ब्रिटेन में पाकिस्तानियों पर बहस
ब्रिटेन में एक वरिष्ठ राजनेता जैक स्ट्रॉ के इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है कि पाकिस्तानी मूल के कुछ युवा यौन शोषण के लिए गोरी लड़कियों को आसान शिकार समझते हैं.
उनका ये बयान मध्य इंग्लैंड में कम उम्र की गोरी युवतियों का यौन शोषण करनेवाले एक गिरोह की जानकारी सामने आने के बाद आया है.
इस गिरोह के सरगना पाकिस्तानी मूल के युवा थे जिन्हें जेल की सज़ा सुनाई गई है.
कुछ मुस्लिम समूहों ने पाकिस्तानी मूल के समुदाय के बीच समस्या होने की बात को स्वीकार किया है लेकिन उन्होंने इस समस्या को नस्ल या धर्म से जोड़कर देखे जाने को ख़तरनाक बताया है.
वहीं जैक स्ट्रॉ ने मुस्लिम समुदाय से इस बारे में और ख़ुलकर चर्चा करने का आग्रह किया है.
मामला
जब उनमें टेस्टेस्टेरॉन का स्तर बढ़ा होता है, तो उन्हें कुछ ना कुछ चाहिए होता है, मगर पाकिस्तानी मूल की लड़कियाँ पहुँच में नहीं होतीं, और उनसे अपेक्षा ये होती है कि वे पाकिस्तान की किसी पाकिस्तानी लड़की से ही शादी करें, तो ऐसे में वे दूसरे रास्तों की तलाश करते हैं
जैक स्ट्रॉ, ब्रिटिश सांसद
इस शुक्रवार मध्य इंग्लैंड में नॉटिंघम क्राउन कोर्ट ने पाकिस्तानी मूल के दो युवकों – 27 वर्षीय आबिद सिद्दीक़ और 28 वर्षीय मोहम्मद लियाक़त को दोषी ठहराते हुए सज़ा सुनाई.
सिद्दीक़ को कम-से-कम 11 और लियाक़त को कम-से-कम आठ साल सलाखों के पीछे बिताना पड़ेगा.
ये दोनों एक ऐसे गिरोह के सरगना पाए गए जो मध्य इंग्लैंड में जवान लड़कियों का यौन शोषण करते थे जिनमें बलात्कार भी शामिल है.
इस मामले में कुल 26 युवतियों के शोषण की बात सामने आई जिनकी उम्र 12 साल से 18 साल के बीच है.
कई पीड़ित युवतियों के साथ जबरन शराब और नशीले पदार्थ खिलाकर गाड़ियों, किराए के घरों और होटलों में यौन दुर्व्यवहार किया गया.
छह और लोगों को इस मामले में उनके अपराध के लिए पहले ही सज़ा सुनाई जा चुकी है.
सातवें व्यक्ति को यौन अपराधों के लिए तो दोषी नहीं पाया गया मगर उसने कोकीन उपलब्ध करवाने का अपराध स्वीकार कर लिया है.
पाकिस्तानी
गिरोह के दोनों सरगनाओं को सज़ा सुनाते हुए न्यायाधीश ने ज़ोर देकर कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ये यौन हमले नस्ल से संबंधित हैं, मगर ये ज़रूर है कि जिन लड़कियों को शिकार बनाया गया उसके पीछे सोच ये थी कि वे आसानी से फंदे में फँस सकती हैं.
लेकिन इस सिलसिले में ब्रिटेन के एक अख़बार ने अपनी पड़ताल के बाद रिपोर्ट की कि पिछले 14 वर्षों में इस तरह के 17 मामले चले और जिन 56 लोगों को सज़ा हुई उनमें 53 एशियाई मूल के थे.
अब ब्रिटेन के एक वरिष्ठ राजनेता जैक स्ट्रॉ ने कह दिया है कि उन्हें लगता है कि कुछ समुदायों के भीत समस्याएँ हैं जिनसे कि पाकिस्तानी मूल के पुरूषों के बीच ऐसी धारणा बन गई है कि गोरी जवान लड़कियाँ आसानी से हाथ आ सकती हैं.
जैक स्ट्रॉ एक ऐसे क्षेत्र से लेबर पार्टी के सांसद हैं जहाँ पाकिस्तानी मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है.
जैक स्ट्रॉ ने कहा,"जब उनमें टेस्टेस्टेरॉन का स्तर बढ़ा होता है, तो उन्हें कुछ ना कुछ चाहिए होता है, मगर पाकिस्तानी मूल की लड़कियाँ पहुँच में नहीं होतीं, और उनसे अपेक्षा ये होती है कि वे पाकिस्तान की किसी पाकिस्तानी लड़की से ही शादी करें, तो ऐसे में वे दूसरे रास्तों की तलाश करते हैं."
चिंता
ऐसी धारणा है कि ऐसे कुछ युवा लोग गोरी लड़कियों को बराबर नहीं समझते, उन्हें नहीं लगता है कि उनका नैतिक स्तर उनकी अपनी बहन-बेटियों की तरह ऊँचा है, और मुझे लगता है कि ये ग़लत है.
मोहम्मद शफ़ीक़, रमज़ान फ़ाउंडेशन
जैक स्ट्रॉ के इस बयान को कई लोग ख़तरनाक बता रहे हैं क्योंकि इससे लोग पाकिस्तानी युवकों के बारे में एक धारणा बना लेने को प्रेरित होंगे.
लेकिन कई मुस्लिम समूहों ने स्वीकार किया है कि कुछ समस्या ज़रूर है.
मुस्लिम युवा संगठन - रमज़ान फ़ाउंडेशन - के मोहम्मद शफ़ीक़ कहते हैं,"ऐसी धारणा है कि ऐसे कुछ युवा लोग गोरी लड़कियों को बराबर नहीं समझते, उन्हें नहीं लगता है कि उनका नैतिक स्तर उनकी अपनी बहन-बेटियों की तरह ऊँचा है, और मुझे लगता है कि ये ग़लत है. ये एक तरह का नस्लवाद है जिसकी किसी भी सभ्य समाज में निंदा होनी चाहिए."
उन्होंने साथ ही कहा कि ये समस्या किसी नस्ल या धर्म से नहीं जुड़ी है और जो लोग ग़लत हैं उन्हें बस अपराधी की तरह देखा जाना चाहिए.
जैक स्ट्रॉ ने बीबीसी के साथ अपनी बातचीत में ये स्वीकार किया कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि ब्रिटेन की जेलों में यौन अपराधों के लिए सज़ा काट रहे अपराधी केवल पाकिस्तानी हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही मुस्लिम समुदाय से आह्वान किया कि वो इस मुद्दे पर और खुलकर विचार करे.
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