जनसंख्या वृद्धि : भारत की प्रमुख समस्या
Subtitle
Summary
भारत की प्रमुख समस्या जनसँख्या वृद्धि है. यह समस्या विकराल रूप लिए हुए आज हम सब के सामने है. यदि हमे अपने देश के विकास की गति तो तीव्रता देनी है तो जनसँख्या वृद्धि पर लगाम लगानी अवश्य है. यदि हम इस समस्या से आज चेतन न हुए तो वह दिन दूर नहीं, जब हमारे विकास का पहियाँ रूक जायेगा. और देश के सब संशाधन कम पड़ जायेंगे.
जनसँख्या वृद्धि के कारण, आज हमारे चारो ओर भीड़ ही भीड़ है. एक नज़र रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर डालिए. लोग एक
दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ते दिखाई देंगे. रेलवे टिकट की लाइन में लगिए तो देखिये की आपका नंबर कब
आयेगा. बस में चढ़कर देखिये तो "आधी सवारी को सीट नहीं मिलेगी" लिखा हुआ मिलेगा. नौकरी के लिए साक्षात्कार और लिखित परीक्षा देने जाने पर कितनी भीड़ मिलती है. लगता है शायद कोई मेला लगा हुआ है, क्योंकि खाली पद तो एक सौ होते हैं, लेकिन आवेदक दस हज़ार होते हैं. सडको पर जाईये तो जाम लगने की समस्या से तो आप अवगत होंगे ही, भीड़ भरी इस जिन्दगी का कोई लाभ नहीं है.
जनसँख्या वृद्धि के बहुत से कारण हैं जैसे कि निरक्षरता, मनोरंज़न के साधनों का अभाव, दृढ इच्छा--शक्ति का न होना, परिवार-नियोज़न के साधनों के बारे में चेतना का अभाव, इत्यादि.जिनमें अपनी अपने बच्चों, परिवार, समाज व् देश के प्रति जिम्मेंदारी का बोध न होना प्रमुख कारण है.
जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण कैसे किया जाये? इसके लिए प्रत्येक भारतीय को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. बस में सीट न पाकर क्रोधित होने से काम नहीं चलेगा. किसी कार्यालय में लोगो की लम्बी पंक्ति देखकर झुन्जलाने से काम नहीं चलेगा. पानी भरने के समय, पडोसी लोगो के बर्तन देखकर गुस्सा होने से कुछ नहीं होने वाला. सड़क पर, लम्बे जाम में फंसकर गाली देने से कुछ नहीं होता.
क्रोध, गाली, झुंझलाहट हमारे समाज व देश की प्रमुख समस्या को हल न करके और भी विकृत कर देते हैं. इस के लिए तो अब कुछ करना ही होगा. समस्या का हल "मुझसे" आरंभ होता है. इसके लिए "हम" से पहले, मुझे कुछ सोचना होगा. अगर मैं जाग्रत हूँ तो, मुझे अवसर मिलने पर, सार्थक पहल करनी चाहिए. मुझे अपनी पत्नी से बात करनी चाहिए कि कैसे हम कम संतान उत्पन करके अपना परिवार सुखी रख सकते हैं. अगर मैं पत्नी हूँ तो इस विषय में अपने पति से बात करूँ. परिवार को सुखी व संतुलित रखने के लिए जरुरी नहीं की मैं अपनी माँ या फिर पिता की बात ही मानू, जो अक्सर बड़े परिवार के हिमायती होते हैं.
अब हर देशवासी को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और जनसँख्या नियंत्रण में सहयोग देना होगा. अधिक संतान पैदा न करके अपने परिवार और गावं के लोगो के लिए एक आदर्श स्थापित करना होगा. इसी प्रकार की सलाह अपने मित्रो व हम-उम्र रिश्तेदारों को देनी होगी. गाँव की पंचायत व स्थानीय सरकारी अधिकारियो को इस किस्म की आदर्श घटनाओं को पुरष्कार से सम्मानित करना होगा.
यदि हम अपने परिवार, समाज और देश को उन्नति के पथ पर जाते हुए देखना चाहते हैं तो, जनसँख्या वृद्धि को हर हाल में रोकना होगा. यदि ये नहीं रूकी तो हमारे जीवनों व आगामी पीढ़ी व् अंततः देश के विकास पर इसका बुरा असर पड़ेगा.
किसी ने ठीक ही कहा है, कि देश की धरती करे, पुकार बच्चे कम और पेड़ हज़ार.
No comments:
Post a Comment