Saturday, January 15, 2011


विनोदजी, क्‍यों डकार गए हमलोगों की सेलरी

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प्रातः स्मरणीय श्री विनोद जी, मेरी अभ्यर्थना तब भी थी और आज भी है. आज इसलिए क्योंकि दिनेश वर्मा जी कहते हैं कि हम विनोद जी को सबकी सैलरी दे चुके हैं. कायदे से समय सारांश के मालिक भी अभी तक विनोद श्रीवास्तव ही हैं. तमाम वादों के बावजूद विनोद जी ने अख़बार का टाइटल आज 14 जनवरी तक कम्पनी के नाम नहीं किया है. बीते करीब 20 दिन से वह न केवल कम्पनी बल्कि अख़बार में काम करने वाले मेरे जैसे ढाई दर्जन से अधिक लोगों को टाइटल देने के बावत बरगलाते आ रहे हैं. मेहरबानी करके विनोद जी आप हमें यह बताने का कष्ट करें कि हम क्या करें.
श्री दिनेश वर्मा कह रहे हैं कि मैंने विनोद जी को आप लोगों की सैलरी दे दी है. आप उनसे बात करें. यह बात अलग है कि अगर वह नहीं देंगे तो हम दोबारा सैलरी देने के लिए भी तैयार हैं. लेकिन विनोद जी को सारी बातें साफ करने के लिए सामने आना तो चाहिए ही. जब भी आपसे इस बारे में वर्मा जी और ऑफिस के लोगों ने बात की तो आपने एक ही दिन लोगों को अपने अलग-अलग शहरों में होने की बात कही.
आखिर भाई साहब आप हैं कहाँ ! न तो प्रबन्धन और न ही अपने किसी करीबी को आपने अपने घर का पता दिया है और जो इस बीच आपे चार पते मालूम हुए, उनमें से एक भी सही नहीं निकला. यहाँ तक कि आपके रिश्तेदारों को भी आपका अता पता नहीं है. यह हालत कैसे बन गए? आखिर यह बताने की जिम्मेदारी आपकी तो है ही न? हालाँकि मुझे यह कहने या पूछने का हक़ तो नहीं, क्योंकि आप जाते समय मेरी हैसियत का अहसास दिला गए हैं. लेकिन सैलरी पाने की गरज ने मजबूर कर दिया है.
मैं आपको याद दिलाना चाहूँगा कि जब आप जाने लगे थे, उस समय आपने हम सभी से कहा-  अनिल अत्रि आपके नए संपादक होंगे और आपकी नौकरी कहीं नहीं जा रही है. मैं समय सारांश की टाइटल कम्पनी को दे दूंगा, आप लोग काम करते रहें. हालाँकि अनिल अत्रि ने उसी समय सबके सामने संपादक बनने मना कर दिया था और आपके यहाँ से जाने की बात को जोड़ने का विरोध किया था. जिसका आप सटीक जवाब नहीं दे सके.  यह बात है 23 दिसम्बर को दोपहर क़ी.
हाँ, आप लोगों में यानी वर्मा जी और आप में कुछ खटपट जरुर लगी. यह विवाद क्यूँ हुआ, उस समय कहना मुश्किल था, लेकिन अब सारी बातें और आपके यहाँ से जाने की वजह पानी की तरह साफ हो चुकी हैं. बात दीगर है, आपके जाते समय जब अनिल अत्रि ने आपसे कहा कि स्टाफ को अपने जाने की वजह बताते जाएं. तब भी आपका जवाब बड़ा अटपटा लगा. आपने जाते-जाते कहा कि आप हम लोगों के स्तर वालों के साथ यह सब बातें नहीं करते. अगर बातें करनी ही है अकेले में कर लेंगे. लेकिन अनिल अत्रि ने कहा था क़ि जो बात करनी हैं सभी के सामने करें, लेकिन आप अपनी बेलौच गर्दन झटकारते हुए निकल गए.
रही बात स्तर क़ि तो आप किसे स्तर मानते हैं, यह आप जानें. जबकि मैं अपनी परिभाषा में कुछ और ही समझता हूँ. आपके स्तर के कारण ही आज मेरे अलावा ढाई दर्जन लोग बेरोजगार हो गए. आपकी ओर से हमें दिलासा मिलता रहा क़ि आप टाइटल दे रहे हैं, मगर आपके कभी मुंबई तो कभी भोपाल में होने खबर आती रही. अगर हम दिनेश वर्मा कि बात का यकीन करें तो आप उनका लाखों रूपये डकार गए और मेरे जैसे दो दर्जन लोगों के घर का चूल्हा बंद हो गया. हम चाहे जिस स्तर के हों लेकिन इतने बेगैरत तो नहीं हो सकते क़ि किसी गरीब का दो रुपया मार लें, आपने तो फोन रिचार्ज करने वाले संजय का भी 1500 रुपया हजम कर लिया. वह हमसे रोज आते-जाते आपके  बारे में पूछता है.
आपने समय सारांश के पांचवें अंक के सम्पादकीय में पत्रकार प्रभु चावला के बारे में लिखा है कि वह अपने बेटे अंकुर चावला की कंपनी के लिए नीरा राडिया की मदद मांगते सुनाई पड़े. इस सम्पादकीय में आपने मीडिया को कई उपदेश दे डाले हैं, मगर अपने बारे कभी सोचने की गलती किया क्या? प्रभु चावला ने तो अंकुर के लिए मदद मांगी, जबकि आपने अपनी बेटी शिल्पिका को सीधे सब एडिटर बना दिया, वह भी बिना किसी योग्यता के.  डिजाइन के नाम पर सप्ताह में एक दिन मस्ती मारने के लिए अपने भाई को आप मोटी रकम देते थे और पहले भी तो आप ऐसा कर चुके हैं. फिर भी आप प्रभु चावला कोस रहे हैं. आखिर क्यों?
मेरे पास एस क्यों का जवाब है. वास्तव में आप बड़े पत्रकार हैं और बड़े पत्रकार महज इसलिए हैं, क्योंकि आप में किसी न किसी सहगल, दीक्षित या वर्मा को फांसने का हुनर है. जबकि लिखने के समय आप एक कलमचोर से अधिक कुछ भी नहीं हैं, वह भी बिलकुल घटिया दर्जे का. नमूने के तौर पर मिसाल दे दूँ. समय सारांश के सातवें अंक में आपने कवर स्टोरी लिखी है, इंडिया टुडे में छपी ममता त्रिपाठी की स्टोरी से आपने पैराग्राफ ही उठा लिया तो शुक्रवार से रईस अहमद लाली को टीप दिया. पार्लियामेंट, पासवान, गृह मंत्रालय या नायर की चर्चा करने का रुतबा हर किसी पर नहीं पड़ता, भाई साहब! कम से कम मेरे ऊपर तो बिलकुल नहीं. हाँ, मेरे होम टाउन में इस तरह पत्रकारों की भीड़ मैंने जरुर देखी है, जो अपना रुतबा बुलंद करने में मशगूल रहते हैं. आपकी तरह ही.
आते हैं उसी बात पर, जहाँ से हमने शुरू की थी. आपने हमसे काम कराया और जाते-जाते स्तर हीन गलियां भी दे गए. हालाँकि आपसे पेमेंट पाने की उम्मीद पालने की गलती तो करूँगा नहीं. कारण साफ है, मैं और दुखी नहीं होना चाहता. बहरहाल हम तो कागज और कलम के कीड़े हैं. शायद इसलिए ही हम आपके सामने खड़े होते हैं अपने एडिटर को सम्मान करने के लिए. मगर आप जैसे लोग हमें अपमानित करने से बाज नहीं आये.  हमें किसी को डील करने नहीं आता और आपकी नजर में डील करने वाले ही पत्रकार होते हैं. वैसे भी जो पत्र बेचकर कर खरीद सके, वह पत्रकार होता है. मगर यह अब पुरानी बातें हो चुकी हैं. नई कहानी यह है क़ि जो पत्र के बल पर सरकारों को खरीदने की कूबत रखता हो, वह पत्रकार है.  मसलन- बरखा दत्त, वीर सिंधवी या प्रभु चावला. मेरी आपके लिए बहुत-बहुत शुभकामना. आप आगे बढ़ें, और बड़े पत्रकार बने. बहुत हो गया सहगल, दीक्षित और वर्मा को डील करते हुए अब तो किसी राजा की नियुक्ति पर आपको ध्यान देना चाहिए.
आभार व्यक्त करना चाहूँगा आपका. जो आपने हमें आईना दिखा दिया ऐसी सच्चाई का, जो एक भयानक सपना था या कहें महज परिकल्पना. खैर जब तक अगला पड़ाव नहीं मिलता, हम लोग सफ़र कर लेंगे. आपको हमारी चिंता करने की जरुरत नहीं है, ये कलम के कीड़े तो आपकी नजर में गटर के कीड़े हैं. एक बार पुनः अभ्यर्थना आप बड़ी डील पर लग जायं. बहुत बहुत धन्यवाद, चुभने वाले शब्दों के लिए.
संजय पति तिवारी
Comments (4)Add Comment
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written by pramod sinha, January 15, 2011
vinod srivastav ki ye purani adat hai. Wo jahan bhi jate hain yahi karte hain.samay saransh men kuch naya nahi kiya. Vichar saransh men unhone kya gul khilaye thhe ye bahut kam log jante honge. Uske baad senior india se bhi unhe kis prakar be-ijjat karke nikala gaya ye kon nahi jaanta. Jhooth ka karobar karna is insaan ka purana shagal raha hai.senior india men to advt. k farji RO ka kaam bhi kiya lekin malikon ki pakad men aa gaya. ab tak ye insaan jahan b raha isko beijjat karke hi nikala gaya. Suna hai ki senior india men bhi isne apne kisi rishtedar ko adjest kiya tha or samaya saransh men bhi kai logon ko bhar liya. Vinod srivastav ne aisa karne se pahle ye nahi socha ki unke sath kaam karne wale logon ka parivar kaise chalega. Lekin samay saransh ka mamla kuch alag hi raha.agar ismen paisa lagane wale chahen to vinod srivastav to andar honge hi sath hi DLA wale bhi ho sakte hain.pata chala hai ki unhone bina declaration k hi paper print kar diya. Mamla adalat men gaya to kaiyon ki nokri chali jayegi..
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written by anamisharanbabal, January 15, 2011
sanjay bhaie aapka wetan nahi aor maine jo mumbai ranchi patna raipur jo ek din me 10-12 dafa fon kar karke article mangawaya un lekhko ko mai kya jabab dou ki itna harami editor ke sath 2 malik nikla ki ab bhaiya meri mar kar & apni bhadas b4m me ya s4m me nikalkar khamosh ho ja ye sare log itne kamine h ki marne ki jab bari aati h to staff &f lekhko ko hi apna nishana banate h new editor sahab yadi h to nam koie b ho kya gairatmand hai ki garib lekhako ko apni chinta me shamil karenge? sp tiwariji aap b waha par hai to jara fw ka mudda uthaye aap se h niwedan hai sir ki verma ji ki potali se 10-15 hazar nikal hi jayega to aasman nahi girega aasman to fw ka b nahi girega magar bade 2 sapne dikhakar shuru karne wale b&w logo par yakin karna jan bujh kar makhi khane ke barabar h waise vermaji ya aa ya vs se no sikwa sikayat unke natur b vvvg raha bt kya hoga anjam jara socho aa ya spt bhaie jab sare nrich class ke log itne udar ho jayenge? fir aa bandhu vs to staff ka paisa lekar bhag gaye magar mera 200 yakin h ki fw ka paisa to nahi hi lekar bhage honge to mere samajwadi dost garib fw ko payment karwa do to mere samet unke bachcho ke bachche b aapki duaa salamati ka aashirwad denge baki aap jano ya verma ji ya rab jane waise sabse maine kah diya ki apne samne ek putla rakh kar & use asbabal man kar jute maro taki tumhara gussa kuchh kam ho jaye bhala mai aur kya nasihat de sakta hu yar 
yari hai iman mera yar meri jindag & yaro ki list me tum b ho 
jai ho sex saransh oh sorry smay saransh ki darassal kya hai na aa bhaie ki tum &vs ne sex par itne problem likhwaye ki mai bhitar se aadha sexy aadmi ho gaya hu kamal to vs ji ka hai yar ki sex ke sath jine marne wale vs sir itne dharmik kaise rah gaye aa sir yadi fw par daya aaye to dhayan dena sorry yar kitna bakwas kar gaya spt ke lekh read ke bad man kiya so likha galat laga ho to maf karna mafi mangne se aadmi chhota nahi hota par kya kare sach ke dhandhe me hai so sab sach likha na jyada na jam so ss ke sabhi staff ko namaskar aadar pyar saneh ke sath kabi 44 din tak sath 2 kam karne & vvvv g bate karne & bahut kuchh sikha iske liye aabhar chaiy pilane wale shayad surendra nam hai usko b yad karte huye apne tamam dosto ki pida me har kadam sath rahne ke wade ( mai neta nahi hu ki jo bhi kahunga jhuth kahuga)ke sath filhal b4m se aalag ho raha hu bura lage to fon par batana & vvvvg lage to fone karna jaruri nahi
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written by anamisharanbabal, January 15, 2011
sanjay pati ji bada bura hua vs par thikra fodna to vvvvg hai bt sara dosh vs par ladna to yar buri bat vs ka side nahi le raha hu bt sara dosh vs pe mat dalo yarss ke jo b malik rahe ho company ke vermaji ho ya dogra ji sharma ji ho ya koie magar vs ko paisa de chuka hu ye kah kar apni jimmedari se bach nahi sakte fir payment to maliko ke bande ne vs& aa ke samne ki thi aise me vs ki khopdi ka nishana ka kya matlab yadi vs ko sara payment diya gaya to verma ke bande kya tea pine aaye the payment vs ya aa nahi banda hi sign karwa karv de raha tha to jinhone payment na liya uske liye vs ko doshi mane to aa bhi dosin honge aa mere 200 dost h bt jara socho vs se mera koiw nata nahi aa ne milaya & chaptar close sptiwariji i m vvv lucky ki is lafde me nahi fansa aap sabhi dosto se meri puri sympathy ha u tell me aap log ke liye kya kar sakta hu bt vs par sab dosh dalkar verma sharma saxena aadi ko bari nahi kiya ja sakta bada bewkuf malik h ya bada shatir ki sabka mal gawa chuka h ya haddppa ki tarah hadpana & sare dosto ko namaskar salam sabba khaier shabnam ko salam aa ko namaskar aap logo ke sath hu yarr kal b tha aaj b hu & always rahunga kyoki i m journalist so apni biradari ke sath rahna h meri wafadari h sabnam janti h ki wafa ke mayne kya hota h

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