पिछले पांच साल में बिहार में स़डकों की कुल लंबाई 25 प्रतिशत बढ़ गई है। प्रदेश में सभी मौसम में परिवहन के योग्य स़डकों की कुल लंबाई 46,107 किलोमीटर है जिसमें से 10,000 किलोमीटर स़डकें पिछले पांच साल में बनाई गई हैं। पिछले पांच साल में बिहार में नदियों पर 2,100 पुल और बांध बनाए गए हैं। औसत निकाला जाए तो पिछले पांच साल में प्रदेश में हर डेढ़ दिन में एक पुल बना है जो कि आजादी के बाद के चार दशकों में बने पुलों से ज्यादा हैं। राज्य की सरकारी क्षेत्र की कम्पनी पुल निर्माण निगम का कारोबार वर्ष 2004-05 के 43 करो़ड रूपये से बढ़कर वर्ष 2008-09 में 858 करो़ड रूपये हो गया। पिछले चार साल में बिहार में दोहरे अंकों में विकास दर दर्ज की गई जबकि इस दौरान देश की विकास दर केवल आठ प्रतिशत प्रतिवर्ष रही है। इसके अलावा प्रदेश में पिछले साल रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 42 लाख रोजगार निर्मित हुए और कुल 10 करो़ड की जनसंख्या के 10 प्रतिशत हिस्से को इस योजना के तहत काम की गारंटी मिली। जानकारों के मुताबिक आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के क्षेत्र में विकास के अलावा प्रदेश में विभिन्न मामलौं में 54,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया और दोषी ठहराया गया। नीतीश कुमार ने 24 नवम्बर 2005 को पदभार ग्रहण करने के समय कहा था कि “आपकी सरकार आपके द्वार” लाएंगे। उन्होंने इसे करके दिखाया जिसका परिणाम इस चुनाव में उन्हें मिला है। करीब चार महीने पहले सरकार का साढ़े चार साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए नीतीश ने कहा था कि “बिहार की नई छवि खबर है। बिहार 2015 तक देश का विकसित राज्य बनेगा।” कभी जातिवाद, अपराध, अशिक्षा और कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जाना जाने वाला बिहार इस कदर बदला तो दुनिया की नजरें भी इसकी तरफ तेजी से बदलती हुई दिखाई दी हैं। अमेरिकी समाचार पत्र “न्यूयार्क टाइम्स” ने नीतीश और बिहार के संबंध में “भारतीय राज्य में बदलाव एक मॉडल बन सकता है” शीर्षक से लिखे गए लेख में कहा, “”नेतृत्व कैसे विकास को सुनिश्चित कर सकता है बिहार इसका पर्याय है।”" नीतीश के कारनामे से अर्थशास्त्री भी हतप्रभ होगे यदि हावर्ड कैनेडी स्कूल प्रदेश की सफलता की इस कहानी को केस स्टडी के तौर पर अध्ययन पाठ्यक्रम में शामिल करेगा तो जैसा कि लालू प्रसाद यादव भारतीय रेलवे को मुनाफे में लाकर कर चुके हैं।
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