स्वास्थ्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सन १९४८ में स्वास्थ्य या आरोग्य की निम्नलिखित परिभाषा की:
दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना)
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[संपादित करें]आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा
स्वास्थ्य की आयुर्वेद सम्मत अवधारणा बहुत व्यापक है। आयुर्वेद में स्वास्थ्य की अवस्था को प्रकृति (प्रकृति अथवा मानवीय गठन में प्राकृतिक सामंजस्य) और अस्वास्थ्य या रोग की अवस्था को विकृति (प्राकृतिक सामंजस्य से बिगाड़) कहा जाता है। चिकित्सक का कार्य रोगात्मक चक्र में हस्तक्षेप करके प्राकृतिक सन्तुलन को कायम करना और उचित आहार और औषधि की सहायता से स्वास्थ्य प्रक्रिया को दुबारा शुरू करना है। औषधि का कार्य खोए हुए सन्तुलन को फिर से प्राप्त करने के लिए प्रकृति की सहायता करना है। आयुर्वेदिक मनीषियों के अनुसार उपचार स्वयं प्रकृति से प्रभावित होता है, चिकित्सक और औषधि इस प्रक्रिया में सहायता-भर करते हैं।
स्वास्थ्य के नियम आधारभूत ब्रह्मांडीय एकता पर निर्भर है। ब्रह्मांड एक सक्रिय इकाई है, जहाँ प्रत्येक वस्तु निरन्तर परिवर्तित होती रहती है; कुछ भी अकारण और अकस्मात् नहीं होता, और प्रत्येक कार्य का प्रयोजन और उद्देश्य हुआ करता है। स्वास्थ्य को व्यक्ति के स्व और उसके परिवेश से तालमेल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकृति या रोग होने का कारण व्यक्ति के स्व का ब्रह्मांड के नियमों से ताल-मेल न होना है।
आयुर्वेद का कर्तव्य है, देह का प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखना और शेष विश्व से उसका ताल-मेल बनाना। रोग की अवस्था में, इसका कर्तव्य उपतन्त्रों के विकास को रोकने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप करना और देह के सन्तुलन को पुन: संचित करना है। प्रारम्भिक अवस्था में रोग सम्बन्धी तत्त्व अस्थायी होते हैं और साधारण अभ्यास से प्राकृतिक सन्तुलन को फिर से कायम किया जा सकता है।
यह सम्भव है कि आप स्वयं को स्वस्थ समझते हों, क्योंकि आपका शारीरिक रचनातन्त्र ठीक ढंग से कार्य करता है, फिर भी आप विकृति की अवस्था में हो सकते हैं अगर आप असन्तुष्ट हों, शीघ्र क्रोधित हो जाते हों, चिड़चिड़ापन या बेचैनी महसूस करते हों, गहरी नींद न ले पाते हों, आसानी से फारिग न हो पाते हों, उबासियाँ बहुत आती हों, या लगातार हिचकियाँ आती हो, इत्यादि।
स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पंच महाभूत, आयु, बल एवं प्रकृति के अनुसार योग्य मात्रा में रहते हैं। इससे पाचन क्रिया ठीक प्रकार से कार्य करती है। आहार का पाचन होता है और रस, रक्त, माँस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र इन सातों धातुओं का निर्माण ठीक प्रकार से होता है। इससे मल, मूत्र और स्वेद का निर्हरण भी ठीक प्रकार से होता है।
स्वास्थ्य की रक्षा करने के उपाय बताते हुए आयुर्वेद कहता है-
त्रय उपस्तम्भा: आहार: स्वप्नो ब्रह्मचर्यमिति (चरक संहिता सूत्र. 11/35)
अर्थात् शरीर और स्वास्थ्य को स्थिर, सुदृढ़ और उत्तम बनाये रखने के लिए आहार, स्वप्न (निद्रा) और ब्रह्मचर्य - ये तीन उपस्तम्भ हैं। ‘उप’ यानी सहायक और ‘स्तम्भ’ यानी खम्भा। इन तीनों उप स्तम्भों का यथा विधि सेवन करने से ही शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा होती है।
इसी के साथ शरीर को बीमार करने वाले कारणों की भी चर्चा की गई है यथा-
धी धृति स्मृति विभ्रष्ट: कर्मयत् कुरुतऽशुभम्।
प्रज्ञापराधं तं विद्यातं सर्वदोष प्रकोपणम्।। -- (चरक संहिता; शरीर. 1/102)
प्रज्ञापराधं तं विद्यातं सर्वदोष प्रकोपणम्।। -- (चरक संहिता; शरीर. 1/102)
अर्थात् धी (बुद्धि), धृति (धैर्य) और स्मृति (स्मरण शक्ति) के भ्रष्ट हो जाने पर मनुष्य जब अशुभ कर्म करता है तब सभी शारीरिक और मानसिक दोष प्रकुपित हो जाते हैं। इन अशुभ कर्मों को प्रज्ञापराध कहा जाता है। जो प्रज्ञापराध करेगा उसके शरीर और स्वास्थ्य की हानि होगी और वह रोगग्रस्त हो ही जाएगा।
[संपादित करें]स्वास्थ्य का आधुनिक दृष्टिकोण
स्वास्थ्य की देखभाल का आधुनिक दृष्टिकोण आयुर्वेद के समग्र दृष्टिकोण के विपरीत है; अलग-अलग नियमों पर आधारित है और पूरी तरह से विभाजित है। इसमें मानव-शरीर की तुलना एक ऐसी मशीन के रूप में की गई है जिसके अलग-अलग भागों का विश्लेषण किया जा सकता है। रोग को शरीर रूपी मशीन के किसी पुरजे में खराबी के तौर पर देखा जाता है। देह की विभिन्न प्रक्रियाओं को जैविकीय और आणविक स्तरों पर समझा जाता है, और उपचार के लिए, देह और मानस को दो अलग-अलग सत्ता के रूप में देखा जाता है।
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]वाह्य सूत्र
- Health and Therapeutic (यहाँ हिन्दी में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सम्बन्धी बहुत सारी जानकारी है।)
- योग भगाये रोग (गूगल पुस्तक ; लेखक - स्वामी अक्षय आत्मानन्द)
- उपचार : अभ्युदय
- भारतीय स्वास्थ्य चिन्तन
- Snap Server MONARCH - Multicultural Health Handouts in हिंदी
- The Standford Multilingual Health Library (Hindi)
- Skin - An Educational Program for Maternal & Child Health Information Sheets in Hindi
- People's Charter for Health - Hindi version - People's Health Movement PHM
- स्वास्थ्य प्रश्नोत्तरी (गूगल पुस्तक ; लेखक - अनिल अग्रवाल)
- Walking the way to Health Initiative (Hindi) July 06 (pdf)
- वेब दुनिया हिंदी चैनेल
- Welcome to Indian_Gyan हिंदी
- benessere salute University or Milan research
- UNAIDS - हिन्दी
- Gandhi Naturopathy
- यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग
- Hindi Diabetes Handouts (pdf)
- स्वस्थ भारत डॉट ओआरजी
- Info about Mental health in hindi
- leaflets about health and safety at work in Hindi
- Children First For Health - HINDI
- 10 Tips for Health (Hindi, pdf)
- ग्लोबल हेल्थ रिपोर्टिंग - टीवी, मलेरिया, एचआईवी/एड्स
- Health Information Translations - हिन्दी सहित अनेक भाषाओं में अनेकानेक रोगों की जानकारी
- OnlyMyhealth (हिन्दी में स्वास्थ्य का पोर्टल)
- [१] Health is wealth
- Centers for Disease Control and Prevention (USA)
- National Center for Health Statistics (USA)
- Health Facts in Hindi and English
- National Institute of Health (USA
- Stories about health, healthcare, and perception Abroad Compiled by The Glimpse Foundation
- National Library of Medicine Pubmed Journal Search
- European Agency for Safety and Health at Work EU-OSHA
- The Public Health Portal of the European Union
- World Health Organization
- Healthcare Management
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