श्रीरामचरितमानस
(श्री राम चरित मानस से अनुप्रेषित)
श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचा एक महाकाव्य है। श्री रामचरित मानस भारतीय संस्कृति मे एक विशेष स्थान रखती है। उत्तर भारत में रामायण के रूप में कई लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। श्री राम चरित मानस मेंश्री राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में दर्शाया गया है जब कि महर्षि वाल्मीकि कृतरामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु रामसर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शरद नवरात्रि में इस के सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है।
रामचरित मानस १५वीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गयामहाकाव्य है। जैसा कि तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरंभ अयोध्यापुरी में विक्रम संवत १६३१ (१५७४ ईस्वी) के रामनवमी, जो कि मंगलवार था, को किया था। गीताप्रेस गोरखपुर के श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन उसे पूर्ण किया था. इस महाकाव्य की भाषा अवधी है जो किहिंदी की ही एक शाखा है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस को सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसी कृत रामायण' भी कहा जाता है।
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचन्द्र, जिन्हें कि केवल राम भी कहा जाता है, के निर्मल एवं विशद् चरित्र का वर्णन किया है। महर्षि वाल्मीकि रचित संस्कृत रचना रामायण को रामचरितमानस का आधार माना जाता है। यद्यपि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही राम के चरित्र का वर्णन है परंतु दोनों ही महाकाव्यों के रचने वाले कवियों की वर्णन शैली में उल्लेखनीय अंतर है। जहाँ वाल्मीकि ने रामायण में राम को केवल एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया है वहीं तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम को भगवान विष्णु का अवतार माना है।
रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसारअयोध्याकाण्ड और सुन्दरकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में हिंदी के अलंकारों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस पर प्रत्येक हिंदू की अनन्य आस्था है और इसे हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ माना जाता है।
[संपादित करें]अध्याय
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- रामचरितमानस (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (१०१-१५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (१५१-२००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (२०१-२५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (२५१-३००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (३०१-३५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (३५१-३६१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१०१-१५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१५१-२००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (२०१-२५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (२५१-३००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (३०१-३२६) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अरण्यकाण्ड (१-४६) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - किष्किन्धाकाण्ड (१-३०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड (५१-६०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (१०१-१२१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (१०१-१३१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामायण आरती (रामचरितमानस)
- रामचरितमानस - रामायण आरती का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- तुलसीदास
- वाल्मीकि रामायण
- वाल्मीकि रामायण (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - बालकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - अयोध्याकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - अरण्यकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
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- वाल्मीकि रामायण - उत्तरकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
- श्रीरामचरित मानस - मूलपाठ एवं अर्थ सहित (वेबदुनिया)
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- श्रीरामचरितमानस(हिंदीकुंज में )
- श्री रामचरित मानस
- हिन्दी में रामायण की कथाएं (आध्यात्मिक भारत)
- रामचरितमानस में शाश्वत जीवनमूल्य एवं रामायण की प्रासंगिकता (मधुमती पत्रिका)
- रामचरितमानस में मनोवैज्ञानिकता
- मानस की लोकप्रियता का सवाल (मधुमती)
- रामचरितमानस का साहित्यिक मूल्यांकन (गूगल पुस्तक; लेखक - सुधाकर पाण्डेय)
- श्रीरामचरितमानस : द्वितीय सोपान - अयोध्याकाण्ड (गूगल पुस्तक ; लेखक - डॉ योगेन्द्र प्रताप सिंह)
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