Saturday, December 25, 2010

पत्रकारिता विश्वविद्यालय का भ्रमण भोपाल 14 अक्टूबर।माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो। मीडिया और शासन समाज के दिशावाहकों में से एक हैं। इसलिए इनको अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली में सकारत्मकता रखना बेहद जरुरी है। वे यहां विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक भ्रमण के अन्तर्गत भोपाल आए पुणे स्थित एमआईटी स्कूल ऑफ गर्वमेंट के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। प्रो. कुठियाला ने छात्रों को मीडिया की मूलभूत जानकारी देते हुए कहा कि दोनों संस्थानों का मूल उद्देश्य समान है, जहाँ एमआईटी का उद्देश्य बेहतर शासन प्रणाली के लिए अच्छे राजनेता पैदा करना है, वहीं पत्रकारिता विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल पत्रकार बनाना नहीं बल्कि विद्यार्थियों को अच्छा संचारक बनाना भी है। ताकि वे समाज के मेलजोल और सदभाव के लिए काम करें। प्रो. कुठियाला ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, उद्देश्य एवं लक्ष्यों के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। एक प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा व्यवसायीकरण और व्यापारीकरण में अन्तर पहचानना बेहद जरूरी है। किसी भी वस्तु या सेवा के व्यवसायीकरण में बुराई नहीं है, समस्या तब शुरू होती है जब उसका व्यापारीकरण होने लगता है। वर्तमान मीडिया, इसी स्थिति का शिकार है। संवाद पर आधारित इस क्षेत्र का इतना व्यापारीकरण कर दिया गया है कि सूचना अब भ्रमित करने लगी है, उकसाने लगी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया की जिम्मेदारी केवल मीडिया के लोगों पर छोड़ना ज्यादती होगी, इसलिए जरूरी है कि समाज के अन्य वर्ग भी मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी समझे एवं निभाएं। कार्यक्रम के प्रारंभ में एमआईटी, पुणे के छात्रों ने अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर प्रो. कुठियाला का स्वागत किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी , जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डा. जया सुरजानी, गरिमा पटेल एवं कई शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन एमआईटी संस्थान की शिक्षिका सीमा गुंजाल एवं आभार प्रदर्शन एमआईटी के ओएसडी संकल्प सिंघई ने व्यक्त किया। (डा. पवित्र श्रीवास्तव) आपको यह भी पसंद आयेंगे: पत्रकारिता विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय प्रेस दिवस का आयोजन शिक्षकों के सम्मान के लिए छात्रों ने चलाया हस्ताक्षर अभियान संजय द्विवेदी की मीडिया केंद्रित पुस्तक का लोकार्पण 22 को कला आलोचना में व्यापक संभावनाएं : मनीष चुनौतियां बहुत हैं इलेक्ट्रानिक मीडिया में मीडिया की आचार संहिता बनाएगा पत्रकारिता विश्वविद्यालय अखबारों में अभी अच्छा काम करने की गुंजाइश: रोशन पत्रिका ‘पॉलिटिकल स्पार्क’ का विमोचन संपन्‍न बदलते मीडिया और उसकी जरूरतों को समझना जरूरी स्वयं के रुतबे की खातिर विश्वविद्यालय की बलि ! प्रवक्ता.कॉम के लेखों को अपने मेल पर प्राप्त करने के लिए अपना ईमेल पता यहाँ भरें: परिचर्चा में भाग लेने या विशेष सूचना हेतु : यहाँ सब्सक्राइव करें October 14th, 2010 | Tags: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय | Category:प्रवक्ता न्यूज़ | Print This Post | Email This Post | 65 views 3 Responses to “बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला” 3sunil patel Says: December 6th, 2010 at 9:43 pm आदरणीय कुठियाला जी ने बहुत अछि बात कही है की का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो। किन्तु वास्तिवकता में शासन में सकारात्मकता की बात होती है ही नहीं. लगभग सभी जगह शासन तंत्र में वोही कहा जाता है, लिखा जाता है और लिखवाया जाता है जो की उच्च स्तरीय अधिकारियो को पसंद होता है. अगर उच्च अधिकारी कहता है की किसी जानवर की छः टाँगे है तो मातहत कहेंगे की टाँगे सात हो सकती है किन्तु पांच नहीं होंगी. 2डॉ. प्रो. मधुसूदन उवाच Says: October 15th, 2010 at 8:34 pm क्षेत्रसे अनभिज्ञ होते हुए भी, मुझे यह मौलिक बिंदु, कि, “सकारात्मक संचार की तीव्र ज़रूरत” बहुत बहुत समयोचित एवं आवश्यक प्रतीत हुआ। वास्तवमें हर चर्चा, हर बहस, हर वाद विवाद (संवाद पढिए), शासन, समाचार प्रस्तुति—– इत्यादि सत्य शोधन की दृष्टि और सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत हो।(दीनदयाल जी यही, मानते थे।) समस्या सुलझानेकी दृष्टिसे संवाद (वाद विवाद नहीं) हो। बहुतेरे वाद विवाद हार-जीत की भावना से किए जाते हैं। सामने वाले का सम्मान करते हुए, जब अपना पक्ष हम रखते हैं, तो वैमनस्य होनेकी संभावना कम हो जाती है। किंचित विषयसे हटकर टिप्पणी की है, पर सकारात्मकता के अभाव से, और वैमनस्यता के प्रभाव से माध्यम इतने ग्रस्त है, कि हरेक स्थान, हरेक विषय, हरेक समाचार आज केवल द्वंद्वसे प्रेरित है। वास्तवमें कुठियाला जी का यह केंद्रीय विचार हर क्षेत्रमें लागु होता है। हर कोई को शासक, पाठक, समाचार, संवाद, संस्थाएं, इसीसे प्रेरित होने चाहिए। २१ वी शती भारतके उदयकी राह, विश्वके सह-अस्तित्ववादी(जो और कहीं नहीं दिखता।) विचारके कारण ही देख रही है। दीर्घ और कुछ विषयातीत टिप्पणी का दोष स्वीकार है, पर आवश्यक। 1Anil Sehgal Says: October 15th, 2010 at 6:47 pm बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला (डा. पवित्र श्रीवास्तव) मीडिया सेवा अब व्यापारीकरण का शिकार है. सूचना अब भ्रमित करने लगी है. इसलिए समाज के अन्य वर्ग मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी निभाएं. डा. पवित्र श्रीवास्तव, कृपया मार्ग दर्शन करें कि: प्रो. कुठियाला की नज़र में यह जिम्मेदारी कैसे निभाएं और साधन कहाँ से लायें ? - अनिल सहगल - Leave a Reply Name (required) Mail (will not be published) (required) Website Notify me of followup comments via e-mail Type Comments in Indian languages (Press Ctrl+g to toggle between English and हिंदी OR just Click on the letter) सबस्क्राइब प्रवक्‍ता डॉट कॉम के लेखों को अपने ईमेल पर प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए बॉक्‍स में अपना ईमेल पता भरें: प्रवक्ता पर लेख भेजे प्रवक्ता पर लेख भेजने के लिए यहां क्लिक करें या फिर सीधे prawakta@gmail.com पर हमें लिख भेजें। परिचर्चा स्वस्थ बहस ही लोकतंत्र का प्राण होती है। यहां आप समसामयिक प्रश्‍नों पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। विषय सूची अब तक लेखक के अनुसार पढ़ें आपने कहा… abhishek purohit on क्या सत्तालोलुप कांग्रेस भारत को एक और विभाजन की ओर ले जाना चाहती है? himwant on विनायक सेन, माओवाद और बेचारा जनतंत्र Radheshyam on देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी (87 वें जन्म दिन पर विशेष) Radheshyam on हिंदी-संस्कृत-अंग्रेज़ी स्रोत -पहला भाग dr.rajesh kapoor on महत्वपूर्ण ये है कि हाथ “किसका” काटा गया है… उसके अनुसार कार्रवाई होगी… डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'/Dr. Purushottam Meena 'Nirankush' on क्या सत्तालोलुप कांग्रेस भारत को एक और विभाजन की ओर ले जाना चाहती है? abhishek purohit on हिन्दी का भाषा वैभव – डॉ. मधुसूदन उवाच abhishek purohit on ‘प्रवक्ता, प्रावदा, और प्रॉवोक’- संस्कृत स्रोत sunil patel on इंटरनेट पर हिन्दी वालों में भाषायी विभ्रम Ateet Agrahari on महत्वपूर्ण ये है कि हाथ “किसका” काटा गया है… उसके अनुसार कार्रवाई होगी… POLLS कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के इस कथन से आप सहमत हैं कि भारत को इस्लामी आतंकवादियों से अधिक हिंदुत्ववादी संगठनों से खतरा है ? हां नहीं View Results Polls Archive FOLLOW US ON  लेखक परिचय प्रो. बृजकिशोर कुठियाला लेखक माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति हैं संपर्कः कुलपतिः माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, विकास भवन, प्रेस काम्पलेक्स, एमपी नगर, भोपाल (मप्र) आज का विचार जिस काम की तुम कल्पना करते हो उसमें जुट जाओ। साहस में प्रतिभा, शक्ति और जादू है। साहस से काम शुरु करो पूरा अवश्य होगा। - अज्ञात संपादक की कलम से… ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता प्रवक्ता डॉट कॉम के दो वर्ष पूरे होने पर ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता विषय: वेब पत्रकारिता : चुनौतियाँ व सम्भावनाएँ प्रथम पुरस्कार- रु. 1500/- द्वितीय पुरस्कार- रु. 1100/- अंतिम तिथि: 31 दिसम्बर, 2010 ‘प्रवक्ता’ के दो वर्ष पर विशेष-वार्ता नवीनतम पोस्ट विनायक सेन, माओवाद और बेचारा जनतंत्र हिंदी-संस्कृत-अंग्रेज़ी स्रोत -पहला भाग धार्मिक प्रसारण की साम्प्रदायिक रंगतें साइबर वर्ल्ड वार देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी (87 वें जन्म दिन पर विशेष) आस्था तत्व के बिना तो साहित्य रचना ही असंभव है जरुर पढ़ें परिचर्चा : यूपीए सरकार और भ्रष्‍टाचार बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम पर परिचर्चा ‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ के दो वर्ष पूरे होने पर विशेष प्रवक्ता डॉट कॉम के दो साल पूरे होने पर ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और सिमी में कोई फर्क नहीं : राहुल गांधी परिचर्चा : अयोध्‍या मामले पर इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ का निर्णय जाति प्रथा का विनाश एलेक्‍सा एक लाख क्लब में ‘प्रवक्‍ता’ शामिल पुरुष से ऊंचा स्‍थान है नारी का हिंदू परंपरा में परि 


बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला



एमआईटी स्कूल आफ गर्वमेंट के छात्रों ने किया पत्रकारिता विश्वविद्यालय का भ्रमण
भोपाल 14 अक्टूबर।माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो। मीडिया और शासन समाज के दिशावाहकों में से एक हैं। इसलिए इनको अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली में सकारत्मकता रखना बेहद जरुरी है।
वे यहां विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक भ्रमण के अन्तर्गत भोपाल आए पुणे स्थित एमआईटी स्कूल ऑफ गर्वमेंट के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। प्रो. कुठियाला ने छात्रों को मीडिया की मूलभूत जानकारी देते हुए कहा कि दोनों संस्थानों का मूल उद्देश्य समान है, जहाँ एमआईटी का उद्देश्य बेहतर शासन प्रणाली के लिए अच्छे राजनेता पैदा करना है, वहीं पत्रकारिता विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल पत्रकार बनाना नहीं बल्कि विद्यार्थियों को अच्छा संचारक बनाना भी है। ताकि वे समाज के मेलजोल और सदभाव के लिए काम करें। प्रो. कुठियाला ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, उद्देश्य एवं लक्ष्यों के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। एक प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा व्यवसायीकरण और व्यापारीकरण में अन्तर पहचानना बेहद जरूरी है। किसी भी वस्तु या सेवा के व्यवसायीकरण में बुराई नहीं है, समस्या तब शुरू होती है जब उसका व्यापारीकरण होने लगता है। वर्तमान मीडिया, इसी स्थिति का शिकार है। संवाद पर आधारित इस क्षेत्र का इतना व्यापारीकरण कर दिया गया है कि सूचना अब भ्रमित करने लगी है, उकसाने लगी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया की जिम्मेदारी केवल मीडिया के लोगों पर छोड़ना ज्यादती होगी, इसलिए जरूरी है कि समाज के अन्य वर्ग भी मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी समझे एवं निभाएं। कार्यक्रम के प्रारंभ में एमआईटी, पुणे के छात्रों ने अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर प्रो. कुठियाला का स्वागत किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी , जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डा. जया सुरजानी, गरिमा पटेल एवं कई शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन एमआईटी संस्थान की शिक्षिका सीमा गुंजाल एवं आभार प्रदर्शन एमआईटी के ओएसडी संकल्प सिंघई ने व्यक्त किया। (डा. पवित्र श्रीवास्तव)

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3 Responses to “बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला”

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    sunil patel Says:
    आदरणीय कुठियाला जी ने बहुत अछि बात कही है की का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो।
    किन्तु वास्तिवकता में शासन में सकारात्मकता की बात होती है ही नहीं. लगभग सभी जगह शासन तंत्र में वोही कहा जाता है, लिखा जाता है और लिखवाया जाता है जो की उच्च स्तरीय अधिकारियो को पसंद होता है. अगर उच्च अधिकारी कहता है की किसी जानवर की छः टाँगे है तो मातहत कहेंगे की टाँगे सात हो सकती है किन्तु पांच नहीं होंगी.
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    डॉ. प्रो. मधुसूदन उवाच Says:
    क्षेत्रसे अनभिज्ञ होते हुए भी, मुझे यह मौलिक बिंदु, कि, “सकारात्मक संचार की तीव्र ज़रूरत” बहुत बहुत समयोचित एवं आवश्यक प्रतीत हुआ। वास्तवमें हर चर्चा, हर बहस, हर वाद विवाद (संवाद पढिए), शासन, समाचार प्रस्तुति—– इत्यादि सत्य शोधन की दृष्टि और सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत हो।(दीनदयाल जी यही, मानते थे।)
    समस्या सुलझानेकी दृष्टिसे संवाद (वाद विवाद नहीं) हो। बहुतेरे वाद विवाद हार-जीत की भावना से किए जाते हैं। सामने वाले का सम्मान करते हुए, जब अपना पक्ष हम रखते हैं, तो वैमनस्य होनेकी संभावना कम हो जाती है।
    किंचित विषयसे हटकर टिप्पणी की है, पर सकारात्मकता के अभाव से, और वैमनस्यता के प्रभाव से माध्यम इतने ग्रस्त है, कि हरेक स्थान, हरेक विषय, हरेक समाचार आज केवल द्वंद्वसे प्रेरित है। वास्तवमें कुठियाला जी का यह केंद्रीय विचार हर क्षेत्रमें लागु होता है। हर कोई को शासक, पाठक, समाचार, संवाद, संस्थाएं, इसीसे प्रेरित होने चाहिए। २१ वी शती भारतके उदयकी राह, विश्वके
    सह-अस्तित्ववादी(जो और कहीं नहीं दिखता।) विचारके कारण ही देख रही है। दीर्घ और कुछ विषयातीत टिप्पणी का दोष स्वीकार है, पर आवश्यक।
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    Anil Sehgal Says:
    बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला (डा. पवित्र श्रीवास्तव)
    मीडिया सेवा अब व्यापारीकरण का शिकार है. सूचना अब भ्रमित करने लगी है. इसलिए समाज के अन्य वर्ग मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी निभाएं.
    डा. पवित्र श्रीवास्तव, कृपया मार्ग दर्शन करें कि:
    प्रो. कुठियाला की नज़र में यह जिम्मेदारी कैसे निभाएं और साधन कहाँ से लायें ?
    - अनिल सहगल -

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