Monday, August 15, 2011

बढ रहा देह व्यापार

deh vyapar







अब सेक्स की मंडी में ग्राहकों की भीड़ केवल मौज मस्ती या शारीरिक सुख के लिए ही नहीं लगती। इस मंडी से खरीदा गया माल आफिस में तरक्की का मार्ग खोल देता है, चुनाव का टिकट दिला देता है, बड़े से बड़े टेंडर दिला देता है। यही कारण है कि अब सेक्स के बाजार में सिक्कों की चमक पहले से कहीं ज्यादा है और बड़ी तादाद में लड़कियां इस कारोबार की आ?र आकर्षित हो रही हैं।एक जमाना था जब रेड लाइट एरिया से पकड़ी जाने वाली औरतें अपनी मजबूरियां बताती थीं, लेकिन अब पकड़ी जाने वाली अधिकतर लड़कियों के सामने मजबूरी नहीं बल्कि फाइव स्टार होटलों का ग्लैमर, सिक्कों की चमक और बढ़ती महत्वाकांक्षा है। कभी रेडलाइट एरिया और गली मोहल्लों में सिमटा यह धंधा अब बड़ी कोठियों, फार्म हाउस और बड़े होटलों तक पहुंच गया है। अब मसाज सेंटर या ब्यूटी पार्लर का भी इस्तेमाल इस धंधे में कम होता है ताकि इसमें शामिल लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा बरकरार रहे। रेड लाइट एरिया तक जाने में बदनामी का डर रहता है लेकिन आज के हाई प्रोफाइल सेक्स बाजार में कोई बदनामी नहीं, क्योंकि ग्राहक को मनचाही जगह पर मनचाहा माल उपलब्ध हो जाता है और किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती। बस मोबाइल पर एक कॉल और इंटरनेट पर एक क्लिक से मनचाही कॉलगर्ल आसानी से उपलब्ध हो जाती है। हालांकि मजदूर वर्ग और लो प्रोफाइल लोगों के लिए अब भी रेडलाइट एरिया की गलियां खुली हैं लेकिन एचआईवी संक्रमण के खतरों ने वहां भीड़ कम जरूर कर दी है।अब इस कारोबार में न केवल विदेशी लड़कियां शामिल हैं बल्कि मॉडल्स, कॉलेज गर्ल्स और बहुत जल्दी ऊंची छलांग लगाने की मध्यमवर्गीय महत्वाकांक्षी लड़कियों की संख्या भी बढ़ रही है। पुलिस के बड़े अधिकारी भी मानते हैं कि अब कॉलगर्ल और दलालों की पहचान मुश्किल हो गई है क्योंकि इनकी वेशभूषा, पहनावा व भाषा हाई प्रोफाइल है और उनका काम करने का ढंग पूरी तरह सुरक्षित है। यह न केवल विदेशों से कॉलगर्ल्स मंगाते हैं बल्कि बड़ी कंपनियों के मेहमानों के साथ कॉलगर्ल्स को विदेश की सैर भी कराते हैं। कॉलगर्ल्स और दलालों का नेटवर्क दो स्तरों पर है। एक अत्यंत हाईप्रोफाइल है जिसमें फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली और आधुनिक वेशभूषा वाली हाई फाई कॉलगर्ल हैं तो दूसरा नेटवर्क महाराष्ट्र, सिक्किम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, नेपाल और भूटान से लाई गई बेबस लड़कियों का है। ग्राहक की मांग के अनुसार ही कॉलगर्ल उपलब्ध कराई जाती है।सेक्स के इस कारोबार में नये ग्राहक को प्रवेश बहुत मुश्किल से मिलता है। पकड़े जाने के डर से केवल पुराने व नियमित ग्राहकों को ही प्राथमिकता दी जाती है। जगह की व्यवस्था करने का रिस्क भी इस धंधे में लगे लोग नहीं लेते। यह व्यवस्था ग्राहक को स्वयं करनी होती है। ग्राहक को एक निश्चित स्थान पर कॉलगर्ल की डिलीवरी किसी मंहगी कार के माध्यम से कर दी जाती है। वहां से ग्राहक अपने वाहन से उसको मनचाहे स्थान पर ले जाता है। अमूमन यह स्थान बड़े होटल, बड़ी कोठियां या फिर फार्म हाउस होते हैं। दलाल पोर्न वेबसाइटों के जरिए एक-दूसरे से सम्पर्क साध कर अपना नेटवर्क मजबूत बनाते हैं। इंटरनेट पर हजारों ऐसी साइटें हैं जहां कॉलगर्ल्स की फोटो व उनका प्रोफाइल उपलब्ध रहता है जिन्हें देखकर ग्राहक अपना ऑर्डर बुक कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस के उपायुक्त देवेश चंद श्रीवास्तव के अनुसार, 'विश्वसनीयता इस धंधे का प्रमुख हिस्सा है। कॉलगर्ल सीधी डील नहीं करती और किसी भी कीमत पर किसी नये ग्राहक से डील नहीं की जाती। पुराने सम्पर्क के आधार पर ही डील की जाती है। यही कारण है कि पुलिस जल्दी से इनकी पहचान नहीं कर पाती। इस धंधे में लगे लोगों के अपने कोडवर्ड हैं जिनका इस्तेमाल कर वह ग्राहकों से बातचीत करते हैं।Óवो जमाना गया जब किसी भी कॉलगर्ल या सेक्स वर्कर तक पहुंचने के लिए टैक्सी ड्राइवर, ऑटो चालक या किसी नुक्कड़ के पान विक्रेता को टटोलना पड़ता था, क्योंकि वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं के दलाल अक्सर इसी वर्ग के होते थे। यह दलाल ग्राहक को ठिकाने तक पहुंचाने के बाद बाकायदा वसूली करते थे। ऐसे कुछ दलाल ग्राहक और वेश्या दोनों से दलाली लेते थे जबकि कुछ केवल वेश्या से ही अपना हिस्सा मांगते थे लेकिन अब इस तरह के दलालों का जमाना गये वक्त की बात हो गई है।


सेक्स के कारोबार में अब दलालों की पहचान बदल गई है। वे हाई प्रोफाइल हो गये हैं, सेक्स कारोबारी बन गये हैं। ये सुसज्जित कार्यालयों में बैठते हैं और इनकी रिशेप्सनिस्ट ईमेल और मोबाइल पर आने वाली सूचनाओं के आधार पर कॉलगर्ल्स की बुकिंग करती है। ईमेल या मोबाइल पर ही ग्राहक को डिलीवरी का स्थान बता दिया जाता है और फिर निश्चित स्थान पर पूरी रकम एडवांस लेने के बाद कॉलगर्ल की डिलीवरी कर दी जाती है। जिस तरह व्यापारी अपने व्यापार में माल की क्वालिटी, ग्राहकों की पसंद, दुकान की ख्याति, स्टेंडर्ड आदि का ध्यान रखता है, उसी तरह सेक्स के ये कारोबारी भी अपने व्यापार को लेकर बहुत सजग हैं। वह अपने पास हर तरह का माल रखना पसंद करते हैं ताकि कोई ग्राहक खाली न लौटे। ग्राहक की पुलिस से सुरक्षा व पूर्ण संतुष्टि का भी दलाल ख्याल रखते हैं ताकि वह उनका स्थायी ग्राहक बना रहे। अब कॉलगर्ल या ग्राहक से इन्हें दलाली नहीं मिलती बल्कि यह खुद सौदा करते हैं और कॉलगर्ल्स को अपने यहां ठेके पर या फिर वेतन पर रखते हैं। उस अवधि में ठेकेदार इनकी सप्लाई कर कितना कमाता है इससे इन्हें कोई मतलब नहीं होता। जिस प्रकार किसी कर्मचारी के लिए काम के घंटे व छुट्टी के दिन निर्धारित होते हैं, उसी पर ठेके या वेतन पर काम करने वाली कॉलगर्ल्स के भी काम और आराम के दिन निर्र्धारित होते हैं। काम की एक रात के बाद उनकी अगली रात अमूनन आराम की होती है लेकिन अगली रात की भी मांग हो तो इन्हें अतिरिक्त भुगतान मिलता है।



 कॉल गर्ल नहीं, चाहिए कॉलेज गर्ल
अभिषेक कुमार, विकास चौधरी 7 जुलाई 22, 2011 14:25 कॉल गर्ल... दो दशक पहले यह शब्द उत्तेजना जगा देता था. इस शब्द का मतलब था परंपरागत धंधेवालियों से अलग, देह-व्यापार करने वाली, चमक-दमक वाली आधुनिक युवती, जो आपके बुलाने पर उपलब्ध हो, देह-भोग के शौकीनों में यह अभिजात्यता की नई पहचान थी. अब रेड लाइट एरिया में जाने का खतरा और जहमत कौन उठाएं. मुटियाती, उम्रदराज और अशिक्षित, फूहड़ धंधेवालियों के साथ सेक्स सिर्फ गरीबों के लिए है. अगर जेब मोटी है तो यौन-क्रीड़ा में कुशल स्मार्ट कॉल गर्ल बुलाइए. पर प्रगति की तेज रफ्तारी देखिए. उसने कॉल गर्ल की चमक उसी तरह मंद कर दी जैसे अधेड़ कोठेवालियों का धंधा मंदा पड़ जाता है. अब नया चलन है कॉलेज गर्ल...स्वीट एंड सेक्सी कॉलेज गर्ल.


 दुनिया का यह सबसे पुराना कारोबार अब नया रूप धारण कर चुका है. धंधेवालियों को अब एस्कॉर्ट, सेक्स वर्कर जैसे नाम से जाना जाता है.  इनका ठिकाना देहमंडी तक सीमित नहीं रहा, इन्हें शहर के किसी भी हिस्से में तलाशा जा सकता है. होटल, मोटेल, मॉल, मेट्रो स्टेशन, मसाज पार्लर, बस स्टॉप, सब-वे, हाइवे ये हर कहीं मौजूद हैं. और तो और, इन्हें तलाशने के लिए कहीं बाहर जाने की भी क्या जरूरत. अब इनके ठिकाने साइबर संसार में भी हैं. मोबाइल और इंटरनेट पर, बस एक कॉल या क्लिक की दूरी पर. राजधानी दिल्ली और एनसीआर में इस तथ्य की पुष्टि के लिए हमने द्धह्लह्लश्च://222.द्धशह्लठ्ठद्ग2ह्यस्रद्गद्यद्धद्बद्बद्गह्यष्शह्म्ह्लह्य.ष्शद्व/स्रद्गद्यद्धद्ब.द्धह्लद्वद्य नामक एक वेबसाइट पर क्लिक किया. पलक झपकते दर्जनों एस्कॉर्ट सर्विस एजेंसियों और सैकड़ों मसाज पार्लर के पते, 56 हजार गर्लस-ब्वॉयज एस्कॉट्र्स की सूची सामने आ गई. दावा था कि इनमें से अधिकतर कालेज गर्ल या ब्वॉयज हैं. हम वेबसाइट से अदिति एस्कॉर्ट का नंबर लेते हैं. फोन एक लड़के ने उठाया. अदिति से बात करनी है, कहने पर जवाब मिला, 'आपको चाहिए क्या' हमने बिना झिझक कहा, अदिति से मिलना है. वह हमारा इशारा समझ चुका था. 'अगर अदिति से मिलना है तो पहले किसी अच्छे होटल में कमरा लो, फिर फोन करो. एक घंटे के 8,000 और फुल नाइट के 15,000.' बस, फोन कट गया. इतनी आसानी से चंद मिनटों में, सिर्फ एक फोन काल पर कोई कॉलेज गर्ल मिल जाएगी, यह हमारे लिए किसी अजूबे से कम नहीं था. इसके बाद तो हमने कई फोन किए और कई लड़कियों का 'सौदा' किया.
कॉलेज गर्ल आसानी से उपलब्ध हैं, हमें इस बात का अहसास हो गया, पर इसे और करीब से जानने के क्रम में हमने थोड़ी मशक्कत की तो हमारी मुलाकात इस धंधे की एक पुरानी खिलाड़ी से हुई. उसे हमने बड़ी मुश्किल से विश्वास में लिया. हमारी मुलाकात कैलाश कॉलोनी के मेट्रो स्टेशन पर हुई. प्राइस टैग से घिरी वह लड़की बेहद खूबसूरत थी. बातों-बातों में पता लगा कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से 2006 बैच की पास आउट है.


हमने जानना चाहा कि वह कॉलेज से देह- व्यापार में कैसे आ गई? थोड़ी खामोशी के बाद उसने कहा, 'हॉस्टल में तमाम बंदिशें थीं. मौज-मस्ती के चक्कर में हम चार लड़कियां हॉस्टल छोड़कर कमला नगर में किराए के फ्लैट में रहने लगे. रोज देर रात तक घूमना और होटलों में खाना-पीना, मतलब जिंदगी में हर तरह की मौज-मस्ती शुरू हो गई. एक शाम हमारी एक दोस्त ने हमें कनॉट प्लेस के एक महंगे रेस्तरां में पार्टी दी. बाद में मालूम हुआ कि वह सेक्स व्यापार चलाने वाले एक लड़के के संपर्क में है. वही उसे आलीशान होटलों में भेजता है और एक बार सेक्स के लिए उसे पांच हजार रुपये मिलते हैं. पहले तो हमने उसे समझाया कि यह गलत है, लेकिन रोजमर्रा के खर्चों और बदली फैशनेबल जीवन-शैली की बढ़ती डिमांड ने हमारा भी रुख इस बाजार की ओर कर दिया...' उसका गला भर आया था.


थोड़ी देर बाद उसने फिर चुप्पी तोड़ी, '...जब पहली बार मैं नोएडा सेक्टर-18 के एक होटल में जा रही थी, तो ऐसा लग रहा था कि किसी ने मेरे पैर पर दस-दस किलो का वजन बांध दिया है. खैर, बड़ी हिम्मत के बाद मैं कमरे में गई. कमरे में मेरे साथ क्या हुआ, याद नहीं. हां, इतना जरूर याद है कि होटल से बाहर आते ही मुझे एक लड़के ने 15 हजार रुपये दिए थे. मैंने पूछा कि 15 हजार क्यों? मेरी दोस्त ने तो बताया था कि पांच हजार मिलेंगे तो उस लड़के ने कहा कि तुम पहली बार आई थी इसलिए. आगे से तुम्हें भी पांच हजार ही मिला करेंगे.' कुछ ऐसे ही शुरू हुई थी दिल्ली विश्वविद्यालय की इन चारों लड़कियों की कहानियां. आज बाकी तीन लड़कियां तो शादी करके सामान्य जिंदगी में वापस लौट चुकी हैं, लेकिन यह एक लड़की आज भी जिस्मफरोशी के बाजार की जीनत बनी हुई है और बाजार में ऐसे जीनतों की कोई कमी नहीं.


देह-व्यापार का धंधा रेडलाइट एरिया से निकलकर कॉलेज के हॉस्टल तक पहुंच गया है. महानगरों की चमक-दमक में खोने वाले छात्र-छात्राओं की मौज-मस्ती के लिए धन कमाने का यह एक आसान जरिया बन रहा है. देह-व्यापारी भी नई पीढ़ी के इस दर्शन से अच्छी तरह वाकिफ हैं. लिहाजा अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए वे कॉलेज के लड़के-लड़कियों से संपर्क करते हैं, उन्हें मोटी रकम का लालच देते हैं. इस बाजार में कुछ ही घंटों में बेशुमार पैसे मिलता है और मस्ती अलग से. इसका नशा लड़के-लड़कियों को इस पेशे से निकलने ही नहीं देता.


राजधानी में तमाम मसाज पार्लरों ने भी कॉलेज गर्ल सप्लाई का काम संभाल रखा है. हमने निजी फोन डायरेक्टरी संचालित करने वाली 'जस्ट डायल सर्विस' को फोन कर अपने एक मित्र के घर के पास स्थित कुछ मसाज पार्लर के नंबर मांगे. आधे घंटे के भीतर अलग-अलग मसाज पार्लर से मेरे पास दर्जन भर फोन आ गए. दरअसल वे मसाज पार्लर नहीं, सेक्स की दुकानें थीं. वे धड़ल्ले से हमारी पसंद मसलन, कॉलेज स्टूडेंट, रशियन या अफगानी गर्ल, वर्किंग या फिर हाउस वाइफ चाहिए... पूछते हैं. जस्ट डायल सर्विस के माध्यम से हमें करीब 10 फोन आए और उनमें से आठ ने हमारे सामने कुछ ऐसी ही पेशकश रखी. हमने कॉलेज गर्ल की मांग की तो उन्होंने फोन पर ही सौदा तय कर लड़की को बताई जगह पर पहुंचाने का भरोसा दिला दिया. इनका मीटर घंटे के हिसाब से चलता है. एक मसाज पार्लर के दलाल ने हमसे कहा, 'आपको हम एक घंटे की मसाज व बाथ के साथ पूरे एक घंटे इंटरकोर्स की सुविधा देते हैं और इसके लिए आपको देने होंगे मात्र 2,500 रुपये. अगर आप पूरी रात बिताना चाहते हैं तो आपको 4,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे.'  रेट लड़की-लड़के की उम्र, फिगर और इलाके पर निर्भर करता है. दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाकों में रेट 10 हजार रुपये तक जाता है. कभी राजधानी में सेक्स खरीदने के लिए एक ही मंडी थी, जीबी रोड. ग्राहक कोठा ढूंढते हुए वहां पहुंचते थे, पर अब सेक्स के जरिए पैसा कमाने वाले लोगों का एक ऐसा बड़ा तबका मौजूद है, जो अपना ग्राहक खुद ढूंढता है. कॉलेज में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के अलावा इसमें, कामकाजी और घरेलू महिलाएं भी शामिल हैं. यहां की सामान्य सेक्स दरें इस तरह हैं- सिंगल शॉट के 2,000, वन शॉट विद फोर-प्ले 3,000 और फुल नाइट के 10,000 रुपये. जीबी रोड के सेक्स व्यापारियों का कहना है कि दिल्ली में कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने उनके धंधे का भट्टा बैठा दिया है. इस स्टोरी के लिए महीने भर से ज्यादा भटकने के बाद हम इसी नतीजे पर पहुंचे थे कि वे गलत नहीं कह रहे थे.





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कैसे चलता है देह व्यापार का धंधा?




कई समय से कालगर्ल के धंधे के बारे में जानने की जिज्ञासा थी कि क्यों हाई सोसाइटी में रहने वाली लड़कियां इसे कर रही हैं? आजकल तो इस धंधे के बढाने में इंटरनेट के योगदान को भी कम नहीं आंका जा सकता। यह माध्यम पूरी तरह से सुरक्षित है। इसमें सारी डीलिंग ई-मेल द्वारा की जाती है। इन्टरनेट पर दिल्ली की ही कई सारी साइटें उपलब्ध है, जिसमें कई माडल्स के फोटो के साथ उनके रेट लिखे होते हैं। एक परिचित के माध्यम से मेरी मुलाकात लवजीत से हुई जो दिल्ली के सबसे बड़े दलाल के लिए काम करता है। उसने एक पांच सितारा होटल में माया से मेरी मुलाकात का समय तय किया। उसका कहना था कि माया एक इज्जतदार घर की लड़की है और इंगलिश बोलती है। बातचीत के दौरान लवजीत का मोबाइल फोन बजता रहता है। एक के बाद एक इंक्वाइरी जारी रहती है। 'इस धंधे में हमेशा बिजी रहना पड़ता हैÓ, उसका कहना है। चलने से पहले वो मुझे ठीक वक्त पर पहुंचने की ताकीद करता है। अगर जगह या समय बदलना है तो उसे बताना होगा। पीले टॉप और नीली जीन्स में माया बिल्कुल सही वक्त पर पहुंच जाती है। अभिवादन खत्म और उसे यह जानकर हैरत होती है कि मैं सिर्फ उससे जानकारी चाहता हूं। थोड़ा वक्त जरूर लगता है लेकिन वह अपने धंधे के बारे में बात करने के लिए राजी हो जाती है। 'हां, अब मुझे इस जिंदगी की आदत हो चली है। अच्छा पैसा और मौज मजा।Ó उसके अधिकतर ग्राहक बिजनेसमैन हैं और उनमें से कुछ तो वफादार भी। क्या उसे अजनबियों से डील करना अजीब नहीं लगता? वह कहती है, 'देखिए हम लोग एक स्थापित नेटवर्क के जरिये काम करते हैं जो बिना किसी रूकावट के धंधे में मददगार है। टेंशन की कोई बात ही नहींÓ। माया का दावा है कि महज एक सप्ताह के काम के उसे साठ से अस्सी हजार मिल जाते हैं। जब उसने शुरूआत की थी तो अच्छे घरों की लड़कियां इस धंधे में बहुत नहीं थीं, लेकिन अब बहुत हैं, 'अब तो यह लगभग आदरणीय हो गया हैÓ, वह व्यंग्य करते हुए कहती है। दिल्ली के उच्च वर्ग, पार्टी सर्किल और सोशलाइटों के बीच 'गुड सेक्स फॉर गुड मनीÓ एक नया चलताऊ वाक्य बन गया है। यही वजह है कि दिल्ली पर भारत की सेक्स राजधानी होने का एक लेबल चस्पां हो गया है। आंकड़ों की बात करें तो मुंबई में दिल्ली से ज्यादा सेक्स वर्कर हैं। लेकिन जब प्रभावशाली और रसूखदार लोगों को सेक्स मुहैया करवाने की बात आती है तो दिल्ली ही नया हॉट स्पॉट है। ये प्रभावशाली और रसूखदार लोग हैं राजनेता, अफसरशाह, व्यापारी, फिक्सर, सत्ता के दलाल और बिचौलिए। यहां इसने पांच सितारा चमक अख्तियार कर ली है।पुलिस का अनुमान है कि राजधानी में देह व्यापार का सालाना टर्न आ?वर 600 करोड़ के आसपास है। पांच सितारा कॉल गर्ल्स पारंपरिक चुसी हुई शोषित और पीडि़त वेश्या के स्टीरियोटाइप से बिल्कुल अलग हैं। न तो ये भड़कीले कपड़े पहनती हैं और न बहुत रंगी-पुती होती हैं और न ही उन्हें बिजली के धुंधले खंभों के नीचे ग्राहक तलाश करने होते हैं। पांच सितारा होटलों की सभ्यता और फार्महाउसों की रंगरेलियों में वे ठीक तरह से घुलमिल जाती हैं। वे कार चलाती हैं, उनके पास महंगे सेलफोन होते हैं। जैसा कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि हाल ही के एक छापे के दौरान पकड़ी गई लड़कियों को देखकर उन्हें धक्का लगा। वे सब इंगलिश बोलने वाली और अच्छे घरों से थीं। कुछ तो नौकरी करने वाली थीं, जो जल्दी से कुछ अतिरिक्त पैसा बनाने निकली थीं।34 साल की सीमा भी एक ऐसी ही कनवर्ट है। उसे इस धंधे में काफी फायदा हुआ है। किसी जमाने में वह फैशन की दुनिया का एक हिस्सा थी लेकिन उसके करियर ने गोता खाया और वह सम्पर्क के जरिये अपनी किस्मत बदलने में कामयाब हो गई। अब वह दिल्ली की एक पॉश कॉलोनी में रहती है और कार ड्राइव करती है। उसे सस्ती औरत कहलाने में कोई गुरेज नहीं है। उसके मां-बाप चंडीगढ मे रिटायर्ड जीवन जी रहे हैं। सीमा हर तीन महीने में उनसे मिलने जाती है, हालांकि उन्हें मालूम नहीं है कि वो क्या करती है। लेकिन कई औरतों के लिए इस तरह की दोहरी जिंदगी जीना इतना सरल नहीं है। सप्ताह के दिनों में पड़ोस की एक स्मार्ट लड़की की तरह रहना और वीकएंड पर अजनबियों के साथ रातें गुजारना- अनेक पर काफी भारी पड़ता है। 'अगर आप अकेले हैं तो तो ठीक है, लेकिन अगर परिवार के साथ रहते हैं तो काफी मुश्किल हो जाती है। कुछ लड़कियां दकियानूसी परिवारों से आती हैं और रात को बाहर रहने के लिए उन्हें बहाने खोजने पड़ते हैंÓ, सीमा कहती है। मध्यवर्गीय परिवारों की लड़कियां इस धंधे में किक्स और त्वरित धन की खातिर उतरती हैं। हालांकि कुछ एक या दो बार ऐसा करने के बाद धंधे से किनारा कर लेती हैं पर कई इसमें लुत्फ लेने लगती हैं। जैसा कि माया कहती है, 'चूंकि पैसा अच्छा है, इसलिए हम बेहतर वक्त बिता सकते हैं, गोआ में वीकएंड या फिर विदेश यात्रा।Óकुछ लड़कियां बगैर दलाल के स्वतंत्र रूप से काम करती हैं लेकिन किसी गलत किस्म का ग्राहक फंस जाने का खतरा उनके साथ हमेशा रहता है। हालांकि पुलिस का कहना है कि औरतें दलाल के बगैर बेहतर धंधा करती हैं। गौर से देखें तो दिल्ली के रूझान के हिसाब से कॉल गर्ल्स आजाद हो चुकी हैं। दलालों की संख्या कम हो रही है। दिल्ली में धंधा इसलिए बढ़ा है कि बतौर राजधानी सारे बड़े-बड़े सौदे यहीं होते हैं। राजनेताओं और अफसरशाहों को इंटरटेन किए जाने की जरूरत होती है। इसके अलावा आसपास काफी पैसा बहता रहता है। कनॉट प्लेस के खेरची दूकानदार से लेकर रोहिणी के रेस्टोरेंट मालिक और गुडगांव के रियल एस्टेट डेवलपर तक सब खर्च करने को तैयार हैं। उनकी सुविधा के लिए ऐसे कई गेस्ट हाउस कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं जो चकलों का काम भी करते हैं। दक्षिण दिल्ली में तो धंधा आवासीय कॉलोनियों से भी चलता है और सामूहिक यौनाचार के लिए किराये पर लिए गए फार्महाउसों पर तो पुलिस के छापे पड़ते ही रहते हैं। हाल ही में दक्षिण पश्चिम दिल्ली के वसंतकुंज में पड़े एक छापे में तीन औरतें और पांच दलाल पकड़े गए थे। उनमें से एक महिला जो बंगलूर से अर्थशास्त्र में स्नातक थी, महीने में पंद्रह दिन दिल्ली में रहती थी और उस दौरान दो लाख रूपया बना लेती थी। बाकी औरतें भी एक रात के दस से पन्द्रह हजार रूपये वसूला करती थीं। उनके ग्राहक बिजनेसमैन और वकील थे। दिल्ली में इस धंधे में सबसे बड़ा नाम क्वीन बी का है जो ग्रेटर कैलाश से सारे सूत्र संभालती है। एक पंजाबी परिवार की यह 44 वर्षीय महिला जिसका उपनाम दिल्ली के एक पांच सितारा होटल से मिलता-जुलता है, लड़कियों की सबसे बड़ी सप्लायर है और इसका नेटवर्क काफी लंबा-चौड़ा है। वो न सिर्फ 'अच्छीÓ भारतीय लड़कियां मुहैया करवाती है बल्कि मोरक्कन, रूसी और तुर्की लड़कियां भी अपने घर में रखती है। नब्बे के दशक की शुरूआत में छापे के दौरान एक पांच सितारा होटल से पकड़ी गई क्वीन बी के नेटवर्क को प्रभावशाली नेताओं और रसूख वाले व्यापारियों का सहारा मिला हुआ है। 'उसके संबंधों के मद्देनजर उसे तोडऩे में बहुत मेहनत लगेगीÓ, यह कथन है एक पुलिसकर्मी का, जिसका अनुमान है कि क्वीन बी सिर्फ सिफारिशों पर काम करती है और उसकी एक दिन की कमाई चार लाख रूपया है। फिर दिल्ली में बालीवुड की एक अभिनेत्री भी सण्यि है, जिसके पास अब कोई काम नहीं है। उसके नीचे सात से आठ जूनियर अभिनेत्रियां काम करती हैं। उनका अभिनय करियर खत्म हो जाने के बाद वे सब धंधे में उतर आई हैं। एक दलाल के अनुसार, अफसरशाहों और राजनेताओं में बड़े नाम वाली लड़कियों की काफी मांग है। हाल ही के एक छापे में पकड़ी गई एक युवती दिल्ली की एक फर्म में जूनियर एक्जीक्यूटिव के पद पर थी। गुड़गांव के एक लाउंज बार में एक दलाल की नजर उस पर पड़ गई। उसके चेहरे और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसने उसे धंधे में उतार दिया, लेकिन अपने ग्राहक वह खुद तय करती है। वीक एंड को बाहर जाने पर उसे 60 से 70,000 रूपये मिल जाते है। इसके अलावा ग्राहक उसे महंगे तोहफों से भी नवाजते हैं।राजधानी के एक जाने-माने दलाल का कहना है, 'चुनाव करने के लिए दिल्ली में अनंत लड़कियां हैं। सही सम्पर्क और सही कीमत के बदले आप जो चाहें हासिल कर सकते हैंÓ। यहां एक पांच सितारा होटल में पकड़ी गई एक 29 वर्षीय युवती और एक दूसरी लड़की केवल अमीरों और रसूख वालों के काम आती थीं। युवती एक स्कोडा कार ड्राइव करती थी और उसका पता दक्षिण दिल्ली का था। उसकी साथी दिल्ली के जाने-माने स्कूल में पढ़ी थी। उनके पास ग्राहकों का एक अच्छा खासा डेटाबेस था। ये मोबाइल फोन के जरिए धंधा करती थीं और संभ्रांत परिवारों से थीं।


लेकिन यह धंधा चलता कैसे है? 'दलालों और एक सपोर्ट सिस्टम के जरिए सब कुछ सुसंगठित है, जहां युवावर्ग उठता-बैठता है। ऐसी जगहों पर लोग भेजे जाते हैं। शहर के बाहरी छोर पर स्थित पब और लाउंज बार इस मामले में काफी मददगार साबित होते हैं। यहीं पर नई भर्ती की पहचान होती है। सही जगह पर सही भीड़ में आप पहुंच जाइए, आप पाएंगे कि ऐसी कई महिलाएं हैं जो पैसा बनाना और मौज-मजा करना चाहती हैं।Ó यह कथन है एक ऐसे शख्स का जो धंधे के लिए लड़कियों की भर्ती करता है। एक बार दलाल की लिस्ट में लड़की आई नहीं कि धंधा मोबाइल फोन पर चलने लगता है। सामान्यतया मुलाकात की जगह होती है कोई पांच सितारा होटल, ग्राहक का गेस्ट हाउस या फिर उसका घर। पुलिस के अनुसार अधिकतर दलाल केवल उन लोगों के फोन को तरजीह देते हैं जिनका हवाला किसी ग्राहक द्वारा दिया जाता है। इससे सौदा न सिर्फ आपसी और निजी रहता है, बल्कि एक चुनिंदा दायरे तक ही सीमित होता है।पांच सितारा कॉल गर्ल्स के साथ ही बढ़ती हुई तादाद में मसाज पार्लर, एस्कॉर्ट और डेटिंग सेवाएं भी दैहिक आनंद के इस व्यवसाय को और बढ़ावा दे रही हैं। ये सब सेक्स की दूकानों के दूसरे नाम हैं। दिल्ली के अखबार इन सेवाओं के वर्गीकृत विज्ञापनों से भरे रहते हैं। कुछ समय पहले इन पार्लरों का सरगना पकड़ा गया था जिसके दस से अधिक पार्लर आज भी दिल्ली में चल रहे हैं। मजेदार बात यह है कि यह शख्स इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है और आईएएस की परीक्षा में भी बैठा था। अपने तीन दोस्तों के साथ इसने देह व्यापार के धंधे में उतरना तय किया और साल भर में उसने शहर में आठ मसाज पार्लर खोल दिए। कुख्यात कंवलजीत का नाम आज भी पुलिस की निगरानी सूची में है। किसी जमाने में दिल्ली के वेश्यावृत्ति व्यवसाय का उसे बेताज बादशाह कहा जाता था। जब दिल्ली में उस पर पुलिस का कहर टूटा तो वह मुम्बई चला गया। पुलिस के अनुसार अभी भी अपनी दो पूर्व पत्नियों के जरिये उसका सिक्का चलता है। उसके दो खास गुर्गे- मेनन और विमल अपने बूते पर धंधा करने लगे हैं। पुलिस मानती है कि वेश्यावृत्ति के गिरोहों की धर पकड़ अक्सर एक असफल प्रयास साबित होता है क्योंकि थोड़े समय बाद ही यह फिर उभर आती है। चूंकि यह एक जमानती अपराध है और पकड़ी गई औरतें कोर्ट द्वारा छोड़ दी जाती हैं इसलिए वे फिर धंधा शुरू कर देती हैं। पुलिस का यह भी मानना है कि चूंकि यह सामाजिक बुराई है इसलिए छापे निष्प्रभावी हैं। इसे कानूनी बना देना शायद बेहतर साबित हो। लेकिन राजनेता दुनिया के सबसे पुराने पेशे पर कानूनी मोहर लगाना नहीं चाहते, लिहाजा यह धंधा फल-फूल रहा है।






खुफिया कैमरे में कैद हुआ देह व्यापार का सच!!
 कार किराए पर देते सुना था। फ्लैट किराए पर देते भी सुना था। लेकिन आईबीएन7 के खुफिया कैमरे में पहली बार कैद हुआ किराये पर देह का सच।


खुफिया कैमरे में कैद मसाज पॉर्लर की लड़की का कहना है कि 'मैं इस पेशे में इसलिए हूं क्योंकि मैं यही काम करना चाहती हूं। ये ऐसा है जैसे मैंने अपना घर किराए पर दिया हो...या जैसे ट्रांसपोर्ट का धंधा हो...उसी तरह मैं अपना शरीर किराए पर देती हूं।'


'मैं एक मॉडल हूं...आज भी मैं मुंबई से आई हूं...मुझे ये सब करने में अच्छा लगता है।Ó दरअसल वो दिन गुजर गए ये देह का काला धंधा था, अब तो इसे बिजनेस कहा जाता है। मोटी होती तनख्वाह के साथ दिल्ली मुंबई के बीच तैरती मॉडलों की एक फौज है। ये लड़कियां फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं, महंगे डिस्को थेक और लाउंज बार में बड़ी आसानी से हिल-मिल जाती हैं और अपनी देह किराये पर देने के प्रोफेशन में उतर जाती हैं। इन्हें आप जिस्मफरोश नहीं कह सकते, इन्हें आप वेश्या या प्रोस्टीट्यूट नहीं कह सकते, ये हैं एस्कॉर्ट ... जी हां, सेक्स की मंडी का नया और अजब चेहरा, जिसमें कोई मजबूरी नहीं है, जिसमें कोई जबरदस्ती नहीं है, जिसमें है तो सिर्फ पैसे की बरसात और पैसे की ही आदत। दिन में किसी अच्छी कंपनी में नौकरी और शाम में एक्सकॉर्ट बन कर होटल के कमरों का सफर।




इस धंधे से जुड़ी एक लड़की का कहना है कि 'मुझे कुछ भ्रम दूर कर लेने दीजिए...जो काम मैं कर रही हूं मुझे उसके लिए कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता। मैं वो बेच रही हूं जो मेरे पास है। ऐसा जैसे मैं अपना घर किराए पर दे रही हूं...या मेरा ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है और मैं किराए पर कार देती हूं। उसी तरह मैं अपना शरीर किराए पर देती हूं। मुझे वेश्या कहलाने में ऐतराज है। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका दिमाग सड़ा हुआ है...जो बच्चों की तस्करी करते हैं...जो तमाम दूसरे अपराध करते हैं। मैं सिर्फ अपना शरीर बेच रही हूं...इसलिए मुझे सेक्स वर्कर कहना चाहिए। मैं खुद अपने इर्दगिर्द मौजूद आदमियों को खुश नहीं करती। वो डिमांड करते हैं और मैं सप्लाई करती हूं। ये दूसरी किसी भी क्लाइस सर्विसिंग जॉब की तरह है। लोग मेरे क्लाइंट हैं और मैं उनकी सर्विस करती हूं।'






पढ़ी-लिखी लड़कियां हुस्न के बाजार में!
हुस्न के इस बिजनेस में उतरी एक 23 साल की लड़की एक इवेंट मैनेजमेंट फर्म में काम करती है। अमीर नौजवानों की तरह अच्छे पब में शाम गुजारने की ख्वाहिश रखती है, सो दफ्तर के बाद उसका नया जन्म होता है। शाम होते ही वो बन जाती है। एस्कोर्ट और यहीं से शुरू होता है मिशन मसाज।
मसाज के दौरान हम दंग कर देने वाली सच्चाई से रूबरू हुए। इन खूबसूरत बालाओं की जुबान पर प्यार का जिक्र भी आया, प्यार में डूबे उन लोगों का भी जिक्र आया जो शादी नहीं करते हैं सिर्फ साथ रहते हैं, लेकिन एक बार भी इनकी जुबान पर किसी मजबूरी का जिक्र नहीं आया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सेक्स ट्रेड अब एक ऑर्गनाइज्ड इंडस्ट्री की तरह काम कर रही है। जहां ऐड दिए जाते हैं, कस्टमर बनाए जाते हैं और फिर डिमांड के मुताबिक बिजनेस होता है।
"ऐसी बहुत सी लड़कियां हैं जो लिव-इन रिलेशनशिप में रहती हैं। जो दूसरों के साथ सो रही हैं। मैं सिर्फ अपने काम का पैसा ले रही हूं और मुझे अपने काम से बहुत प्यार है।


देह व्यापार से जुड़ी लड़कियों का तर्क
खुफिया कैमरे में कई लड़कियां कैद हुईं, सबकी जुबान लगभग एक जैसी। जैसे ये कोई इच्छा मंत्र हो जिसकी पूर्ति के लिए वो अपनी देह का किराया वसूलने के लिए भी तैयार हो जाती हैं। आखिर ये कैसी जिंदगी है।
इस धंधें से जुड़ी लड़कियों का तर्क है 'हर इंसान बेहतर जिंदगी चाहता है। अच्छी कार हो, अच्छा घर हो। मुझे भी एक नौकरी मिली थी 20 हजार रुपए महीना की। लेकिन उससे मैं वैसी जिंदगी नहीं पा सकती थी जैसा चाहती थी। जैसे वो कपड़े नहीं खरीद सकती थी जो मुझे पसंद थे। मैं कार भी नहीं खरीद सकती थी। यहां तक की किसी अच्छी जगह छुट्टियां भी नहीं बिता सकती थी। मैं अब जो करती हूं...उससे मुझे पैसा मिलता है।'
जाहिर है महीने के 20 हजार या एक रात के 20 हजार। पल भर में पूरे होते शौक के आगे देह की परिभाषा एक झटके में बदल जाती है। छोटे शहरों से आईं कई लड़कियां कपड़ों, गाडिय़ों और महंगे शौक के मायाजाल में ऐसी फंसती हैं कि उन्हें इस फंदे का अहसास तक हो नहीं पाता।




लाइफस्टाइल का हिस्सा है देह व्यापार!


देह व्यापार से जुड़ी लड़कियों की जुबानी 'मैं चंडीगढ़ की रहने वाली हूं...जब मैं दिल्ली आई तो यहां की चकाचौंध देखकर सन्न रह गई। मुझे भी उस तरह की लाइफस्टाइल चाहिए थी। ऐसा नहीं है कि मैं अफोर्ड नहीं कर सकती थी या फिर अपने परिवार से पैसे नहीं मांग सकती थी। लेकिन एक छात्र के सामने कुछ मजबूरियां भी होती हैं।'




लेकिन ये तो अंधा कुआं है। जितना कमाओ, जितना गिरते जाओ उतना कम है। शायद इसीलिए न कोई मलाल न रत्ती भर अफसोस, दिल्ली में खुफिया कैमरे के सामने बोलने वाली हर एस्कॉर्ट ने सेक्स को एक प्रोडक्ट बताया।




'वो सफेदपोश लोग जो कहते हैं कि ये सब बंद होना चाहिए। इस पर बैन लगना चाहिए। वो दरअसल वो लोग हैं जो हमें अपने साथ सोने के लिए ढेर सारा पैसा देते हैं। मेरी जैसी लड़कियों पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। ऐसे लोगों को पकड़ो जो गैर-कानूनी तरीके से हमारे पास आते हैं। जो एक रात के लिए 10 हजार, 20 हजार, 50 हजार रुपए हम पर खर्च कर देते हैं। हमें सिर्फ अपने काम का पैसा मिलता है।'




सेक्स इनके लिए महज बिजनेस है। मुंबई में रहने का औसत खर्च 60 से 70 हजार रुपए महीना है। ये लड़कियां तमाम पार्टियों में जाकर अपना पैसा बनाती हैं। अगर आप 100 लोगों की पार्टी दे रहे हैं तो आपको दो लाख रुपए खर्च करने होंगे। अगर आप इन लड़कियों को बी पैसा देना चाहेंगे तो कीमत पांच गुना ज्यादा लगेगी। लड़कियों को कार से पिक अप और घर छोडऩे का इंतजाम करना होगा। जहां शराब होगी। वहां शबाब भी तो होगा। इसलिए लोग इन लड़कियों को ले जाते हैं। मुंबई में थोड़ा कम लेकिन पास के हिल स्टेशनों और फॉर्महाउसों जैसे करजात, लोनावला जैसे इलाकों में लड़कियां ज्यादा जाती हैं।




कैसे परवान चढ़ता है देह व्यापार
खुफिया कैमरे में कैद बातचीत से एक सच सामने आता है। एस्कोर्ट बिजनेस एक ऑर्गनाइज्ड इंडस्ट्री की तरह काम करता है। दलाल और बिचौलिए न्यूजपेपर और वेबसाइट्स का इस्तेमाल करते हैं। इनमें अपने ऐड्स देते हैं। जहां अपने प्रोडक्ट का बखान होता है। दावा ये कि उनके पास मॉडल हैं, अभिनेत्रियां हैं और एयर होस्टेस भी। जैसी ख्वाहिश, जितना मोटा जेब ... वैसा प्रोडक्ट।
आपको अपने मोबाइल पर एसएमएस आते होंगे, या अखबारों को देखिए। आपको तमाम होम डिलिवरी सर्विस दिख जाएगी। क्या है ये वो लोग यहीं से ले जाते हैं। अखबारों में तो बाकायदा विज्ञापन दिया जाता है। आजकल पिक-अप प्वाइंट्स बहुत आसान हो गए हैं। आप मॉल जाइए। वहां कितनी फ्लोर होती हैं..फूड कोर्ट...सिनेमा हॉल..। ऐसी ही जगहों पर लोग लड़कियों की तलाश करते हैं और उनसे मीटिंग भी।




बदलते वक्त के साथ सबकुछ बदल रहा है, यही वजह है कि सेक्स ट्रेड का चेहरा भी काफी बदल गया है। यहां भी टेक्नोलॉजी का असर है और इसी के जरिए वो चलाते हैं रोमिंग ऑफिस। जी हां, रोमिंग इसलिए क्योंकि सेक्स ट्रेड का इनका दफ्तर हर रोज एक नई कार में लगता है और यहीं होती है हर रोज लाखों की डील।




कैसे होती है देह व्यापार डील!
इस बिजनेस में सब कुछ तेजी के साथ होता है। फोन पर बातचीत भी। फोन की घंटी लगातार बजती रहती है। जाहिर है कि डिमांड है तो सप्लाई भी करनी ही होगी। बेहद शातिराना अंदाज में ये लोग अपने काम में जुटे नजर आते हैं। जहां तक ऑफिस का सवाल है उसके लिए कार ही बहुत है। शाम होते ही कार में ही इनका दफ्तर खुल जाता है। लेकिन मोबाइल से डील तक तक नहीं होती जब तक पक्का भरोसा ना हो जाए कि सामने वाला झांसा तो नहीं दे रहा। पैसा है तो खतरा भी बहुत है इस धंधे में।


फोन पर बातचीत के अंश:


दलाल- यार दिल्ली आया था...स्टाफ चाहिए था..कोई विदेशी यार...विदेशी लेकर आ जाओ।
कॉलर- कहां आ जाऊं।
दलाल- सेंटूर में...
कॉलर- कौन सा रूम नंबर
दलाल- डीलक्स रूम में...कोई वीआईपी बंदा आया हुआ है
कॉलर- ऐसे नहीं भेजता मैं...मुझे रूम नंबर चाहिए।
कॉलर- कहीं पर भी कर ले...रूम नंबर दे तो मैं लड़की भेजूंगा नहीं तो नहीं भेजूंगा।
दलाल- कहां से आए हो
जवाब- यही से हैं
सवाल- तो तुम रूस से आई हो
जवाब- हां
सवाल- रूस के किस शहर से...
जवाब- क्यों पूछ रहे हो
सवाल- नहीं...ऐसे ही...अपनी जानकारी के लिए
जवाब-मैं सिर्फ रूस से हूं
सवाल- तो भारत में कितना वक्त बिताया है
जवाब- एक महीना
सवाल- भारत के आदमियों के साथ कैसा लगा
जवाब- *****
सवाल- किसी टीनएजर की बात हुई थी। लेकिन ये तो लगती नहीं।
जवाब- 21 की तो है
सवाल- करीब 21 की...
जवाब- मैं 23 साल की हूं


जानें, क्यों जुड़ती है लड़कियां देह व्यापार
मिशन मसाज इंडस्ट्री में काम करने वाली उन पढ़ी लिखी लड़कियों की जिन्हें चाहिए, ईजी मनी। छोटे शहरों से आने वाली इन लड़कियों की आंखों में बड़े सपने होते हैं, और इन्हें पूरे करना का आसान जरिया इन्हें दिखता है सेक्स ट्रेड में।
मालूम हो कि फर्राटेदार इंगलिश बोलना, खूबसूरत दिखना इस धंधे की पहली जरूरत है। ये चेहरा भी कुछ वैसा ही है। इस चेहरे के साथ रहने का मतलब है एक शाम के कम से कम चालीस हजार रुपए। खुफिया कैमरे ने हमें इस चेहरे से भी मिलाया। एकदम बिंदास और अपने प्रोफेशन के लिए एकदम सटीक।
'आमतौर पर आदमी ऐसी लड़कियां चाहते हैं जो उन्हें समझ सके। लड़की को पता होना चाहिए कि आदमी क्या चाहता है। मुझे खुद पर पूरा भरोसा है कि क्या पहनना चाहिए। जिस तरह के लोगों से मेरी मुलाकात होती है वो बहुत अमीर होते हैं। मैं उनके साथ रहती हूं। मुझे उन जैसे लोगों की आदत पड़ चुकी है। मुझे भरोसा है मैं उन्हें खुश रखती हूं।'
इनके पैसा सिर चढ़कर बोलता है और पैसे के आगे सारी मर्यादा और सारी बंदिशें एक झटके में टूट जाती है। पैसा क्या कुछ करा सकता है। 'मुझे बस इतना चाहिए कि लड़का बहुत अमीर हो, मैं ब्रांड्स को काफी अहमियत देती हूं। मुझे इस धंधे में डेढ़ साल हो गए हैं। मैं एक मॉडल की तरह काम करती हूं। मैं मुंबई से यहां आई हूं और मुझे अपना काम अच्छा लगता है। मॉडलिंग से सब कुछ नहीं मिलता, इस दुनिया में कुछ भी इतना आसान नहीं है। और मुझे ये काम बहुत अच्छा लगता है।'


देह व्यापार का दिल्ली में कहां-कहां अड्डा!
भले ही देह व्यापार धंधा गंदा हो लेकिन कभी मंदा नहीं पड़ता। देश की राजधानी दिल्ली में भी ऐसी जगहें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
दलाल- सेक्स रैकेट का कोई सीजन नहीं होता। ये तो चलना ही चलना है। अच्छी लड़कियां हैं, मॉडल्स भी हैं। चल तो सब कुछ रहा है। आज कल लड़कियां खुद भी चली जाती हैं डिस्को में। प्राइवेट बहुत शुरू हो गया है...मिलता तो सब जगह है...सीपी...गोल मार्केट जैसी जगहें हैं।
दलाल किसी को फोन करता है:
दलाल- कौन सी गाड़ी से आए हो...मैडम को यहां उतार दो...
सवाल- कहां शहर से आए हो...
जवाब- मुंबई
सवाल- पेमेंट के बारे में क्या बताया
जवाब- 15,000 रुपए
सवाल- 15,000?...वाह ! वो बात तो नहीं है।
सवाल- तो तुम मुंबई की रहने वाली हो
जवाब- ठाणे की...
दिल्ली में औरतें भीं मिशन मसाज का हिस्सा
मिशन मसाज के दौरान खुफिया कैमरे ने कैद किया इस औरत को। एक और दो बच्चों की मां है। लेकिन शाम ढलते ही वो अपना असली काम शुरू कर देती है। दिल्ली के नाइट क्लब इसका अड्डा हैं। वहीं होता है ग्राहकों का शिकार।
औरत की जुबानी 'पूरी रात का 4000 रुपए लेती हूं। एक महीने में कमा लेते हैं 10 हजार से 15 हजार तक क्योंकि हर रोज काम नहीं करते ना! हफ्ते में तीन बार ही आते हैं यहां पर क्योंकि डिस्क में हफ्ते में तीन दिन ही ज्यादा भीड़ रहती है। शुक्र-शनि-रविवार सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। मुझे इस काम में 3 साल हुए हैं। वो भी क्योंकि एक औरत ही लेकर आई।
एक साल तक तो उसके साथ ही काम किया था। उसके बाद फोन ले लिया तो अपने नंबर देने लग गई। वो खुद फोन करते हैं मेरे पास। मैं तो नंबर दे देती हूं। जैसे यहां मिल गए डिस्क में नंबर ले लिया उन्होंने कि आज आना है। इधर तो पता भी नहीं था पहले। कोई दोस्त लेकर आई थी डिस्क के बहाने से। आपने आप ही इशारे करते हैं तो समझ जाते हैं कि हां भाई इनको चाहिए। हम बात कर लेते हैं वो कहते हैं कितने पैसे चाहिए।
साफ है कि इस धंधे में कोई रिश्ता नहीं है। नियम कायदा नहीं, पैसा सारे काम खुद करा लेता है। मिशन मसाज के दौरान खुफिया कैमरे को जितनी चकाचौंध दिखी। जितनी चमक दिखी वो असली जिंदगी में कितनी फीकी है उसका अंदाजा आप लगा सकते हैं।


भारत में रूसी बालाओं की खास डिमांड!
भले मंदी का असर इस बिजनेस पर कभी ना पड़े। लेकिन देसी एस्कॉर्ट को इन दिनों विदेशी चुनौती मिल रही है। जी हां, दूसरे बिजनेस की तरह यहां भी मिडिलमैन ने बिजनेस को बढ़ाने के लिए, ग्लोबल क्लाएंट को रिझाने के लिए विदेशी एस्कॉर्ट का सहारा लिया है। इन दिनों इंडियन मार्केट में रूसी बालाओं की खासी डिमांड है। यानि साफ है वक्त के साथ ये सेक्टर खुद को भी बदल रहा है और फल फूल रहा है।
दरअसल पिछले 200 सालों से ये सड़क मुंबई में जिस्मफरोशी का अड्डा रही हैं। लेकिन अब कमाठीपुरा की सड़कें वीरान होती जा रही हैं। पुराने जमाने के कोठे और दिल्ली के जीबी रोड जैसे इलाकों के दिन अब लद चुके हैं। अब यहां पैसा लुटाने वाले भी हैं और पैसा लूटने वाले भी। दिल्ली वाकई में ग्लोबल हो गई है। इस बार यहां की लड़कियों का मुकाबला है रूस से आई लड़कियों से। देसी एस्कॉर्ट को रूसी लड़कियां जबरदस्त टक्कर दे रही हैं।


'रूस और उज्बेकिस्तान में मंदी के चलते वहां की लड़कियां यहां के सेक्स मार्केट में उतर रही हैं। वो दिखने में सुंदर होती हैं। उनके फीचर्स शानदार होते हैं और इसलिए भारतीय उन ब्रोकरों के पीछे भागते हैं जो ऐसी लड़कियां मुहैया कराते हैं।मिशन मसाज के दौरान हमारी टीम ऐसे ही एक और खूबसूरत चेहरे से टकराई। ये पिछले तीन महीने से भारत में है और देसी एस्कॉर्ट्स को चुनौती दे रही है।




बाइट- रूसी लड़की की---
(सवाल- तो आप रूस की रहने वाली हैं
जवाब- हां, मैं रूस की रहने वाली हूं
सवाल- कितने दिन से यहां हो
जवाब- तीन महीने से




विदेशी होने का ये रूसी एस्कॉर्ट्स पूरा फायदा भी उठाती हैं। दूसरे देश से आकर वो यहां क्या काम कर रही हैं। कितने रुपए कमा रही हैं। ये पूछने वाला कोई नहीं होता। उनके अपने घर में खबर नहीं होती कि वो किस धंधे में हैं। रूस में लगातार चल रहे मंदी के दौर में अब उन्हें भारत बेहतर बाजार नजर आने लगा है।


रूसी लड़की- हां, मैं अपने घर से भी ये काम करती हूं
सवाल- क्या आप मुझे अपना नंबर दे सकती हैं
जवाब- आप मुझे सीधे फोन नहीं कर सकती। उस आदमी से बात कर लीजिए। डील होने के बाद ही फोन हो सकता है।
मिशन मसाज की यही सच्चाई है। बिना इजाजत के ये सिर्फ मोम की गुडिय़ां हैं। इस धंधे में उतरने के बाद इनकी अपनी मर्जी बहुत ज्यादा नहीं चलती। सब कुछ दलालों पर होता है। वो ही इनके मालिक होते हैं।


सवाल- क्या हमें खाना या पीने को पानी मिल सकता है।
रूसी लड़की- उनसे पूछिए...वो ही इंतजाम करेंगे।
सवाल- क्या आप टूरिस्ट वीजा पर भारत आई हैं...।
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है। देश में अब प्रोस्टीट्यूशन या कहें देह व्यापार भी बहुत हद तक बदल चुका है। वो अब ग्लोबल है। लेकिन इन लड़कियों की जिंदगी इतनी आसान भी नहीं है। उन्हें एक ऐसे समाज से जूझना पड़ता है जो उन्हें गाली देता है। उन्हें गैरकानूनी मानता है लेकिन उनके बिना रह भी नहीं सकता।

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