प्रेस की आजादी पर अमेरिका का दोहरा रवैया
मो. इफ्तेख़ार अहमद,
विकीलीक्स के सूचना सुनामी से दहलने के बाद अमेरिका की बौखलाहट जह जाहिर हो चुकी है। आज अमेरिका सूचना के निर्बाध्य प्रवाह के समर्थक विकीलीक्स के पीछे पड़कर इंटरनेट की दुनिया से उसके सफाए या दूसरी ऽभाषा में कहें तो जुबान पर लगाम लगाने के सारे प्रयत्न कर रहा है। सर्वर बंद कराने ओर आर्थिक नाकेबंदी के साथ ही विकीलीक्स के संपादक जूलियन पॉल असांजे को आतंकी घोषित कर जानसे मारने की आवाज भी बुलंद कर रहा है। दरअसल अमेरिका का आरोप है कि विकीलीक्स के गोपनीय सूचना के खुलासे से वैश्विक शांति को खतरे में डाल दिया है।
हांलाकि असांजे के वकील ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि उनके मुवक्किल पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं। वे पूरी तरह पत्रकार हैं और पत्रकारिता के पेशे की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं । एक पत्रकार की जिम्मेदारी निभाते हुए उन्होंने इस जानकारी को पाठकों तक पहुंचाया। लिहाजा अमेरिकी कार्रवाई न सिर्फ असांजे, बल्कि पूरे पत्रकारिता के पेशे को अपराध की श्रोणी में रखने की साजिश है।
इन सबसे बेपरवाह अमेरिका एक बार फिर सूचना के निर्बाध्य प्रवाह का ठेका लेता नजर आ रहा है। बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अमेरिका ने वर्ष-२०११ में विश्व प्रेस आजादी दिवस की मेजबानी करने का फैसला करने के साथ ही सूचना के स्वतंत्र प्रवाह के पक्ष में जो तर्क दिया वो सब को चौकाने वाला है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि ऐसे में जब नए मीडिया ने नागरिकों को सशक्त किया है, हम इस बारे में चिंतित हैं कि कुछ सरकारें लोगों की आवाज को दबा रही हैं तथा सूचना के निर्बाध्य प्रवाह को बाधित कर रही हैं, लिहाजा इस श्डिजीटल युग में प्रेस की आजादी का प्रसार करने और सूचनाओं के निर्बाध्य प्रवाह की अपनी प्रतिबद्धता को साबित करने के लिए अमेरिका अगले साल मई में यूनेस्को के विश्व प्रेस आजादी दिवस कार्यक्रम की मेजबानी करेगा, क्योंकि अमेरिका ने अपने राजनयिक और विकास प्रयासों के लिए प्रौद्योगिकी एवं खोज को वरीयता दी है। गौरतलब है कि यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र की ऐसी एजेंसी है, जो अभिव्यक्ति की आजादी तथा प्रेस की आजादी को बढ़ावा देती है। अगले साल के कार्यक्रम का विषय २१ सेंचुरी मीडिया न्यू फ्रंटियर्स और न्यू बैरियर्स (यानी २१वीं सदी में मीडिया की नई सीमा रेखाएं और बाधाएं) है।
धूमिल चरित्र को चमकाने की फिराक में जुटा अमेरिका चाहे जो कह रहा हो, लेकिन विकीलीक्स के खुलासे से अमेरिका पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। लिहाजा सूचना के स्वतंत्र प्रवाह से अमेरिका का दूर-दूर तक कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है। इस मुद्दे को वह सिर्फ दुनिया के विकासशील देशों पर अपनी दादागिरी के लिए ही इस्तेमाल करता है। खुलेपन की वकालत करने वाले अमेरिका ने अब तक असांजे के उस चौलेंज का जवाब नहीं दिया है, जिसमें राष्ट्रपति बराक ओबामा की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर अमेरिका अंतरराष्टरीय नियमों का पालन करता हैं, तो संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और राजनयिकों की जासूसी की जांच होनी चाहिए और अगर ये साबित हो जाता है कि ये सब राष्ट्रपति ओबामा के कहने पर हुआ था तो राष्ट्रपति समेत ओबामा प्रशासन के सभी अधिकारियों को भी इस्तीफा देना चाहिए। इस दोहरे चरित्र के बाद अमेरिका छवि निर्माण के इस खेल में कितना कामयाब होता है ये तो देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना तो साफ है कि असांजे ने सूचना के स्वतंत्र प्रवाह के लिए जो काम किया है उसका फल उसे वैश्विक ख्याति और समर्थन मिलने लगा है।
संयुक्त राष्टरू मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने भी विकीलीक्स और उससे जुड़ी वेबसाइट को डराने की कोशिश को कानून के शासन पर हमला बताया है। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध राजनीतिक चिंतक और मानवाधिकार के मुद्दे पर अमेरिका को नाको चने चबवाने वाले प्रो. नोम चोक्स्की और क्रिकेटर इमरान की पूर्व पन्नी जेमिमा खान सहित दुनिया की प्रमुख हस्तियां विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के समर्थन में आगे आई हैं। जेमिमा ने अपने फैसले को जायज ठहराते हुए जोर देकर कहा है कि हम असांजे की रिहाई के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि यह पूरा मामला सूचना के सार्वभौमिक अधिकार से जुड़ा है तथा लोगों को सच्चाई जानने का अधिकार है। प्रोफेसर नोम चोक्स्की ने आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गेलार्ड को खुला पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह सुनिश्चित करें कि असांजे के जीवन को कोई खतरा नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा है कि आस्ट्रेलिया सरकार को असांजे के अधिकारों की रक्षा के लिए खुलकर बोलना चाहिए। वहीं ब्रिटेन के प्रमुख पत्रकारों ने असांजे को पत्रकारिता जगत का नायक करार दिया और कहा कि असांजे वह महान पत्रकार है, जिन्होंने शक्तिशाली विरोधियों की धमकियों की परवाह नहीं करते हुए पाठकों तक महत्वपूर्ण सूचनाएं पहुंचाईं हैं। वियतनाम में चालीस वर्ष पूर्व अमेरिकी सेना की कार्रवाई से जुड़े दस्तावेज श्पेंटागन पेपर्स उजागर करने वाले सैन्य विशेषज्ञ डेनियल एल्सबर्ग ने भी विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे का समर्थन किया है। गौरतलब है कि एल्सबर्ग ने ही वर्ष १९७१ में पेंटागन पेपर्स जारी किए थे, जिनमें वियतनाम में अमेरिकी सेना की कार्रवाईयों की गोपनीय जानकारियां थीं। विकीलीक्स खुलासे के पहले पेंटागन पेपर्स, खोजी पत्रकारिता का सबसे सशक्त उदाहरण माना जाता था। खुलेपन के समर्थक इस नायक ने अपने बयान में कहा है कि विकीलीक्स और असांजे के खिलाफ आज जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, उनका सामना उन्हें भी करना पड़ा था। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि हकीकत यह है कि जो राजनीतिक नेता गोपनीय विदेश नीति चला रहे हैं वे नहीं चाहते कि लोगों को सच्चाई का पता चले, लेकिन विकीलीक्स ने एक रहस्यपूर्ण बोतल से सूचनाओं का जिन्न बाहर निकाल दिया है। अमेरिकी सरकार हर कोशिश कर रही है कि इस जिन्न को बोतल में वापस कैसे बंद किया जाए, लेकिन सच्चाई ये है कि अब ऐसा करना नामुमकिन है। उधर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और एफबीआई सहित दुनिया की विभिन्न एजेंसियों से जुड़े रहे पूर्व जासूसों और राजनयिकों ने एक बयान में कहा है कि हकीकत यह है कि सूचना विस्फोट के इस युग मे भी आम आदमी को सच्चाई का पता लगा पाना बहुत मुश्किल है। विकीलीक्स के खुलासे से लोगों को ऐसे तथ्य पता चले हैं, जिनके आधार पर विदेशनीति चलती है, पर लोकतंत्र का तकाजा है कि लोगों को तथ्यों की जानकारी हो, ताकि वे किसी नीति के बारे में अपना मत बना सकें।
इन सबमें अगर सबसे मुखर होकर असांजे के समर्थन में कोई सामने कोई आईं हैं तो वह है जर्मनी की द डी लिंक जर्मन सोशलिस्ट पार्टी (वामपंथी) की नेता व उप प्रमुख सेविम दागडेलेन । दागडेलेन ने न सिर्फ जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल से विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन अंसाजे को राजनीतिक शरण देने की मांग की है, बल्कि संघीय संसद में द लिंक की उप प्रमुख की हैसियत से दागडेलेन ने कहा कि जर्मन सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के आधार पर अंसाजे को बिना शर्त समर्थन देना चाहिए। दागडेलेन इस मौके पर अमेरिका पर कुछ ज्यादा ही सख्त अल्फाज का इस्तेमाल करतीं नजर आई। उन्होंने अमेरिका को इस पूरे मामले पर कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इंटरनेट अमेरिका की बपौती नहीं है। इसके साथ ही अंसाजे के खिलाफ चलाए जा रहे अमेरिकी अभियान को शमर्नक बताया। काबिल-ए-गौर है कि दागडेलेन संसद के अंतरराष्ट्रीय आयोग की अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर अपनी पार्र्टी की प्रवक्ता ऽभी हैं।
विश्व विख्यात हस्तियों के समर्थन के साथ ही पाकिस्तान और फ्रांस की अदालतों ने भी विकीलीक्स मामले पर सकारात्क रुख दिखाया है। पाकिस्तान के लाहौर हाइकोर्ट व फ्रांस की अदालत ने विकीलीक्स वेबसाइट पर बैन लगाने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि २१वीं सदी में हर किसी को ये जानने का हक है कि दुनिया में क्या कुछ चल रहा है। लिहाजा सूचना को बदाया नहीं जा सकता है। वहीं ऽभारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुलकलाम ने भी इस पूरे प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र अपना काम कर रहा है। लोकतंत्र में खुलेपन का स्वागत होना चाहिए। अगर हम गलत नहीं है तो खुलेपन से डरने की किया जरूरत है।
दुनियाभर से असांजे को मिल रहे समर्थन ने ये साबित कर दिया है कि सूचना को छुपाने वालों से ज्यादा सम्मान सूचना दाताओं को मिलेगी। असांजे ने अपनी वेबसाइट विकीलीक्स के माध्यम से इस वर्ष इराक, अफगान युद्ध से जुडे मानवाधिकार उल्लंघन और युद्ध अपराध के रहस्यों से पर्दा उठाने के साथ ही अमेरिकी राजनयिकों के ढाई लाख गुप्त संदेशों को प्रसारित कर अमेरिका की नींद उड़ा दी है।
इन सबसे बेपरवाह अमेरिका एक बार फिर सूचना के निर्बाध्य प्रवाह का ठेका लेता नजर आ रहा है। बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अमेरिका ने वर्ष-२०११ में विश्व प्रेस आजादी दिवस की मेजबानी करने का फैसला करने के साथ ही सूचना के स्वतंत्र प्रवाह के पक्ष में जो तर्क दिया वो सब को चौकाने वाला है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि ऐसे में जब नए मीडिया ने नागरिकों को सशक्त किया है, हम इस बारे में चिंतित हैं कि कुछ सरकारें लोगों की आवाज को दबा रही हैं तथा सूचना के निर्बाध्य प्रवाह को बाधित कर रही हैं, लिहाजा इस श्डिजीटल युग में प्रेस की आजादी का प्रसार करने और सूचनाओं के निर्बाध्य प्रवाह की अपनी प्रतिबद्धता को साबित करने के लिए अमेरिका अगले साल मई में यूनेस्को के विश्व प्रेस आजादी दिवस कार्यक्रम की मेजबानी करेगा, क्योंकि अमेरिका ने अपने राजनयिक और विकास प्रयासों के लिए प्रौद्योगिकी एवं खोज को वरीयता दी है। गौरतलब है कि यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र की ऐसी एजेंसी है, जो अभिव्यक्ति की आजादी तथा प्रेस की आजादी को बढ़ावा देती है। अगले साल के कार्यक्रम का विषय २१ सेंचुरी मीडिया न्यू फ्रंटियर्स और न्यू बैरियर्स (यानी २१वीं सदी में मीडिया की नई सीमा रेखाएं और बाधाएं) है।
धूमिल चरित्र को चमकाने की फिराक में जुटा अमेरिका चाहे जो कह रहा हो, लेकिन विकीलीक्स के खुलासे से अमेरिका पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। लिहाजा सूचना के स्वतंत्र प्रवाह से अमेरिका का दूर-दूर तक कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है। इस मुद्दे को वह सिर्फ दुनिया के विकासशील देशों पर अपनी दादागिरी के लिए ही इस्तेमाल करता है। खुलेपन की वकालत करने वाले अमेरिका ने अब तक असांजे के उस चौलेंज का जवाब नहीं दिया है, जिसमें राष्ट्रपति बराक ओबामा की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर अमेरिका अंतरराष्टरीय नियमों का पालन करता हैं, तो संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और राजनयिकों की जासूसी की जांच होनी चाहिए और अगर ये साबित हो जाता है कि ये सब राष्ट्रपति ओबामा के कहने पर हुआ था तो राष्ट्रपति समेत ओबामा प्रशासन के सभी अधिकारियों को भी इस्तीफा देना चाहिए। इस दोहरे चरित्र के बाद अमेरिका छवि निर्माण के इस खेल में कितना कामयाब होता है ये तो देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना तो साफ है कि असांजे ने सूचना के स्वतंत्र प्रवाह के लिए जो काम किया है उसका फल उसे वैश्विक ख्याति और समर्थन मिलने लगा है।
संयुक्त राष्टरू मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने भी विकीलीक्स और उससे जुड़ी वेबसाइट को डराने की कोशिश को कानून के शासन पर हमला बताया है। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध राजनीतिक चिंतक और मानवाधिकार के मुद्दे पर अमेरिका को नाको चने चबवाने वाले प्रो. नोम चोक्स्की और क्रिकेटर इमरान की पूर्व पन्नी जेमिमा खान सहित दुनिया की प्रमुख हस्तियां विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के समर्थन में आगे आई हैं। जेमिमा ने अपने फैसले को जायज ठहराते हुए जोर देकर कहा है कि हम असांजे की रिहाई के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि यह पूरा मामला सूचना के सार्वभौमिक अधिकार से जुड़ा है तथा लोगों को सच्चाई जानने का अधिकार है। प्रोफेसर नोम चोक्स्की ने आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गेलार्ड को खुला पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह सुनिश्चित करें कि असांजे के जीवन को कोई खतरा नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा है कि आस्ट्रेलिया सरकार को असांजे के अधिकारों की रक्षा के लिए खुलकर बोलना चाहिए। वहीं ब्रिटेन के प्रमुख पत्रकारों ने असांजे को पत्रकारिता जगत का नायक करार दिया और कहा कि असांजे वह महान पत्रकार है, जिन्होंने शक्तिशाली विरोधियों की धमकियों की परवाह नहीं करते हुए पाठकों तक महत्वपूर्ण सूचनाएं पहुंचाईं हैं। वियतनाम में चालीस वर्ष पूर्व अमेरिकी सेना की कार्रवाई से जुड़े दस्तावेज श्पेंटागन पेपर्स उजागर करने वाले सैन्य विशेषज्ञ डेनियल एल्सबर्ग ने भी विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे का समर्थन किया है। गौरतलब है कि एल्सबर्ग ने ही वर्ष १९७१ में पेंटागन पेपर्स जारी किए थे, जिनमें वियतनाम में अमेरिकी सेना की कार्रवाईयों की गोपनीय जानकारियां थीं। विकीलीक्स खुलासे के पहले पेंटागन पेपर्स, खोजी पत्रकारिता का सबसे सशक्त उदाहरण माना जाता था। खुलेपन के समर्थक इस नायक ने अपने बयान में कहा है कि विकीलीक्स और असांजे के खिलाफ आज जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, उनका सामना उन्हें भी करना पड़ा था। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि हकीकत यह है कि जो राजनीतिक नेता गोपनीय विदेश नीति चला रहे हैं वे नहीं चाहते कि लोगों को सच्चाई का पता चले, लेकिन विकीलीक्स ने एक रहस्यपूर्ण बोतल से सूचनाओं का जिन्न बाहर निकाल दिया है। अमेरिकी सरकार हर कोशिश कर रही है कि इस जिन्न को बोतल में वापस कैसे बंद किया जाए, लेकिन सच्चाई ये है कि अब ऐसा करना नामुमकिन है। उधर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और एफबीआई सहित दुनिया की विभिन्न एजेंसियों से जुड़े रहे पूर्व जासूसों और राजनयिकों ने एक बयान में कहा है कि हकीकत यह है कि सूचना विस्फोट के इस युग मे भी आम आदमी को सच्चाई का पता लगा पाना बहुत मुश्किल है। विकीलीक्स के खुलासे से लोगों को ऐसे तथ्य पता चले हैं, जिनके आधार पर विदेशनीति चलती है, पर लोकतंत्र का तकाजा है कि लोगों को तथ्यों की जानकारी हो, ताकि वे किसी नीति के बारे में अपना मत बना सकें।
इन सबमें अगर सबसे मुखर होकर असांजे के समर्थन में कोई सामने कोई आईं हैं तो वह है जर्मनी की द डी लिंक जर्मन सोशलिस्ट पार्टी (वामपंथी) की नेता व उप प्रमुख सेविम दागडेलेन । दागडेलेन ने न सिर्फ जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल से विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन अंसाजे को राजनीतिक शरण देने की मांग की है, बल्कि संघीय संसद में द लिंक की उप प्रमुख की हैसियत से दागडेलेन ने कहा कि जर्मन सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के आधार पर अंसाजे को बिना शर्त समर्थन देना चाहिए। दागडेलेन इस मौके पर अमेरिका पर कुछ ज्यादा ही सख्त अल्फाज का इस्तेमाल करतीं नजर आई। उन्होंने अमेरिका को इस पूरे मामले पर कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इंटरनेट अमेरिका की बपौती नहीं है। इसके साथ ही अंसाजे के खिलाफ चलाए जा रहे अमेरिकी अभियान को शमर्नक बताया। काबिल-ए-गौर है कि दागडेलेन संसद के अंतरराष्ट्रीय आयोग की अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर अपनी पार्र्टी की प्रवक्ता ऽभी हैं।
विश्व विख्यात हस्तियों के समर्थन के साथ ही पाकिस्तान और फ्रांस की अदालतों ने भी विकीलीक्स मामले पर सकारात्क रुख दिखाया है। पाकिस्तान के लाहौर हाइकोर्ट व फ्रांस की अदालत ने विकीलीक्स वेबसाइट पर बैन लगाने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि २१वीं सदी में हर किसी को ये जानने का हक है कि दुनिया में क्या कुछ चल रहा है। लिहाजा सूचना को बदाया नहीं जा सकता है। वहीं ऽभारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुलकलाम ने भी इस पूरे प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र अपना काम कर रहा है। लोकतंत्र में खुलेपन का स्वागत होना चाहिए। अगर हम गलत नहीं है तो खुलेपन से डरने की किया जरूरत है।
दुनियाभर से असांजे को मिल रहे समर्थन ने ये साबित कर दिया है कि सूचना को छुपाने वालों से ज्यादा सम्मान सूचना दाताओं को मिलेगी। असांजे ने अपनी वेबसाइट विकीलीक्स के माध्यम से इस वर्ष इराक, अफगान युद्ध से जुडे मानवाधिकार उल्लंघन और युद्ध अपराध के रहस्यों से पर्दा उठाने के साथ ही अमेरिकी राजनयिकों के ढाई लाख गुप्त संदेशों को प्रसारित कर अमेरिका की नींद उड़ा दी है।
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