Saturday, January 8, 2011


कितना विभाजित है सूडान

अफ़्रीका का सबसे बड़ा देश सूडान विभाजन की कगार पर है. रविवार को देश के दक्षिणी हिस्से के लोग इस मामले पर वोट कर रहे हैं कि उन्हें उत्तरी हिस्से का साथ रहना है या नहीं. माना जा रहा है कि दक्षिणी सूडान आज़ादी के हक़ में वोट करेगा.
ये नक़्शा साबित करता है कि सूडान पहले से ही कितना विभाजित है. धनी, अरबी बोलने वाले और मुस्लिम उत्तर का हिस्सा हैं, जबकि दक्षिणी हिस्सा वर्षों के संघर्ष और अनदेखी के कारण बदहाल रहा है.
सूडानः एक विभाजित देश
जैसाकि नासा के इस उपग्रह से लिए गए चित्र में नज़र आ रहा है, सूडान की विभाजन रेखा अंतरिक्ष से भी देखी जा सकती है. उत्तरी राज्य मरुस्थल हैं जहाँ नील का उपजाऊ इलाक़ा भी नज़र आ रहा है. दक्षिणी सूडान घास, दलदल और 
वनों से ढंका हुआ है.

सूडान में जनमत संग्रह शुरु

दक्षिणी सूडान
दक्षिणी सूडान में आज़ादी के लिए जनमत संग्रह हो रहा है.
दक्षिणी सूडान की आज़ादी के लिए होने वाले जनमत संग्रह में बड़ी संख्या में लोग हिस्सा ले रहे हैं और इलाक़े में खुशी का माहौल देखा जा सकता है.
इस जनमत संग्रह के ज़रिए उत्तर और दक्षिणी सूडान अलग अलग हो जाएंगे और एक लंबे गृह युद्ध का अंत होगा जिसके बाद दोनों क्षेत्रों की अलग अलग देशों के रुप में पहचान बन सकेगी.
उत्तरी सूडान में मुसलिम बहुत आबादी और वहां के नेता अभी भी दक्षिणी सूडान में हो रहे जनमत संग्रह को पचा नहीं पा रहे हैं लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकना पडा है.
दबाव के आगे उन्होंने जनमत संग्रह को माना है जिसमें लोगों के पास अलग राष्ट्र बनाने के लिए मत देने का विकल्प है.
हालांकि जनमत संग्रह के बाद भी दोनों क्षेत्रों के बीच कई और महत्वपूर्ण मुद्दों का निपटारा होना बाकी है. सीमा, ऋण और तेल संसाधन जैसे मुद्दे काफ़ी जटिल हैं और दुनिया के सबसे नए देश का निर्माण बहुत आसान नहीं होगा.
उत्तरी सूडान में माहौल ग़मगीन दिखता है. यहां न तो लोग सड़कों पर हैं और न ही कोई गीत गाता दिखता है. इस इलाक़े में लोग मंहगाई को लेकर चिंतित दिखते हैं और लोग डरे हुए हैं क्योंकि सूडान के अधिकतर तेल संसाधन दक्षिणी सूडान में हैं.
जनमत संग्रह से पहले क्षेत्र के नेता सलवा कीर ने कहा है कि उत्तरी और दक्षिणी सूडान के पास शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के अलावा और कोई चारा नहीं है.
कीर ने कहा कि जनमत संग्रह अंत नहीं है बल्कि एक यात्रा की शुरुआत है.
दक्षिणी सूडान में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि यहां माहौल में खुशी है और लोग राजधानी जुबा में सड़कों पर आ गए हैं और खुशी के गीत गा रहे हैं.
अगले एक हफ्ते तक होने वाले जनमत संग्रह में दक्षिणी सूडान के लोग अपनी आज़ादी के लिए मतदान करने वाले हैं.
इस जनमत संग्रह के परिणाम महीने के अंत तक और पूरे परिणाम फरवरी महीने में आ जाएंगे.


    दक्षिण सूडान अस्थिर राष्ट्र होगा:बशीर

    ओमर अल बशीर
    सूडान के राष्ट्रपति ने दी चेतावनी कि देश का विघटन अस्थिरता पैदा करेगा
    सूडान के राष्ट्रपति उमर अल बशीर ने चेतावनी दी है कि अगर दक्षिण सूडान उत्तर से अलग होने का फ़ैसला करता है तो उसे अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा.
    रविवार को सूडान के दो हिस्से किए जाने पर जनमत संग्रह होने वाला है.
    बशीर ने अल-जज़ीरा टीवी को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि दक्षिण सूडान न तो स्थिर राज्य गठित कर सकता है और न ही अपने नागरिकों की ज़रुरत पूरी कर सकता.
    ख़ारतूम में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि ये वक्तव्य छापामार संगठन एसपीएलएम को बेहद नाराज़ करेगा.
    2005 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से इन छापामारों का दक्षिण पर शासन था.
    रविवार को होने वाले अंतिम मतदान के पहले दक्षिण में रैलियों का आयोजन किया गया.
    संवाददाताओं का मानना है कि अधिकतर लोग सूडान के दो हिस्से करने के हक़ में मत डालेंगें और दुनिया के नवीनतम देश का जन्म होगा.
    उत्तर और दक्षिण के बीच दो दशकों तक चले गृह युद्ध को 2005 में समाप्त करते समय जो समझौता हुआ था उसमें जनमत संग्रह करवाने का वादा शामिल था.

    मुक्ति

    अरबी टीवी चैनल अल-जज़ीरा को दिए एक साक्षात्कार में बशीर ने कहा कि वो समझ सकते हैं कि दक्षिण के इतने सारे लोग क्यों स्वतंत्रता चाहते हैं. हालांकि उन्होंने इस बात पर चिंता भी व्यक्त की कि नया देश स्थितियों का सामना कैसे कर पाएगा.
    उनका कहना था, “दक्षिण कई समस्याओं से घिरा है. 1959 से यहाँ युद्ध चल रहा है. दक्षिण के पास न स्थिरता देने और न ही अपने लोगों की ज़रुरत पूरी करने की क़ाबलियत है.”
    बशीर ने कहा कि उत्तर में रहने वाले दक्षिण सूडानवासियों को दोहरी नागरिकता नहीं दी जाएगी.
    उन्होंने युरोपीय संध की तर्ज़ पर उत्तर-दक्षिण का एक संघ बनाने की बात की.
    उन्होंने ये भी चेतावनी दी कि अगर दक्षिण पूरे क्षेत्र को अपने कब्ज़े में करने की कोशिश करता है तो यहाँ युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है.
    विश्लेषकों का मानना हैं कि बशीर पर उत्तर के नेताओं का भारी दबाव है जो मानते हैं कि दक्षिण के उत्तर सूडान से अलग होने के बाद देश के और तुकड़े भी हो सकते हैं.
    उत्तर और दक्षिण सूडान दशकों से धर्म और जाति के विरोधाभासों के कारण आपस में लड़ते रहे हैं.
    दक्षिण के लोगों का कहना हैं कि ख़ारतूम की सरकार के तहत उनके साथ हमेशा दुर्वव्यवार हुआ है.
    अब दक्षिण सूडानवासियों के पास एक सप्ताह होगा जिसमें वो दुनिया के एक सबसे पिछड़े इस क्षेत्र के भविष्य पर अपना मत डाल सकेंगे.
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