2011 के 11 सपने | |||||||||
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2010 में बहुत कुछ अच्छा हुआ. डिप्लोमेसी के मोर्चे पर हमें कई सफलताएं मिलीं.
दुनिया के सभी बड़े देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हमारे देश आए. हमने कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े खेल को सफलता पूर्वक आयोजित किया. अर्थव्यवस्था भी फिर से दौड़ने लगी. लेकिन पिछले साल कई बड़े घोटाले भी सामने आए. अब नया साल कैसा होगा! मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं कि भविष्य देख सकूं. लेकिन नए साल में मेरी कई ख्वाहिशें हैं जिन्हें मैं पूरा होते देखना चाहता हूं.
मेरी एक बड़ी ख्वाहिश है कि नए साल में प्याज, टमाटर और लहसुन जैसे खाने के सामान फिर से उचित दाम पर मिलने लगें. देश में विकास दर ज्यादा है तो महंगाई थोड़ी बढ़ेगी ही. लेकिन प्याज के दाम एक ही हफ्ते में 100 परसेंट बढ़ जाए या टमाटर दो हफ्ते में ही 70 परसेंट महंगा हो जाए- इसका तो कोई लॉजिक नहीं है. सरकार कीमत तय नहीं कर सकती है, लेकिन इतना तो हो ही सकता है कि किसी समय किसी इलाके में सप्लाई अचानक कम या अधिक न हो जाए. खाने-पीने की चीजों के मामले में सरकार इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है. उम्मीद करता हूं कि 2011 में सरकार इस मामले में गंभीरता दिखाए.
2011 के लिए मेरा दूसरा सपना यह है कि पब्लिक लाइफ में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए ठीक से कम से कम कोशिश तो हो. आर्थिक सुधारों को भी 20 साल गुजर गए हैं और जिस लाइसेंस-परमिट राज को तब खत्म करने की बात हो रही थी, वो अब तक खत्म नहीं हो पाया है. प्रधानमंत्री ने हाल ही में माना कि जमीन आवंटन में धांधली होती है. क्या प्रधानमंत्री इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएंगे? क्या प्रधानमंत्री ने जिस लाइसेंस-परमिट राज को खत्म करने का वादा 20 साल पहले किया था उसे नए साल में पूरा करेंगे? मेरी उनसे यही उम्मीद है.
मेरा तीसरा सपना है कि 2011 में हम एक बार फिर वल्र्ड कप क्रिकेट का खिताब जीतें. अब से 47 दिन के बाद हम वल्र्ड कप का आयोजन करने वाले हैं और मुझे उम्मीद है कि 28 साल बाद हमें एक बार फिर ताज मिलेगा. जिस तरह से महेंद्र सिंह धोनी की टीम खेल रही है उससे तो उम्मीद बढ़ ही जाती है. हाल ही में हमने वह किया जो हमारी टीम ने इससे पहले कभी नहीं किया. डरबन जैसी फास्ट पिच पर हमने दक्षिण अफ्रीका को धूल चटाई.
इस साल के लिए मेरा चौथा बड़ा सपना यह है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू करने में सारी अड़चनें खत्म हो जाएं. यह कैसी विडंबना है कि अपने ही देश के अलग-अलग राज्यों में एक सामान पर अलग-अलग दरों से टैक्स लगता हैं. जो आटा दिल्ली में दस रुपये प्रतिकिलो मिलता है उसी का भाव मुंबई में कुछ और होता है. जीएसटी के लागू होते ही पूरा देश एक बाजार होगा और सामान की कीमतों में मामूली अंतर होगा. अब सीएसटी को लागू करने का समय आ गया है.
मेरी पांचवीं ख्वाहिश है कि वित्तमंत्री इस साल बजट में डायरेक्ट टैक्स कोड की पूरी रूपरेखा पेश कर दें. साथ ही इसी साल यह तय हो जाए कि टैक्स की दरें क्या होंगी और किन छूटों को बरकरार रखा जाएगा. इससे लोगों को प्लानिंग करने के लिए एक साल का समय मिल जाएगा.
इस साल मैं चाहता हूं कि यूआईडी कार्ड बनाने में तेजी हो. सही तरीके से कार्ड बंट जाते हैं तो हमारी सामाजिक योजनाओं को सही तरीके से सही लोगों तक पहुंचाने में सहूलियत होगी. यूआईडी प्रोजेक्ट के मुखिया नंदन नीलकेणी खुद मानते हैं कि यूआईडी कार्ड के बंटने से सरकार और निजी कंपनियों दोनों का भला होगा.
मेरी सातवीं ख्वाहिश यह है कि न्यूक्लियर पावर स्टेशन बनाने के मामले में हम जरूरी सावधानी बरतें. महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पार्क बन रहा है. लेकिन इसके साथ ही कई विवाद भी शुरू हो गए हैं. लोकल लोगों को रेडिएशन का डर सता रहा है तो जानकारों का कहना है कि इसमें जो रिएक्टर लगने वाला है उसकी तो इससे पहले कभी टेस्टिंग ही नहीं हुई है.
इतने बड़े प्रोजेक्ट में जल्दबाजी कर हम आने वाली विपदा को न्यौता देने से बचें तो अच्छा होगा. चेर्नोबिल के दुष्परिणाम से हम सभी वाकिफ हैं. इसीलिए ऐसे मामले में हमें और भी सावधान रहना होगा.
नए साल में मेरी आठवीं ख्वाहिश है कि हम जांच एजेंसियों को ज्यादा स्वायत्तता दें. हमारे देश में काबिल अफसरों की कमी नहीं है. लेकिन नेताओं की दखलंदाजी की वजह से वे अपना काम ठीक से नहीं कर पाते हैं. अगर दखल में कमी होती है तो अफसर अपना काम ठीक से कर पाएंगे और इसका फायदा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को होगा.
मेरी नवीं ख्वाहिश है कि देश का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए ईमानदारी से काम हो. यह कैसे हो सकता है कि हमारा पड़ोसी चीन हर साल उतनी ही अतिरिक्त बिजली पैदा करता जा रहा है जितनी हमारी कुल खपत है. बिजली उत्पादन में हम फिसड्डी हैं, सड़को पर ट्रैफिक जाम से निजात नहीं है और रेलवे के आधुनिकीकरण की बात भी नहीं होती है. खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से हर साल देश की जीडीपी से 5 से 10 परसेंट कम हो जाता है. हमें समस्या की पहचान है लेकिन इसको ठीक नहीं कर पा रहे हैं.
मेरी दसवीं ख्वाहिश है कि सरकार न्यायपालिका में सुधार लाने की ठोस पहल करे. कानून मंत्री वीरप्पा मोईली ने इसकी रूपरेखा बनाई है. मुझे उम्मीद है कि वे इसी साल इसे अमली जामा पहनाएंगे. मेरे हिसाब से जजों की भर्ती के अलावा कोर्ट के रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण से न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ेगी. हमें इस दिशा में भी ठोस पहल करनी होगी कि किस तरह से तीन करोड़ से ज्यादा लंबित मामलों का जल्दी से निपटारा हो.
मेरी ग्वारहवीं ख्वाहिश यह है कि देश का मीडिया ज्यादा जिम्मेदार बने. रियलिटी टीवी के नाम पर छिछोरेपन से हम परहेज करें. मीडिया का काम सरकार और जनता के बीच की खाई को दूर करना है. हमें कोशिश करनी चाहिए कि किस तरह सरकार जनता की बातें सुने और किस तरह जनता सरकारी योजनाओं से फायदा उठा सके. हमें अपनी लक्ष्मण रेखा को समझना और जानना होगा.
2011 के मेरे सपने ऐसे नहीं हैं कि वे पूरे नहीं हो सकते. नए साल में जरूरत है एक नई सोच की. हम सब मिलकर इसे पूरा कर सकते हैं. मेरी ओर से आप सबको नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं.
शानदार सपनो को देखना ही उम्मीद को बनाए रखना है
अनामी शरण बबल
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