राधास्वामी!! -
17-01-2022-आज शाम सतसंग में पढे गये शब्द पाठ:-
(1) अमी की बरखा हुई भारी।
भींज रही अंतर स्रुत प्यारी।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.339)
(अधिकतम् उपस्थिति-डेढगाँव ब्राँच उत्तरप्रदेश-@-2:48-दर्ज-84)
(2) दरश गुरु करता सहित उमंग।
चरन उर धरता प्रीति अभंग।।
सुरत से सुनो शब्द घट में। लखो गुरु मूरत तिल पट में।।
-(गाऊँ गुन राधास्वामी अचरज धाम।
जपूँ नित राधास्वामी अररज नाम।।
(प्रेमबानी-1-शब्द-28- पृ.सं.284,285,286
(3) सतगुरु प्यारा आरत लाया।
चरन सरन में धावत आया।।
(प्रेमबानी-1-शब्द-39- पृ.सं.192,193)
(स्वेतनगर मोहल्रा-उपस्तिथि-36)
(4) यथार्थ प्रकाश-भाग तीसरा-कल से आगे। सतसंग के बाद:-
(1)-राधास्वामी मूल नाम।
(2)-मिश्रित शब्द पाठ एवं
मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।
सबके तो राधास्वामी दयाल। मेरे तो तेरे तो सबके तो। राधास्वामी दयाल
दूसरो न कोई।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से जनम सुफल कर ले।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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