*राधास्वामी*
ग्रेसश हुज़ूर सतसंगी साहब जी ने कुछ समय पहले शाम के सतसंग के बाद खेतों पर यह फरमाया था,
और ऐलान कराया था
🙏गुरु आज्ञा से जो शिष्य करही
वह भक्ति फल देही
🙏
आप सब काम गुरु की आज्ञा से ही करें
अगर अपना दिमाक लगायेगें तो गढे मे जायेगें, गढें में से उभर नहीं पायेगें🙏🌹
यह सब सतसंगी भाई बहनों ने सुना होगा,
🙏मगर हम लोग फिर भी अपनी मन मौजी से ही सब करते हैं
बच्चों की शादी विवाह गैर सतसंगी परिवार में करते हैं, सतसंग रीति रिवाज से नहीं करते हैं, अपनी अपनी अलग अलग रीति रिवाजों से करते हैं,
दहेज लेते हैं देते हैं
पंडित बुलाये जाते हैं नारी दोष देखते हैं नक्षत्र देखते हैं जन्म कुंडली मिलाते हैं.
हवन होता है देवी देवताओं का आह्वान करते हैं,
यहा तक कि एक ब्रांच सेक्रेटरी साहिबान ने जिनका नाम मै नहीं लेना चाहता हूँ यह कहना शुरू कर दिया कि यह प्रे०भाई जी० एस० पाठक जी यह कहते हैं कि बच्चों की शादी विवाह सतसंग में करना चाहिए यह गलत है
हम को तो बच्चों की शादी विवाह गैर सतसंगी परिवार में करना चाहिए, वाह क्या बात है,
🙏घर में पुत्र पैदा होने पर कुआ पुजन करते हैं सातीया रखते हैं, बड़ी बड़ी दावतें करते हैं
नाम करण के लिए पंडित बुलाये जाते हैं हवन होता है पत्रा खुलता है,
पत्रा के अनुसार ही नाम रखा जाता है
बंटी, डबलु, भोदू, राम प्रकाश, कृष्ण, लक्षण प्रसाद, इस तरह के अनेक प्रकार के नाम रखें जाते हैं,
और अगर पंडित जी ने कही यह कह दिया कि बच्चा पर मुल है और मुल शांत करने के लिए घर के लोग कौने में मुरगा बन जाओ तो वह भी मंजुर है,
🙏बच्चों का मुंडन कराते हैं तो जों के कटे हुए खेत में ले जाते हैं गीत गाये जाते हैं चिडी तोहि चामडिया भावे
इस का अर्थ लगाना अति कठिन है, नाई आता है पंडित आते हैं और न जाने कितने प्रकार के रस्मों रिवाज कीये जाते हैं,
🙏 कुछ सतसंगी भाईयों को तो मैंने शादी के बाद गंगा स्नान करने के लिए जाते देखा है.
पुछने पर बताया कि पुत्र या पुत्री की शादी करने के बाद गंगा स्नान करके गंगा में जौ बहाने चाहिए, वाह क्या बात है,
🙏किसी सतसंगी भाई बहन की मृत्यु हो जाने पर यह देखा गया है कि 13 दिन तक फर्स डाल कर बैठे रहना अनिवार्य है
इसके बाद तेरहवीं होगी बड़ी बड़ी दावतें होगी,
और कुछ सतसंगी भाई बहन को यह भी करते देखा गया है कि मृत्यु के एक साल बाद बर्सी करते हैं पंडित आते हैं दावतें होती है
इसके बाद यह भी देखा गया है कि कनागत आ गये मरने बाले के नाम का पंडित को भोजन कराओ, और कुछ दान दक्षिणा दो
और यहाँ तक कि ऐसा भोज सतसंगी भाई बहन करते हैं और दान भी लेते हैं और दक्षिणा भी लेते हैं
🙏और कुछ सतसंगी भाई बहन को यह भी करते देखा गया है कि अपना घर बनाया है या खरीदा है तो गृह प्रवेश कराने पर हरी मिर्च और नीबू माला बना कर दरबाजे पर लटका दिया और पंडित बुला कर हवन करा कर सुधीकरण करते हैं, और न जाने कितने प्रकार के आडंबर कीये जाते हैं,
🙏 और यह सब नोटंकी गांव देहात की ब्रांच में धडल्ले से बेखोफ आनंद मंगल पुरवक होता है
और यदि कोई एक बेचारा सतसंगी भाई बहन बोलता है या टोकता है रोकता है तो उसको गर्दन पकड कर दबा दिया जाता है
🙏अब यह सब जो हम करते हैं तो अपने गुरु महाराज जी को भुल जाते हैं यह सब करते समय एक पल को भी हमें हमारे गुरु महाराज याद नहीं आते है.,ऐसा करने के लिए ऐसी कोई गुरु आज्ञा तो है नहीं और न हमारे गुरुओं ने कभी कोई ऐसी आज्ञा दी है
राधास्वामी मत और गुरु महाराज तो यह सब जंजाल तोडने की आज्ञा देते हैं,
और हुज़ूर सतसंगी साहब जी ने अपने एक बचन में यह भी फरमाया है कि आप पुरानी दखियाना फुसी रस्म रिवाजों में फसे रहोगे तो काल आपको यहाँ से नहीं निकलने देगा,
यही भरमाये रखेगा
🙏अब हुज़ूर सतसंगी साहब जी को खेतों पर यह सब फरमा कर ऐलाउंसमेंट कराने की इस लिए आवश्यकता पडी कि बार बार समझाने के बाद भी हम लोग नहीं मानते हैं और गुरु आज्ञा में नहीं बरतते है अपनी मन मौजी करते हैं और यह सब मैंने सतसंगी लोगों को करते देखा है, टोका है रोका है
🙏🙏 सो सभी से निवेदन है कि गुरु आज्ञा का पालन करो
यह सब करके गैर सतसंगी समाज मे आलोचना का पात्र मत बनों
🙏🙏
गुरु आज्ञा से जो शिष्य करही
वह भक्ति फल देही
🙏🙏
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