीपेड था. दोस्तों इस
मोबाइल में मैं जब भी पचास या सौ रूपये का कूपन डालता तुरंत तीस चालीस
रूपये काट लिए जाते. इसकी शिकायत जब मैं कस्टमर केयर में करता तो वहां से
जबाब आता कि आपने अपने मोबाइल से आर वर्ल्ड खोला है और उस पर बिकनी गर्ल्स
को देखा है, तब उनसे मेरा जबाब होता कि भाई मेरे पास कई कंप्यूटर हैं,
जिनमें चौबीस घंटे इंटरनेट सेवा की सुविधा है, अगर मुझे बिकनी गर्ल्स या
नंग-धड़ंग तस्वीरों को ही देखना होता तो मैं उस पर देख लेता. मैं 1200 के
मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर ऐसा क्यों करूंगा.
इस बात पर उनका हठ होता कि आपने देखा है
या आपके बच्चों ने देखा होगा? मैं फिर उनसे कहता की भाई बच्चे तो अभी
बिलकुल छोटे हैं, वो ऐसा कर ही नहीं सकते और फिर मेरा मोबाइल मेरे पास ही
रहता है. ऐसा कहने पर कभी-कभी वो मेरा कटा हुआ पैसा वापस डाल देते, लेकिन
इस ठगी की बात मैं कई और लोगों से सुनकर सन्न रह गया. तब जाकर मुझे आभास
हुआ कि उक्त कम्पनी वाले जनता के साथ ठगी कर रहे हैं और मैंने रिलायंस से
पल्ला झाड़ लिया.
अब आते हैं टाटा मोबाइल पर जब मैंने
रिलायंस बंद किया तो उसके बाद टाटा का सेल लिया, जो अब तक मजबूरीबस प्रयोग
कर रहा हूँ. क्योंकि बार-बार नंबर बदलने पर अपना काफी नुकसान होना महसूस
करता हूँ. टाटा के मोबाइल में भी रिलायंस जैसे ठगी महसूस कर रहा हूँ,
क्योंकि टाटा वाले भी मेरे लिए महाठग साबित हो रहे हैं. अब टाटा का जो नंबर
मेरे पास है उसका नंबर 9289463240 है और अपनी गाढ़ी कमाई से जब कभी उसे
रिचार्ज करवाता हूँ तुरंत उसका बैलेंस काट लिया जाता है. इस बात की शिकायत
जब कस्टमर केयर पर करता हूँ तो उनका जबाब होता है कि आपने 5282 पर मैसेज
करते हैं इस कारण आपका बैलेंस काट लिया जाता है.
अब कैसे समझाऊं मैं उन जनाब या मोहतरमा को
जो मुझे ऐसा जबाब देते हैं, क्योंकि मेरे पास मैसेज करने का वक़्त ही नहीं
होता और उनकी 5282 के बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं है. इसी झमेले को मैं
और लोगों से भी सुनता हूं कि टाटा में पैसे डालो तुरंत काट लिए जाते हैं.
तब जाकर मुझे अहसास होता है कि ये कम्पनी भी देशवासियों का खून चूस रहीं
हैं, क्योंकि टाटा पर कुछ ऐसे मैसेज आते हैं जिन्हें आप पढ़ना भी चाहें तो
आपके पांच रूपये तुरंत फुर्र हो जाते हैं. कुल मिलाकर मैं कहना चाहूंगा कि
देश के ये बड़े घरानों की कम्पनियां लुटेरी हैं और इनके मालिक देशवासियों
के खून चूसकर दिन प्रतिदिन और अमीर होते जा रहे हैं और देश में गरीबों की
संख्या में बढ़ोत्तरी के जिम्मेदार कहीं ना कहीं ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी
तिजोरी भरने के लिए पता नहीं किस-किस तरीके से लोगों को लूट रहे हैं.
हमारे पड़ोस में रहने वाले क्राइम पोस्ट
अखबार के मुख्य सम्पादक सोम दत्त शर्मा भी इन कंपनियों की ठगी का शिकार
हैं. शर्मा जी का कहना है कि जब कभी रिचार्ज करवाता हूँ तो कभी गाने के नाम
पर तो कभी नंग-धड़ंग तस्वीर देखने के नाम पर बैलेंस काट लिए जा रहे हैं.
पैंसठ वर्षीय शर्मा जी का कहना है कि मैंने ना कभी कोई गाना लोड किया ना ही
नंग-धड़ंग तस्वीर देखने की इच्छा होती है, फिर भी ठगी का शिकार हो रहा हू.
लेखक पुष्पेन्द्र सिंह राजपूत फरीदाबाद में पत्रकार तथा न्यज वेबसाइट फरीदाबाद मेट्रो के संपादक हैं.
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