जिएं तो जिएं ऐसे
रफ्तार के साथ तालमेल बिठाती जिंदगी में चाहिए ऐसे जीना जो बनाए आपको सबकी आंखों का नूर
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आजकल
की भागती दौड़ती और प्रतिस्पर्धा प्रधान जीवनशैली (Life Style) में हम सभी
वक्त की कमी से जूझ रहे हैं. जिसके चलते ना तो हमारे पास अपने लिए समय बचता
है और ना ही अपने करीबी व्यक्तियों के लिए. एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़
और अधिक धन कमाने की लालसा ने हमें इस हद तक स्वार्थी (Selfish) बना दिया
है कि अपनी इच्छाओं और हितपूर्ति को अपनी प्राथमिकता (Priorities) समझ हम
उन लोगों के लिए समय निकालने में भी कोताही बरतने लगे हैं, जो कभी हमारे
लिए सबसे महत्वपूर्ण हुआ करते थे. इसके परिणामस्वरूप एक-दूसरे के प्रति
लोगों की भावनाओं का महत्व अब गौण (Secondary) होता जा रहा है. आपसी
रिश्ते भी अब मात्र औपचारिकता (Formality) के लिए ही रह गए हैं.
भले
ही विज्ञान ने हमें कंप्यूटर (Computer), टेलीफोन (Telephone) और इंटरनेट
(Internet) जैसे कई ऐसे सशक्त माध्यम प्रदान किए हैं, जो व्यक्ति को
एक-दूसरे से जोड़े रखने में सक्षम हैं. लेकिन अगर आप केवल इन्हीं माध्यमों
पर ही निर्भर होकर अपने रिश्ते की सफलता की आशा कर रहे हैं तो हाल ही में
हुआ एक अध्ययन (Study) और उसके नतीजे आपकी इस भौतिकवादी मानसिकता
(Materialistic Mentality) को गलत साबित कर सकते हैं.
एक
विदेशी संस्थान (Institution) द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण के नतीजों पर
गौर किया जाए तो जो संबंध केवल आभासी संपर्क (Virtual Contact) पर ही
आधारित होते हैं, वे सफलता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाते. साथ ही ऐसे
संबंधों में दो व्यक्तियों के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी अपेक्षाकृत कमज़ोर ही
होता हैं. इसके विपरीत जो व्यक्ति व्यस्त दिनचर्या (Daily Schedule) होने
के बावजूद अपने दोस्तों और करीबियों के लिए पर्याप्त समय निकाल पाता है, वह
व्यावसायिक जीवन (Professional Life) के साथ-साथ निजी जीवन को भी प्रभावी
रूप से चलाने में सक्षम होता है.
इस शोध
को भारत के संदर्भ में देखा जाए तो यह प्रमाणित हो जाता है कि विदेशों की
ही तर्ज पर भारतीय लोगों की दिनचर्या भी काफी हद तक व्यस्त हो चुकी है.
यद्यपि आज भी भारत एक प्रगतिशील राष्ट्र (Developing Countries) के स्थान
पर ही विराजमान है, लेकिन उदारीकरण (Liberalisation) और वैश्वीकरण
(Globalisation) जैसी आर्थिक नीतियों के कारण मनुष्य के पास अवसरों
(Opportunities) की भरमार हो गई है. जिसकी वजह से वह अपने जीवन को और अधिक
प्रतिष्ठित बनाने और अपने समय को और अधिक उपयोगी सिद्ध करने के लिए अपना
अत्याधिक समय व्यतीत कर देता है. इसका खामियाजा उसके व्यक्तिगत संबंधों
(Personal Relationships) को भुगतना पड़ता है.
खासतौर
पर प्रेम-संबंधों के विषय में अगर बात की जाए तो ये वे संबंध होते हैं
जिनकी नियति (Destiny) पूर्ण रूप से इस बात पर निर्भर करती है कि आप
एक-दूसरे को कितना समय समर्पित (Dedicate) कर पाते हैं. ऐसे संबंधों में
आभासी संपर्क न्यूनतम रूप से कारगर सिद्ध होता है. दूसरे शब्दों में कहा
जाए तो जिन प्रेम-प्रसंगों में प्रेमी युगल (Couple) एक-दूसरे को पर्याप्त
समय दे पाते हैं उनके रिश्तें के सफल होने की संभावनाएं (Possibilities) भी
अत्याधिक होती हैं, क्योंकि एक-दूसरे के साथ पर्याप्त समय बिताने के साथ
वे एक-दूसरे को भली-भांति समझ पाते हैं. परिणामस्वरूप वे दोनों और नजदीक आ
जाते हैं. वहीं दूसरी ओर समय की कमी संबंधों के टूटने का एक बड़ा कारण बन
जाती है.
उपरोक्त
लेख के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भले ही आज आधुनिक युग में व्यक्तियों
के पास एक-दूसरे के संपर्क में रहने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, लेकिन जो
मनोभाव प्रत्यक्ष रूप से मिलने में पैदा होते हैं वह कंप्यूटर (Computer)
और फोन (Phone) जैसी आभासी दुनियां में मुमकिन नहीं हो सकते. मनुष्य की सोच
चाहे कितनी ही भौतिकवादी क्यों न हो जाए, अपने मौलिक रूप में वह एक
सामाजिक प्राणी (Social Animal) ही है और वह माने या ना माने, आपसी मेलजोल
के बिना उसका जीवन सही मायने में निर्थक ही है. इसीलिए अगर आप अपने संबंधों
के प्रति गंभीर हैं और उन्हें हमेशा बनाए रखना चाहते हैं तो अपनी
अति-व्यस्त दिनचर्या में से कुछ समय अपने दोस्तों और करीबियों के लिए जरूर
निकालें.
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