शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी से उथल-पुथल
: डा. नूतन ठाकुर ने प्रस्तुत किया एफिडेविट : लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा मुन्नी बदनाम और शीला की जवानी गानों को प्रतिबंधित करने हेतु इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में जो रिट याचिका संख्या 12856/2010 दायर किया गया है उसमें एक पूरक एफिडेविट भी प्रस्तुत किया है. इस पूरक एफिडेविट में यह कहा गया है कि रिट याचिका दायर करने के बाद से डॉ. ठाकुर के संज्ञान में कम से कम आधा दर्ज़न ऐसे मामले आये हैं जिनमें इन गानों के प्रसारण के बाद से मारपीट, हत्या, छेडखानी, मानसिक कष्ट जैसे गंभीर दृष्टांत हुए हैं.
इनमें से पहले प्रकरण में ठाणे की दो बहनों, नौपदा निवासी शीला गिरि और कोपरी निवासी मुन्नी गिरि को इन गानों ने अपना नाम बदलने के लिए मजबूर कर दिया है, क्योंकि वे पड़ोसियों और लोगों के भद्दे कमेंट से परेशान हैं. डॉ. ठाकुर द्वारा मुन्नी गिरी के पति निर्मल गिरी से बात करने पर उन्होंने इन गानों से बेहद परेशान होने की बात बतायी. दूसरे मामले में लखनऊ के एक विद्यालय की शीला नाम की लड़की को इसी गाने के नाम पर इतना परेशान किया गया कि वह आत्महत्या तक का प्रयास कर बैठी. उस लड़की के पिता ने डॉ. ठाकुर को ई-मेल भेज कर जानकारी दी और गाना बनाने वाले लोगों पर कार्यवाही करने की मांग की.
तीसरे मामले में ग्राम मछली, मनकापुर, गोंडा (उत्तर प्रदेश) में 27/11/2010 की सुबह जब नरेश सोनी उर्फ बच्चू ‘मुन्नी बदनाम हुई’ गाना राजेश कुमार गुप्ता, जिनकी माँ को मुन्नी कह कर बुलाते हैं, की दूकान के पास गा रहा था, तो इसी गाने पर दोनों लोगों में झगड़ा शुरू हुआ जो इतना बढ़ गया कि फायरिंग तक की नौबत आ गयी, जिसमें एक वृद्ध महिला की मौके पर ही मृत्यु हो गयी. इस सम्बन्ध में थाना मनकापुर में अपराध संख्या 383/10 धारा 304 आईपीसी पंजीकृत है. चौथी घटना बलिया के बांसडीह रोड थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव की 13/14 दिसंबर 2010 की रात की है, जहां कामेश्वर तिवारी के घर बारात आई थी और ‘मुन्नी बदनाम’ गाना बज रहा था. पड़ोस में इस नाम की लड़की के होने के कारण ऐतराज हुआ, पहले विवाद और फिर फायरिंग हुई और करीब दर्जनों राउंड फायरिंग में गोली लगने से दस लोग घायल हो गए. इस बारे में बांसडीह रोड थाने पर मुक़दमा संख्या 259/10 धारा 279, 324 आईपीसी पंजीकृत हुआ है.
पांचवीं घटना नोएडा के राजपुरकलां गांव से है जहां नामकरण संस्कार के दौरान ‘शीला की जवानी’ गाने पर डांस करते समय पड़ोस में शीला नाम की एक महिला के परिवार वालों द्वारा मना किया गया और फिर युवकों और उनके पड़ोसियों में गंभीर मारपीट हुई. इसमें आधा दर्ज़न लोग घायल हो गए और राजपुर कलां में मुक़दमा दर्ज है. छठी घटना भी नोएडा से है जहां सेक्टर 127 में 26/12/2010 को ‘शीला की जवानी’ बजने पर शीला नामक महिला के परिवार वालों ने ऐतराज़ किया और फिर वहीं मारपीट शुरू हो गयी. इसमें कुछ बीपीओ कर्मचारी को मिला कर कुल 25 लोग बुरी तरह घायल हुए और एक दर्ज़न से अधिक गाडियां क्षतिग्रस्त हुयीं. इस विषय में केस नंबर 805/2010 तथा 805ए/2010 धारा 147, 323, 427 आईपीसी थाना सेक्टर 39, गौतम बुद्ध नगर में दर्ज किया गया है.
इन सारे प्रकरणों को उदाहरणों के रूप में प्रस्तुत करते हुए याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से निवेदन किया है कि इन प्रकरण में सभी प्रतिवादियों को इस समस्त गंभीर तथा कष्टप्रद घटनाओं के लिए व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार माना जाये, क्योंकि ये सारी घटनाएं इन लोगों के गैर-जिम्मेदाराना कृत्य के फलस्वरूप हुए हैं. ये साफ़ तौर सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 की धारा 5(बी)(1) के खिलाफ हैं, जिसमे दिया गया है कि किसी फिल्म या उसके उस अंश को सेंसर बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा जो पब्लिक आर्डर, डीसेंसी, मोरालिटी के विरुद्ध हो, किसी की अवमानना करता हो अथवा जिससे किसी अपराध के कारित होने की संभावना हो.
इनके आधार पर डॉ नूतन ठाकुर ने उच्च न्यायालय से इन गानों पर रोक लगाने की मांग के साथ-साथ प्रतिवादिगण पर आपरा
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