कुलपति मुझे साजिश के तहत फंसा रहे हैं
मुझे पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति डा. मोहन गुप्ता ने दुर्भावनावश फंसाने के लिए सारी कहानी बनाई है. विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी का सदस्य रहते हुए मैंने कुलपति के कार्यों की शिकायत राज्यपाल से की थी. जिसके चलते मुझे तीन हजार रुपये का बिल लेने का आरोप लगाया गया है. यह सारा कार्य मुझसे बदला लेने की नीयत से किया गया है.
मैंने ना तो किसी धनराशि की मांग की थी ना ही मैं तीन हजार के चेक को रिसीव किया है. मेरे उपर लगे आरोपों की जांच कुलपति के खासमखास कुलसचिव शिव कुमार दुबे ने की. एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए मुझे अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया. जबकि ना तो मैंने उक्त धनराशि के लिए कोई मांग पत्र दिया था, ना ही कोई देय प्रस्तुत किया था और ना ही उक्त तीन हजार रुपये की धनराशि मूल्य का चेक ही प्राप्त किया. इसकी आशंका मुझे पूर्व में ही थी, जिसके चलते मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को आवेदन भी दिया था. मुझे जबरिया फंसाने के लिए सारे षणयंत्र रचे गए. जबकि मेरा मामला इंदौर हाईकोर्ट में चल रहा है.
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