श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि... हनुमान चालीसा राजधानी के कम से कम तीन मंदिरों में लगभग अखंड चलता है। इसमें कहीं कोई व्यवधान नहीं आता। यह क्रम दिन-रात जारी रहता है। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर और इससे तीन-चार किलोमीटर दूर पूसा रोड या आप कह सकते हैं कि करोल बाग और झंडेवालान मेट्रो स्टेशन के बीच में स्थित हनुमान मंदिर में अखंड हनुमान चालीसा समवेत स्वर में हनुमान चालीसा सुना जा सकता है।
झंडेवालान मेट्रो स्टेशन के करीब स्थित हनुमान मंदिर में संकट मोचन की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगी है। इसे मंदिर में जाकर या फिर मेट्रो में सफर करते हुए देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव से कम नहीं होता। इसे करीब से देखने के लिए मंदिर के आसपास कई विदेशी टुरिस्ट भी होते हैं। बजरंग बली की इस विशाल मूर्ति को ‘इश्क जादे’, ‘बजरंगी भाईजान’, ‘दिल्ली-6’ वगैरह फिल्मों में दिखाया भी गया है।
खैर, इनमें भक्त पांच बार, सात या इससे भी अधिक बार हनुमान चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा भाव के साथ करते हुए मिलेंगे। जिधर जिसको बैठने का स्थान मिल गया, वो वहां से हनुमान चालीसा का श्रीगणेश कर देता है। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में दिन में हर वक्त लगभग डेढ़ दर्जन भक्त हनुमान चालीसा को पढ़ रहे होते हैं। मंगल और शनिवार को भक्तों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो जाती है। रात को इनकी संख्या घटती है, पर खत्म नहीं होती।
कुछ भक्तों के हाथों में हनुमान चालीसा की प्रतियां रहती हैं,कुछ को यह याद है। मतलब अनेक भक्त बार-बार इसे पढ़ने के बाद इसकी प्रति अपने हाथों में भी नहीं ऱखते। कुछ सुंदर कांड भी पढ़ रहे होते हैं। सुंदरकांड पढ़ने वाले कम होते हैं। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, बाबू जगजीवन राम इसी हनुमान मंदिर में आकर हनुमान चालीसा पढ़ना पसंद करते थे।
इधर 1 अगस्त, 1964 से ‘श्रीराम जयराम जय-जयराम’ मंत्र का अटूट जाप आरंभ हुआ था। यहां पर स्वयंभू हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई थी। इसमें हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हैं। इधर इस मूर्ति के प्रकट होने के बाद यहां पर हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ।
अगर कनॉट प्लेस के सन 1724 में राजा जयसिंह के प्रयासों से निर्मित हनुमान मंदिर को राजधानी का प्राचीनतम हनुमान मंदिर माना जा सकता है, तो पूसा रोड का संकट मोचन मंदिर तो अपने मौजूदा स्वरूप में हाल के दौर में आया है। सन 1980 से सन 1995 तक ये छोटा सा हनुमान मंदिर था।
इसमें पूसा रोड, करोल बाग, राजेन्द्र नगर आदि के भक्त ही पूजा- अर्चना के लिए पहुंचते थे। पर यहां पर इधर हनुमान जी की भव्य मूर्ति स्थापित होने के बाद यहां पर दिल्ली-एनसीआर के अलावा शेष भारत के हनुमान भक्त भी दर्शन करने के लिए आने लगे हैं। कशमीरी गेट के हनुमान मंदिर में भी हनुमान चालीसा 24x7 चलता है। इसे मरघट वाला हनुमान मंदिर भी कहा जाता है।
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों के समय हुआ था। दिल्ली के नामवर इतिहासकार आर.वी. स्मिथ बताते थे कि मरघट वाला हनुमान मंदिर मौजूदा स्वरूप में 125 साल पहले ही आया।
पंचमुखी अवतार में हनुमान जी
राजधानी में यूं तो अनगिनत हनुमान मंदिर हैं, पर पंचमुखी की मूर्तियां गिनती के ही मंदिरों में मिलती हैं। पटेल नगर के हनुमान मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति में मारुति नंदन का कठोर रूप दिखाया गया है। यह अपने आप में दुर्लभ कलारूपों में एक हैं, जहां वे किसी राक्षस का वध कर रहे हैं। शेष में हनुमान जी अपने राम की भक्ति में नजर आते हैं। कनॉट प्लेस और और ओखला के हनुमान मंदिरों में भी पंचमुखी रूप में हनुमान जी हैं।
तुगलक रोड पर हनुमान मंदिर
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