गुरुजी ज्ञान सुना रहे थे। उदाहरण दे कर उन्होंने ज्ञान सुनाना आरंभ किया।
मनुष्य के तीन मित्र होते हैं- धन, परिवार और कर्म।
एक व्यक्ति के तीन साथी थे। उन्होंने जीवन भर उसका साथ निभाया। जब वह मरने लगा तो अपने मित्रों को पास बुलाकर बोला, “अब मेरा अंतिम समय आ गया है। तुम लोगों ने आजीवन मेरा साथ दिया है। मृत्यु के बाद भी क्या तुम लोग मेरा साथ दोगे?”
पहला मित्र (धन) बोला, “मैंने जीवन भर तुम्हारा साथ निभाया। लेकिन अब मैं बेबस हूँ। अब मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।”
दूसरा मित्र (परिवार)बोला, ” मैं मृत्यु को नहीं रोक सकता। मैंने आजीवन तुम्हारा हर स्थिति में साथ दिया है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मृत्यु के बाद तुम्हारा अंतिम संस्कार सही से हो।
तीसरा मित्र (कर्म) बोला, “मित्र! तुम चिंता मत करो। मैं मृत्यु के बाद भी तुम्हारा साथ दूंगा। तुम जहां भी जाओगे, मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।” और यह मित्र कर्म ही था।
गुरुजी ने आगे बताया कि मृत्यु के बाद इंसान के कर्म ही हैं जो उसके साथ जाते हैं। कर्म के आधार पर ही इंसान का अगला जन्म सुनिश्चित होता है तो हमें कर्मों पर ध्यान देना चाहिए जैसा कर्म वैसा फल।
एक बच्चा गरीब के घर। एक अमीर के घर और
एक जन्म से बीमार ही जन्म लेता है। कर्म के आधार से जबकि तीनों बच्चे परमात्मा के हैं तो कर्म पर ध्यान देना चाहिए।
तीनों में से मनुष्य के कर्म ही मृत्यु के बाद भी उसका साथ निभाते हैं।
🌹जय जय श्री राम 🌹
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