दक्षिण भारत का स्वर्ग ऊटी |
मिलते-मिलते हंसी वादियों में दिल खो गया तो क्या करोगे, अंजाने में जाने तमन्ना कुछ हो गया तो क्या करोगे? तमिलनाडु राज्य के हिल स्टेशन ऊटी में पहुंचते ही यह गाना अपने आप जुबान पर आ जाता है। यहां की खूबसूरती में आकर सबकुछ भूल सा जाता है। बस रह जाती है याद तो वह है यहां की हरियाली, चाय के बागान और हरी चादर ओढे ऊंचे-ऊंचे पर्व श्रंखलाएं। हर तरफ से उठती प्राकृतिक फूल पत्तियों की खुशबू मन को अपने साथ एक अनोखे संसार में उडा ले जाती है। अगर यहां की यात्रा में कोई हमसफर साथ है फिर तो हम आपसे वादा कर सकते हैं यह हिल स्टेश्ान आप जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर ऊटी समुद्रतल से 7,349 फुट ऊँचाई पर स्थित है। ऊटी शुरू में टोंगा आदिवासियों का गढ़ था। जब अंग्रेज हिंदुस्तान आए तो उन्होंने ऊटी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया। साथ ही रेल लाइन बनने के बाद मद्रास प्रेसीडेंसी न इसे गमिर्यों में अपनी राजधानी बना लिया। यहाँ बरतानियाँ शासनकाल के कई खूबसूरत निर्माण गेस्टहाउस के रूप में आपका स्वागत करते नजर आएँगे। क्या देखें- बोटेनिकल गार्डन- 1848 में बनाया गया बोटेनिकल गार्डन आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ अलग-अलग प्रजातियों के पौधों की कई किस्में हैं। हर वर्ष मई के महीने में यहाँ फूलों की खूबसूरत प्रदर्शनी लगाई जाती है। ऊटी झील- शहर से 3 किलोमीटर दूर ऊटी झील है। इसी झील के नाम पर शहर का नामकरण किया गया है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह झील प्रकृति निर्मित न होकर इंसानों द्वारा बनाई गई है। इसका निर्माण कोयम्बटूर के कलेक्टर जान सुलीवन ने करवाया था। यहाँ आप घुड़सवारी और नौकायान का लुफ्त उठा सकते हैं। छोटे-छोटे डिब्बे वाली गाड़ी में बच्चे घूम सकते हैं। लेक गार्डन से बना सुंदर बाग पर्यटकों के पसंदीदा स्थान में से एक है। दोड्डाबेट्टा पहाड़ी- जब भी आप यहाँ आएं तो दोड्डाबेट्टा पहाड़ी घूमना न भूलें। यह ऊटी से लगभग दस किलोमीटर दूर है। सागर तल से 2,623 मीटर ऊँची इस पहाड़ी से पहाड़ों, घाटियों और पठारों के नयनाभिराम दृश्य निहारना बेहद खूबसूरत अनुभव है। यहाँ इन्हें निहारने के लिए दूरबीन का प्रबंध किया गया है। कैटी वैली - यहीं से कुछ दूरी पर काला हट्टी जलप्रपात है। यहाँ बेहद खूबसूरत झरना है जिसमें पानी 36 मीटर की ऊँचाई से गिरता है। कैटी वैली ऊटी से लगभग 13 किलोमीटर दूर पड़ती है। यह कुन्नूर रोड पर है। कुन्नूर एक अच्छा पर्यटन स्थल है। यहाँ पोनोलाजिकल स्टेशन, लाज झरना, कालार कृषि फार्म और रैलिया डैम देखने लोग्य स्थान हैं। वहीं वेनलाक हाउस में जिमखाना क्लब, भेड़ पालन केंद्र और हिंदुस्तान फोटो फिल्म की फैक्ट्री है। ऊटी के लिए छोटी रेलगाड़ी से सफर करने का अपना मजा है। यह ट्रेन मेट्टूपलायन या कुन्नूर से ली जा सकती है। ट्रेनें जब चाय बगानों से लहराती हुई गुजरती हैं तो बाहर का नजारा देखने लायक होता है। कैसे पहुंचें- ऊटी के सबसे नजदीक 100 किमी दूर कोयंबटूर हवाई अड्डा है। आप यहां के लिए चेन्नई, बंगलोर, मुंबई और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से सीधी फ़लाइट भी ले सकते हैं। ऊटी से 46 किमी दूर मेटूपलायम रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन दक्षिण के सभी प्रमुख शहरों से जुडा हुआ है। अगर बडे स्टेशनों की बात की जाए तो कोयंबटूर सबसे बडा स्टेशन है। मेटूपलायम से 26 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है पहाडों का यह खूबसूरत हिल स्टेशन ऊटी। अगर आप प्रकृति को करीब से देखने का सपना रखते हैं तो इस शहर तक रेल विभाग की खूबसूरत ट्रेन का आनंद ले सकते हैं। मेटूपलायम से 'नीलगिरी' ट्वाय ट्रेन चलती है जो कि 4 घंटे में ऊटी पहुंच जाती है। इतिहास- यहां तक रेल लाइन बिछाना बहुत मुश्किल का काम था। यह खतरनाक होने के साथ-साथ कठिन था। 1854 में नीलगिरि पर्वत पर रेल लाइन बिछाने का प्रपोजल बनाया गया। पर यह पूरा होने में 45 साल लग गया। 1899 में पहली बार इस पटरी पर शानदार पहाडों की रानी निकली। उस समय की खबरों के मुताबिक कहा जाता है कि जब यह पहले दिन अपने मंजिल की ओर बढाई तो इसका स्वागत करने के लिए पटरियों के किनारे हजारों लोग खडे हुए थे। अभी भी यहां पर स्टीम इंजन ही खींचकर लोगों से भरी ट्रेन को ऊटी तक ले जाती है। अगर कोई ऊटी घूमने आए और इस ट्रेन से सफर न करे तो समझ लीजिए उसकी यात्रा पूरी नहीं हुई। यह ट्रेन ऊटी तक की यात्रा में 13 टनल से होकर गुजरती है। इसमें यात्रा करते हुए ऐसा लगता है जैसे आप बादलों के बीच से गुजर रहे हों। यह एक यादगार यात्रा पर्यटकों के लिए बन जाती है। सडक यात्रा-ऊटी अच्छे तरीके से रोड से भी जुडा हुआ है। चेन्नई से सलेम होते हुए ऊटी 535 किलोमीटर दूर है। कोयंबटूर से सडक मार्ग के जरिए यहां आने में 89 किलोमीटर की दूरी तय करनी पडती है। मैसूर से यह 155 किलोमीटर, कुन्नूर से 18 किलोमीटर, कालीकट से 187 किमी, बंगलोर से 290 किमी, कोची से वाया कोयंबटूर, पलक्कड होते हुए ऊटी तक पहुंचने के लिए 281 किमी तथा कोदाईकनाल से 236 किमी की दूरी तय करनी पडती है। बैंगलोर, मैसूर, कोयंबटूर, कालीकट, कन्याकुमारी जैसे शहरों से यहां के लिए प्रतिदिन नियमित बस सेवाएं हैं। नोट- यहां की यात्रा के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। हमारा ईमेल पता है info@apniyatra.com |
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