राधास्वामी!
30-04-22-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-
गुरु सँग प्रीति न कोई करे ।
चरनन में नहिं भाव धरे ॥ १ ॥
जो सतसंगी बचन सुनावें ।
मूरखता कर उनसे लड़े ॥ २ ॥
जगत भोग में गया भुलाई ।
जम धक्के नित खाता फिरे ॥ ३ ॥
माया संग रहा अटकाई ।
भौसागर कहो कैसे तरे ॥ ४ ॥
राधास्वामी दया करें जब अपनी ।
इन जीवन की विपता टरे ॥ ५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-28-पृ.सं.373)
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