‘विकीलीक्स’ ने खोजी पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया है
समाचार4मीडिया.कॉम
‘विकीलीक्स’ वेबसाइट आज किसी परिचय की मोहताज नहीं रही। इसने एक ऐसी वेबसाइट के रूप में ख्याति पाई है जिसने न सिर्फ दुनिया की दशा और दिशा तय करने वाले देश की राजनीतिक जड़ों को हिला कर रख दिया है बल्कि डिजिटल मीडिया के नए ताकतवर अवतार को भी दुनिया के सामने रखा है। यह परंपरागत मीडिया से कहीं ज्यादा प्रभावशाली और कम समय में पाठकों तक समाचार पहुंचाने का माध्यम बनकर भी उभरा है।
लेकिन इसने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। मीडिया के क्षेत्र में यह नयी ताकत के रुप में उभरा है साथ में नया खतरा भी। क्या यह डिजिटल मीडिया के लिए एक नया अवसर नहीं है? यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब इस तरह के दस्तावेज मीडिया के सामने हों तो पहले देशहित है या जनहित। सबसे अहम सवाल यह है कि ‘विकीलीक्स’ की तरह कोई वेबसाइट अगर भारत में काम करने लगे तो उसका अंजाम क्या होगा?
वेबसाइट पर खुलासे पहले भी हो चुके हैं
साइबर पत्रकार, पीयूष पाण्डे के अनुसार, “डिजीटल मीडिया में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी साइट ने बड़े खुलासे किए हों। propublic.org (प्रोपब्लिकाडॉटओआरजी) को तो पुलित्जर अवॉर्ड भी मिल चुका है। ‘तहलका’ भी मैच फिक्सिंग और रक्षा सौदों में दलाली का सनसनीखेज खुलासा कर चुकी है। लेकिन, ‘विकीलीक्स’ ने खोजी पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया है। ‘विकीलीक्स’ ने खोजी पत्रकारिता को तथ्यों के साथ परोसा और दुनिया के कई मुल्कों की राजसत्ता से जुड़े गड़बडझालों को सामने रखा।”
प्रवीण साहनी के अनुसार, “बदलते दौर में, समय की कमी और नेट फ्रेंडली समाज के लिए डिजिटल मीडिया एक अवसर लेकर आया है। यहां हम यह भी बताते चलें कि nnilive.com (एनएनआई लाइव डॉट कॉम) का कॉन्सेप्ट भी इसी पर आधारित है। हमने भी, ललित मोदी पर ड्रग्स रखने संबंधी एफआईआर की कॉपी के अलावा कुछ अन्य दस्तावेज उसी रूप में प्रकाशित किया था।”
‘वेबदुनिया’ कंटेंट हेड, जयदीप कर्णिका ने कहा, “विकीलिक्स ने जो तहलका मचाया है वो उन सूचनाओं के आधार पर मचाया है जो बहुत गोपनीय थीं और सार्वजनिक रूप से उजागर कर दी गईं। ये अलग तरह की पत्रकारिता जरूर है लेकिन मैं इसे अलग तरह का मीडिया नहीं मानूंगा। वो इसलिए की मीडिया में आज भी संपादक नाम की संस्था अस्तित्व में है।”
भारतीय डिजिटल मीडिया पर इसका प्रभाव
‘समयलाइव.कॉम’ के हेड, पाणिनी आनंद ने कहा कि “भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यहां पर ऐसी वेबसाइट नहीं आ सकती है। लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी एडिटोरियल कॉल को लेने वालों की होती है जो विश्वनीयता,पारदर्शिता और निष्पक्षता-पूर्व ऐसे दस्तावेजों को पाठकों के सामने लाये। ‘विकीलीक्स’ से ख़बरें निकल रही है वो दुनिया के शक्तिशाली राज्यों के बारे में बात कर रही हैं। ‘विकीलिक्स’ की बटुली से अभी कुछ ही चावल निकले हैं अभी पूरा भात निकलना बाकी है, न जाने उन चावलों पर अभी किन-किन देशों का नाम लिखा हुआ है।”
साइबर पत्रकार, पीयूण पाण्डे के अनुसार, “डिजीटल मीडिया खुद अपनी जगह बना रहा है और जल्द ही इसकी गुणवत्ता और ब्रांडिंग इस तरह की होगी कि सभी लोग इससे जुड़ना चाहेंगे। ‘विकीलीक्स’ जैसी साइट कहीं भी आए, उसे विरोध झेलना ही पड़ेगा क्योंकि राजसत्ता कहीं की भी हो, वो अपने खिलाफ लगातार वार सहन नहीं कर पाती।”
‘वेबदुनिया’ कंटेंट हेड, जयदीप कर्णिका ने कहा, “डिजिटल मीडिया की सबसे बड़ी दिक्कत है, विश्वसनीयता की। जानकारी की अधिकता है और ऐसे में सही जानकारी तक पहुंचना कठिन है। दूसरा है पहुंच। राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करना गलत है, लेकिन जूलियन असांज ने जो किया वो इस सबसे कहीं आगे है.... वो राष्ट्र की सीमाओं से परे जाकर उठाया गया कदम है और इसके वास्तविक प्रभावों तक पहुंच पाने में अभी समय लगेगा...।”
नोट: समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडिया पोर्टल एक्सचेंज4मीडिया का उपक्रम है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें samachar4media@exchange4media.com पर भेज सकते हैं या 09899147504/ 09911612942
No comments:
Post a Comment