[Kamsutra]
पोस्टेड ओन: 18 Jul, 2011 मेट्रो लाइफ में
वैश्विक
स्तर पर भारतीय समाज की छवि एक परंपरागत (Conventional) और मर्यादाओं के
बंधनों में बंधे हुए, पारस्परिक संबंधों की एक मजबूत नींव पर आधारित समाज
की है. एक ऐसा समाज जो पारस्परिक संबंधों में अनैतिकता (Immoral) और
निर्धारित सीमा का उल्लंघन सहन नहीं कर सकता. विशेषकर स्त्री-पुरुष के
पारस्परिक संबंधों के विषय में यह बेहद रूढ़ मानसिकता वाला समाज है, जो आज
भी विवाह पूर्व किसी महिला और पुरुष के संबंधों को घृणित नजर से देखता है.
लेकिन पाश्चात्य देशों (Western countries) की एक और नकल कहें या फिर
रूढ़िवादिता से मुक्ति, आज के वैज्ञानिक और आधुनिक युग में लोगों की
मानसिकता काफी हद तक परिवर्तित हुई है. पारंपरिक नीतियों और विषयों से अलग
अन्य विषयों और क्षेत्रों को जानने की जिज्ञासा लोगों में प्रबल रूप से उपज
रही है, जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्र तौर पर वैयक्तिक विचारों का
आदान-प्रदान किया जाना निषेध नहीं माना जाता. लेकिन आज भी कुछ गतिविधियां
ऐसी हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वर्जित कर्म की श्रेणी में रखा जाता है और
जिनके बारे में बात करना तक सार्वजनिक रूप से निषेधात्मक समझा गया है. “सेक्स” (Sex)
की शब्दावली उन्हीं में एक हैं जिससे संबंधित कोई भी बात वर्जित और
पूर्णत: अनैतिक कृत्य मानी जाती है. भले ही शहरी क्षेत्रों में कुछ खास
वर्ग के लोग इसे अन्य विषयों जैसा ही सामान्य विषय मानते हों, लेकिन ऐसे
लोगों की कमीं नहीं है जो इसका जिक्र करना तक गलत मानते हैं.
यहां यह
बात उल्लेखनीय है कि जिस शब्दावली को आज भी लोग वर्जित कर्म की सूची में
रखते हैं वहीं भारतीय महर्षि वात्स्यायन (Maharshi Vatsyaayan) ने अपनी
कृति “कामसूत्र” (Kamsutra) में उसका विस्तृत उल्लेख सदियों पहले ही कर
दिया था. और हैरत की बात है कि उसे मान्यता ही नहीं मिली बल्कि वह काफी
लोकप्रिय भी हुआ था.
क्या है कामसूत्र?
हमारे
विधि शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थों का उल्लेख किया गया है-
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष. इनकी उपयोगिता और महत्व समझने से पहले इनके
निहितार्थों को समझना आवश्यक है. धर्म का आशय धर्म का पालन करना नहीं अपितु
धर्मानुकूल आचरण करना है, वहीं अर्थ, उचित तरीके से धन कमाने से संबंधित
है, काम का अर्थ मर्यादित रूप से गृहस्थ आचरण करना और मोक्ष, जीवन में कोई
अनुचित कार्य ना करने और जीवन के अर्थ को समझने से संबंधित है.
मनुष्य जीवन की सफलता इन्हीं चार पुरुषार्थों के संतुलन पर ही निर्भर करती है. महर्षि वात्सायन द्वारा लिखी गई कृति कामसूत्र
(Kamsutra) इन्हीं पुरुषार्थों में से एक ‘काम’ को, मनुष्य जीवन में एक
संतुलित स्थान कैसे दिया जाए और इसका आचरण कैसे किया जाए, इस उद्देश्य से
लिखी गई है. कामसूत्र में ना केवल दांपत्य जीवन का ही श्रृंगार किया गया है
बल्कि शिल्पकला और साहित्य (Literature) को भी उचित स्थान दिया गया है.
राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी तथा खुजराहो (Khujraho) और कोणार्क
(Konark) की शिल्पकला भी कामसूत्र से ही अनुप्राणित हुई है. रीतिकालीन
कवियों ने ‘गीतगोविंद’ और ‘रतिमंजरी’ जैसी कृतियों में
कामसूत्र की मनोहारी छवियां भी प्रस्तुत की हैं. वात्स्यायन की गुप्त काल
(Gupt Period) से संबंध इस कृति में साफ चित्रित होता है कि इसमें अंकित
भारतीय सभ्यता के ऊपर गुप्त युग की गहरी छाप है. कामसूत्र (Kamsutra)
भारतीय समाजशास्त्र का एक प्रतिष्ठित ग्रंथरत्न बन गया है.
कामसूत्र के रचनाकार- महर्षि वात्स्यायन
महर्षि वात्स्यायन के नाम से मशहूर मलंग वात्स्यायन
भारत के एक महान दार्शनिक (Philosopher) और रचनाकार थे. इनके काल के विषय
में इतिहासकार (Historian) एकमत नहीं हैं. अधिकांश इन्हें गुप्त वंश काल का
दार्शनिक मानते हैं. इनका जन्म बिहार (Bihar) में हुआ था. वात्स्यायन ने कामसूत्र (Kamsutra) और न्यायसूत्रभाष्य
की रचना की है. अर्थ और राजनीति के क्षेत्र में जो स्थान कौटिल्य(चाणक्य)
का है, श्रृंगार और काम के क्षेत्र में वही स्थान वात्स्यायन को प्राप्त
है. कामसूत्र रचना इतनी लोकप्रिय हुई कि संसार की लगभग हर भाषा में इसका
अनुवाद किया जा चुका है. यहां तक की अरब के प्रमुख कामशास्त्र सुगंधित बाग
(Sugandhit Bagh) पर भी कामसूत्र (Kamsutra) की छाप दिखाई देती है.
खुजराहों और कोणार्क की कृतियां भी वात्स्यायन कृत कामसूत्र की छविय़ों से
ही प्रेरित हैं.
आज
गुप्त रूप से ही सही मनुष्य की शारीरिक संबंधों के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है,
जिन्हें शांत करने के लिए वह निम्नस्तरीय पाठ्य सामग्रियों का सहारा लेता
है और जो उसे सिर्फ आधी-अधूरी जानकारी ही प्रदान करती हैं. जानकारी का अभाव
निःसंदेह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. लेकिन
भारतीय महर्षि वात्स्यायन द्वारा कृत कामसूत्र‘ को लगभग दुनियां
की हर भाषा में अनुवादित (Translated) करने और लोकप्रियता का मुख्य कारण यह
है कि इसमें ना केवल शारीरिक संबंधों की क्रियाओं का वर्णन किया गया है
बल्कि यौन रोगों से बचाव, इन्हें दूर करने और वैवाहिक जीवन को सुखद और
मंगलकारी बनाने के लिए भी तमाम उपाय बताए गए हैं. यानि कामसूत्र के पठन से
एड्स (AIDS) जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है. इन बातों से
कामसूत्र (Kamsutra) की प्रासंगिकता और दुनियां भर में इसके प्रचलन के पीछे के कारण स्वत: सिद्ध हो जाते हैं.
तार्किक-वैज्ञानिक या कपोल कल्पना
दिनोंदिन
मॉडर्न (Modern) होती जीवनशैली (Lifestyle) ने व्यक्तियों की शारीरिक
संबंधों के प्रति रुचि को और अधिक बढ़ा दिया है. यद्यपि प्राचीन समय से ही
संभोग की प्रवृत्ति मनुष्य में विद्यमान रही है, लेकिन इसे हमेशा एक गुप्त
कर्म ही समझा जाता रहा है. लेकिन अब मनुष्य़ अपनी यौन-स्वच्छंदता का मनचाहा
उपयोग कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एड्स (AIDS) जैसी कई गंभीर बीमारियों
की दर लगातार बढ़ती जा रही है. कामसूत्र में दिए गए निर्देश और रोगों से
बचाव के विषय में दी गई विस्तृत जानकारी काल्पनिक (Fictional) या मगगढ़ंत ना
होकर विज्ञान की दृष्टि से बिल्कुल सटीक हैं. वात्स्यायन केवल एक महर्षि
ही नहीं वह एक महान दार्शनिक थे और उनकी रचना कामसूत्र को विश्व
की पहली और शायद एकमात्र ऐसी कृति का दर्जा दिया गया है जो स्त्री-पुरुष
संबंध को विस्तृत और गंभीर रूप से उल्लिखित करती है. इसीलिए इसका अनुवाद
केवल भारतीय भाषाओं (Indian Languages) में ही नहीं बल्कि विश्व की लगभग हर
भाषा में किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को मर्यादित संभोग के विषय
में जागरुक किया जा सके. यह इस बात को प्रमाणित करता है कि कामसूत्र का
प्रत्येक खंड वैज्ञानिक तथ्यों (Scientific Facts) और विवेचना पर आधारित
है.
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