Sunday, August 14, 2011

स्‍वतंत्रता दिवस आयोजन

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इस वर्ष भारत ब्रिटिश उपनिवेश शासन से हमारी आजादी की 62वीं वर्षगांठ मना रहा है। स्‍वतंत्रता दिवस ऐसा दिन है जब हम अपने महान राष्‍ट्रीय नेताओं और स्‍वतंत्रता सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं – जिन्‍होंने विदेशी नियंत्रण से भारत को आजाद कराने के लिए अनेक बलिदान दिए और अपने जीवन न्‍यौछावर कर दिए।
हमें याद है कि हमारी आजादी की लड़ाई कैसे लड़ी गई और जीती गई, जिसमें ताकत और रक्‍त रंजित बल प्रयोग नहीं था बल्कि यह सत्‍य और अहिंसा के परम सिद्धांत के माध्‍यम से जीती गई। यह स्‍वतंत्रता के संघर्ष के इतिहास में एक अनोखा अभियान था जिसने पूरी दुनिया की प्रशंसा पाई।

स्‍वतंत्रता का रास्‍ता

भारत की आजादी का संघर्ष मेरठ के कस्‍बे में सिपाहियों की बगावत - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के साथ 1857 में शुरू हुआ। आगे चलकर 20वीं शताब्‍दी में भारतीय राष्‍ट्रीय कॉन्‍ग्रेस तथा अन्‍य राजनैतिक संगठनों द्वारा महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में स्‍वतंत्रता का एक देशव्‍यापी आंदोलन चलाया गया। महात्‍मा गांधी ने समय के सर्वाधिक विरोधी अभियानों में देखे गए हिंसापूर्ण संघर्ष के विपरीत सविनय अवज्ञा अहिंसा आंदोलन को सशक्‍त समर्थन दिया। उनके द्वारा विरोध प्रदर्शन के कुछ तरीकों में शामिल थे मार्च पास्‍ट, प्रार्थना सभाएं, विदेशी वस्‍तुओं का बहिष्‍कार और भारतीय वस्‍तुओं को प्रोत्‍साहन।
इन विधियों की सरलता को भारतीय जनता ने समर्थन दिया तथा स्‍थानीय अभियान शीघ्र ही राष्‍ट्रीय आंदोलन बन गए। इनमें से कुछ मुख्‍य आयोजन असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, नागरिक अवज्ञा अभियान और भारत छोड़ो आंदोलन थे। जल्‍दी ही यह स्‍पष्‍ट हो गया कि भारत अब उप निवेश शक्तियों के नियंत्रण में अधिक समय तक नहीं रहेगा और ब्रिटिश शासकों ने भारतीय नेताओं की मांग को मान लिया। जल्‍दी ही निर्णय लिया गया कि यह अधिकार भारत को सौंप दिया जाए और 15 अगस्‍त 1947 को भारत को यह अधिकार सौंप दिया गया।
14 अगस्‍त 1947 को रात 11.00 बजे संघटक सभा द्वारा भारत की स्‍वतंत्रता को मनाने की एक बैठक आरंभ हुई, जिसमें अधिकार प्रदान किए जा रहे थे। जैसे ही घड़ी में रात के 12.00 बजे भारत को आजादी मिल गई और अब यह एक स्‍वतंत्र देश बन गया। तत्‍कालीन स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण 'नियति के साथ भेंट - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं' दिया।
“जैसे ही मध्‍य रात्रि हुई, और जब दुनिया सो रही थी भारत जाग रहा होगा और अपनी आजादी की ओर बढ़ेगा। एक ऐसा पल आता है जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर जाते हैं. . . क्‍या हम इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पर्याप्‍त बहादुर और बुद्धिमान हैं और हम भविष्‍य की चुनौती को स्‍वीकार करने के लिए तैयार हैं?”
इसके बाद तिरंगा झण्‍डा फहराया गया और लाल किले के प्राचीर से राष्‍ट्रीय गान गाया गया। यहां स्‍वतंत्रता संग्राम - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के बारे में कुछ जानकारी दी गई है।

सभी ओर आयोजन


स्‍वतंत्रता दिवस समीप आते ही सभी ओर खुशियां फैल जाती है। यह ऐसा समय है जब सभी प्रमुख शासकीय भवनों को रोशनी से सजाया जाता है और तिरंगा झण्‍डा घरों तथा अन्‍य भवनों पर फहराया जाता है। स्‍वतंत्रता दिवस – 15 अगस्‍त एक राष्‍ट्रीय अवकाश है, इस दिन के अवकाश का महत्‍व प्रत्‍येक नागरिक को दशकों पहले हमारे बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदान को याद करके समझना चाहिए और अपनी आजादी का जश्‍न मनाना चाहिए।
स्‍वतंत्रता दिवस के एक सप्‍ताह पहले मीडिया में भी विशेष प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा देश भक्ति की भावना को प्रोत्‍साहन दिया जाता है। रेडियो स्‍टेशनों और टेलीविजन चैनलों पर इस विषय से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। शहीदों की कहानियों के बारे में फिल्‍में दिखाई जाती है और राष्‍ट्रीय भावना से संबंधित कहानियां और रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।
राष्‍ट्रपति द्वारा स्‍वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्र के नाम संदेश प्रसारित किया जाता है। इसके बाद अगले दिन लाल किले से तिरंगा झण्‍डा फहराया जाता है। राज्‍य स्‍तर पर विशेष स्‍वतंत्रता दिवस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें झण्‍डा फहराने के आयोजन, मार्च पास्‍ट और सांस्‍कृतिक आयोजन शामिल हैं। इन आयोजनों को राज्‍यों की राजधानियों में आयोजित किया जाता है और आम तौर पर मुख्‍य मंत्री इन कार्यक्रमों की अध्‍यक्षता कराते हैं। छोटे पैमाने पर शैक्षिक संस्‍थानों, आवास संघों, सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों और राजनैतिक संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
स्‍वतंत्रता दिवस का एक और प्रतीक पतंग उड़ाने का खेल है। आकाश में ढेर सारी पतंगें दिखाई देती हैं जो लोग अपनी अपनी छतों से उड़ा कर भारत की स्‍वतंत्रता का समारोह मनाते हैं। अलग अलग प्रकार, आकार और रंगों की पतंगें तथा तिरंगे बाजार में उपलब्‍ध हैं। यह दिवस पतंग उड़ाकर अपने संघर्ष के कौशलों का प्रदर्शन करने का अवसर है।

अपनी देशभक्ति को प्रदर्शित करना

भारतीय होने का गर्व महसूस करें और भारतीय राष्‍ट्रीय पोर्टल के साथ स्‍वतंत्रता की भावना को सभी तक पहुंचाएं। हम आपके लिए यहां कुछ विशेष स्‍वतंत्रता दिवस आयोजन लाए हैं।
भारत एक समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत वाला देश है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोक तंत्र है। यहां के नागरिक देश को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की वचनबद्धता रखते हैं जहां तक इसके संस्‍थापकों ने इसे पहुंचाने की कल्‍पना की। जैसे ही आसमान में तिरंगा लहराए यहां के प्रत्‍येक नागरिक देश की शान को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करने का वचन दें और भारत को एक ऐसा राष्‍ट्र बनाने का लक्ष्‍य पूरा करें जो मानवीय मूल्‍यों के लिए सदैव अटल है।

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