Thursday, May 20th, 2010, 1:24 pm [IST]
वेद : दुनिया की सबसे पुरानी किताबें
धर्म डेस्क. उज्जैन
वेद दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। इन चार वेदों में जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं। ये मूलत: विचारों के ग्रंथ हैं, इस कारण इन्हें सारी संस्कृति विशेष रूप से आर्य संस्कृति के प्रारंभिक ग्रंथ माना गया है। वेद ज्ञान का भंडार हैं, विज्ञान हो या खगोल शास्त्र, यज्ञ विधि या देवताओं की स्तुति सभी चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) में है।
वेद का शाब्दिक अर्थ है ज्ञान या जानना। वेदों को पूरे विश्व में सबसे पुराने ग्रंथों के रूप में मान्यता मिल चुकी है। वेदों को श्रुति भी कहा जाता है, श्रुति यानी सुनकर लिखा गया। माना जाताहै कि ऋषि-मुनियों ने इन ग्रंथों को खुद ब्रह्मा से सुन कर लिखा था। वेदों की ऋचाओं (मंत्रों) में कई प्रयोग और सूत्र हैं। खगोल, विज्ञान, आयुर्वेद, तकनीकी हर क्षेत्र के लिए विभिन्न मंत्र हैं। नासा ने भी वेदों में छिपे ज्ञान को प्रामाणिक माना है। उपनिषदों का रचनाकाल करीब 4000 साल पुराना है, इस आधार पर यह माना जाता है कि वेदों का रचनाकाल 5000 हजार वर्ष से भी पूर्व का है।
ऋग्वेद : ऋग्वेद सबसे पहला वेद है। इसमें धरती की भौगोलिक स्थिति, देवताओं के आवाहन के मंत्र हैं। इस वेद में 1028 ऋचाएँ (मंत्र) और 10 मंडल (अध्याय) हैं।
यजुर्वेद : यजुर्वेद में यज्ञ की विधियाँ और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। इस वेद की दो शाखाएँ हैं शुक्ल और कृष्ण। 40 अध्यायों में 1975 मंत्र हैं।
सामवेद : इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं (मंत्रों) का संगीतमय रूप है। इसमें मूलत: संगीत की उपासना है। इसमें 1875 मंत्र हैं।
अथर्ववेद : इस वेद में रहस्यमय विद्याओं के मंत्र हैं, जैसे जादू, चमत्कार, आयुर्वेद आदि। यह वेद सबसे बड़ाहै, इसमें 20 अध्यायों में 5687 मंत्र हैं।
पहले एक ही थे वेदः
ऐसा प्रचलित है कि पहले वेद चार भागों में नहीं थे। ये एक ही थे। विद्वानों का मानना है कि महाभारत काल के बाद श्रीकृष्णद्वैपायन व्यास (वेदव्यास) ने इन्हें चार भागों में बाँटा। उनके चार शिष्य जो अपने समय के महान संत हुए, पैल, वैश्यंपायन, जैमिनि और सुमंतु ने उनसे इनकी शिक्षा पाई थी। इसके बाद इन चार वेदों ही चलन हुआ। कई विद्वानों का यह भी मानना है कि वेद ब्रह्मा की मानसपुत्री गायत्री से उत्पन्न हुए हैं। गायत्री ही इन वेदों की रचनाकार भी मानी गई हैं।
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* ऐसे पाएं मोक्ष सिखाते हैं वेद
वेद का शाब्दिक अर्थ है ज्ञान या जानना। वेदों को पूरे विश्व में सबसे पुराने ग्रंथों के रूप में मान्यता मिल चुकी है। वेदों को श्रुति भी कहा जाता है, श्रुति यानी सुनकर लिखा गया। माना जाताहै कि ऋषि-मुनियों ने इन ग्रंथों को खुद ब्रह्मा से सुन कर लिखा था। वेदों की ऋचाओं (मंत्रों) में कई प्रयोग और सूत्र हैं। खगोल, विज्ञान, आयुर्वेद, तकनीकी हर क्षेत्र के लिए विभिन्न मंत्र हैं। नासा ने भी वेदों में छिपे ज्ञान को प्रामाणिक माना है। उपनिषदों का रचनाकाल करीब 4000 साल पुराना है, इस आधार पर यह माना जाता है कि वेदों का रचनाकाल 5000 हजार वर्ष से भी पूर्व का है।
ऋग्वेद : ऋग्वेद सबसे पहला वेद है। इसमें धरती की भौगोलिक स्थिति, देवताओं के आवाहन के मंत्र हैं। इस वेद में 1028 ऋचाएँ (मंत्र) और 10 मंडल (अध्याय) हैं।
यजुर्वेद : यजुर्वेद में यज्ञ की विधियाँ और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। इस वेद की दो शाखाएँ हैं शुक्ल और कृष्ण। 40 अध्यायों में 1975 मंत्र हैं।
सामवेद : इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं (मंत्रों) का संगीतमय रूप है। इसमें मूलत: संगीत की उपासना है। इसमें 1875 मंत्र हैं।
अथर्ववेद : इस वेद में रहस्यमय विद्याओं के मंत्र हैं, जैसे जादू, चमत्कार, आयुर्वेद आदि। यह वेद सबसे बड़ाहै, इसमें 20 अध्यायों में 5687 मंत्र हैं।
पहले एक ही थे वेदः
ऐसा प्रचलित है कि पहले वेद चार भागों में नहीं थे। ये एक ही थे। विद्वानों का मानना है कि महाभारत काल के बाद श्रीकृष्णद्वैपायन व्यास (वेदव्यास) ने इन्हें चार भागों में बाँटा। उनके चार शिष्य जो अपने समय के महान संत हुए, पैल, वैश्यंपायन, जैमिनि और सुमंतु ने उनसे इनकी शिक्षा पाई थी। इसके बाद इन चार वेदों ही चलन हुआ। कई विद्वानों का यह भी मानना है कि वेद ब्रह्मा की मानसपुत्री गायत्री से उत्पन्न हुए हैं। गायत्री ही इन वेदों की रचनाकार भी मानी गई हैं।
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