वेब मीडिया का भविष्य उज्ज्वल
-रामबिहारी सिंह
मीडिया की जरूरत प्राचीनकाल में भी थी और आधाुनिक काल में भी है। यह अलग बात है कि समय में बदलाव के साथ-साथ तकनीक के विकास ने इसको कई प्रकारों में विभक्त कर दिया है पर मीडिया की जरूरत आज भी है और आने वाले समय में भी रहेगी। तकनीक वह चीज है जो एक समय बाद या तो खुद बदल जाती है या अपने साथ समेटे माधयमों को भी बदलने पर विवश कर देती है। या कहें तो यह समय की जरूरत बन जाती है।कहना न होगा कि देश के साथ ही विदेशों में भी जिस तरह से मीडिया की भूमिका तेजी से बढ़ रही है, उससे इसके माधयम महत्वपूर्ण हो गए हैं। एक जमाना था जब मीडिया अपने शुरुआती काल में था तो मौखिक या लिखित रूप से संदेश पहुंचाए जाते थे। इसके बाद इसका स्थान टेबुलाइट अखबारों ने ले लिया। धाीरे-धाीरे तकनीक के विकास और समय के अनुसार बदलने की मांग के बाद इसने छोटे अखबारों का रूप लिया। इन सबके बाद तकनीक के विकास ने प्रिंट मीडिया के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया का उद्भव हुआ। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने के बाद तो यहां तक कहा जाने लगा था कि अब प्रिंट मीडिया के दिन लद जाएंगे और वह दिन दूर नहीं जब प्रिंट मीडिया के बजाय लोग इलेक्ट्रानिक मीडिया की ओर आकर्षित होंगे। शुरुआत में तो यही लगा था, किन्तु आज भी प्रिंट मीडिया बरकरार है, बल्कि पहले से भी अधिाक तेजी से विकास की राह पर अग्रसर है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में खबरों की जीवंतता और बेडरूम में बैठकर ही देश-दुनिया की खबरों से रूबरू होने से इसकी शुरुआत चौकाने वाली लग रही थी, पर यह आशंका निर्मूल साबित हुई औ आज हालात यह हैं कि विदेशों के साथ ही खासकर भारत में प्रिंट मीडिया ने नए आयाम स्थापित किये हैं। इस सबमें खास बात यह है कि भारत में प्रिंट मीडिया में सबसे ज्यादा भाषायी अखबारों के रूप में मीडिया ने उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है और आज देश का अधिाकांश भाग समाचार पत्रों की पकड़ में है। यह अलग बात है कि दूसरी ओर ग्रामीण भारत का बड़ा हिस्सा आज भी अखबारों की पहुंच से दूर है। यहां तक की इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने के बाद भी आज ग्रामीण क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा मीडिया की पहुंच से दूर है। कहने को तो सरकारी टेलीविजन चौनल दूरदर्शन की पकड़ देश के गांवों तक जरूर है, किन्तु यह चौनल, समाचार चौनल न होकर सिर्फ मनोरंजन का साधान बनकर रह गया है। हालांकि इसमें सुबह-शाम समाचार बुलेटिन का प्रसारण होता है, किन्तु ग्रामीण व दूरस्थ अंचलों में कहीं बिजली तो कहीं दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में सिग्रलों के अभाव में इसकी भी पहुंच संभव नहीं हो पा रही है। ऐसे में देश में भविष्य में मीडिया के रूप में चाहे वह प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया। इनका विस्तार भविष्य में और तेजी से होगा। तभी देश का समुचित हिस्सा मीडिया से किसी न किसी रूप में जुड़ पाएगा।
जहां तक वेब मीडिया में चुनौतियां और संभावनाओं का सवाल है तो इसका भविष्य उज्जल है और इसमें विकास की प्रबल संभावनाएं हैं। देश में जिस दर से शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है। शहरीकरण तेजी से हो रहा है। साथ ही तकनीक के विकास ने आज शहरों में हर घर में अपनी पहुंच बना ली है। दूसरी ओर आज नेटवर्क की उपलब्धाता भी किसी न किसी कंपनियों के माधयम से सस्ते व सुलभ रूप में मौजूद है। ऐसे में आज वेब मीडिया के सामने कोई नई चुनौती नहीं है, बल्कि भविष्य और उज्ज्वल है। आज की भागमभाग जिंदगी में हर व्यक्ति समय की लेकर परेशान है। एक समय था जब व्यक्ति घर पर बैठकर फुरसत में अखबार पढ़ते थे, समय बदला और इलेक्ट्रानिक मीडिया के तहत टीवी चौनल और रेडियो ने इसको भी बदल दिया। जमाने के साथ चलते-फिरते खबरों को पढने का सिलसिला शुरू हो गया। दूसरी ओर आज तकनीक ने दुनिया का समेट कर रख दिया है। तकनीक का ही कमाल है कि आज कोई भी व्यक्ति कहीं पर नेट पर बैठकर देश-दुनिया से सीधो तौर पर जुड़ सकता है और हर खबर और हलचल से रूबरू हो सकता है।
समय के तकाजे का देखते हुए आज जब लोगों को पास न तो घर पर समय है और न ही कार्यस्थल पर। ऐसे में यदि घर या कार्यालय पर काम के बीच थोड़ा वक्त निकालकर खबरों से रूबरू होने या देश-दुनिया के हाल जानने का साधान उपलब्धा हो तो यह लोगों के लिए अति उत्ताम है। वैसे देखा जाये तो यह सारी विशेषताएं वेब मीडिया में मौजूद हैं। ऐसे में लोगों के पास इससे उपयुक्त साधान और क्या हो सकता है कि काम के बीच में थोड़ा आराम, थोड़ा टाइमपास तो थोड़ा देश-दुनिया की खबर। वैसे इसका भविष्य इस रूप में भी और पुख्ता हो जाता है कि जहां प्रिंट मीडिया से बेहतर वेब मीडिया के लिए यह है कि किसी भी खबर के लिए अखबार में कम से कम आठ घंटे और अधिाकतम 24 घंटे तक समाचारों के लिए इंतजार करना पड़ता है। दूसरी ओर इलेक्ट्रानिक मीडिया में जहां समय को लेकर कोई पाबंदी नहीं है वहीं घर या आफिस में टीवी पर समाचार देखते समय आप कोई गंभीर कार्य नहीं कर सकते। या कहें कि इसके लिए आपको कार्यस्थल से अलग समय देना होता है। ऐसे में समय और उपलब्धाता के साथ ही तत्कालिकता के लिहाज के साथ ही आवागमन, कॉस्टिंग और समय के अनुकूल होने के चलते मीडिया का यह माधयम ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।
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December 6th, 2010 at 10:26 pm