आज #सहरसा_यात्रा के दौरान छठे दिन, "#नीलकंठ_महादेव_मंदिर" #चैनपुर, सहरसा(बिहार)।
लगभग 30बीघा भू-भाग में फैला चैनपुर पुरास्थल(गांव) #बिहार के सहरसा ज़िला अन्तर्गत, ज़िला मुख्यालय से 10 किलोमिटर दूर स्थित एक विशिष्ट ऐतिहासिक गाँव है। बिहार राज्य के मिथिला परिक्षेत्र में #कोसी_नदी के गोद में चैनपुर गाँव स्थित है। यह गाँव अपने शिक्षा संस्कार और विद्वानों के कारण समस्त मिथिला में प्रसिद्ध है।
इतिहास
इस गाँव के आदि पुरुष श्री भागीरथ ठाकुर को माना जाता है। किवदंति है कि जब आठवीं सदी में शंकराचार्य शास्त्रार्थ करने के लिये मंडन मिश्र के पास महिषी आये थे तब वे चैनपुर होकर गये थे। चैनपुर गाँव के नीलकंठ महादेव मन्दिर में पूजा करने के उपरान्त वे धेमरा नदी (#धर्ममूला) पार कर के महिषी पहुँचे थे। यह आख्यान शायद शंकर विजय नामक प्रबंध ग्रन्थ में उपलब्ध है। साथ ही, इस गाँव में तीन विलक्षण प्राचीन प्रतिमाएं यथा दो विष्णु जिनमें एक मुंह खंडित एवं पंचमुखी नाग के फण के नीचे खड़े हैं और एक सूर्य, एक शिवलिंग और कतिपय प्रस्तर खंड मौजूद है।
गाँव में सभी पर्व त्यौहार संपूर्ण उमंग, उत्साह और धार्मिक वातावरण में मनाये जाते हैं। यहां का काली पूजा एवं फगुआ ज्यादा प्रसिद्ध है। दशहरा और शिवरात्रि, कृष्णाष्टमी, राम नवमी और हनुमान जयंती आदि त्योहार भी परम श्रद्धा और भक्ति से मनाये जाते हैं।
(उपरोक्त कुछ विवरण गूगल से)
:-मुरारी कुमार झा(पुरातत्व)
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