*🌹मिश्रित शब्द पाठ 🌹*
*◆◆हे दयाल सद कृपाल (हिन्दी )-
हे दयाल सद् कृपाल ।
हम जीवन आधारे ॥ १ ॥
सप्रेम प्रीति और भक्ति रीति ।
वन्दे चरन तुम्हारे ॥ २ ॥
दीन अजान इक चहें दान । दीजे दया विचारे ॥ ३ ॥
कृपा दृष्टि निज मेहर वृष्टि । सब पर करो पियारे ॥ ४ ॥
संस्कृत
हे दयालुः सद् कृपालुः ।
मम जीवनाधारे ॥ १ ॥* *सप्रेम प्रीतिभक्तिरीतिश्च ।
बंदे चरणं तुभ्यम् ॥ २ ॥
दीनाज्ञानं एक इष्टं दानं । देयम् दयादृष्टिं निःस्वः ॥ ३ ॥
कृपादृष्टि : निज आशीर्वृष्टिः ।
प्रियवर : सर्वेभ्यो : करणीयं ॥ ४ ॥*
*◆◆
राधास्वामी रक्षक जीव के!
(हिन्दी)
-राधास्वामी रक्षक जीव के , जीव न जाने भेद ।
गुरु चरित्र जाने नहीं , रहे कर्म के खेद ॥
खेद मिटे गुरु दरस से ,
और न कोई उपाय |
सो दर्शन जल्दी मिलें ,
बहुत कहा मैं गाय ॥
(संस्कृत)
-राधास्वामी रक्षक :
जीवस्य जीवेन न भेदं ज्ञातः ॥
गुरुचरित्रं न ज्ञातं कर्मदुःखसंलग्नाः ।।
दुःखं दूरं भवेत् गुरुदर्शनेन
न को s पि उपायाः ।।
तब दर्शनं शीघ्रं भवेत्ब
बहुशः मया कथितम् ।।* *◆◆
गुरु धरा सीस पर हाथ
(हिन्दी)-
गुरु धरा सीस पर हाथ ।
मन क्यों सोच करे ||
गुरु रक्षा हरदम संग ।
क्यों नहिं धीर धरे ॥
गुरु राखें राखनहार ।
उनसे काज सरे ॥
तेरी करें पच्छ कर प्यार ।
बैरी दूर पड़े ||
संस्कृत:-
गुरोर्हस्तविराजितशिरसि ,
व्यर्थचिंता किमर्थं कुर्यात् ।।
गुरुरक्षा प्रतिपल साकं ,
कथं न धैर्य धारयेत् ।।
गुरुरक्षक : रक्षयत्यस्मान् ,
नियंता सत्कार्याणाम् ।।
तवपक्षे स्नेहं कुर्यात् , • भवन्तु दूरं वैरिगणाः।
◆◆तमन्ना यही है
(हिन्दी)-
तमन्ना यही है कि जब तक जीऊं ।
चलूं या फिरूं या कि मेहनत करूं ।।
पढूं या लिखूं मुँह से बोलूं कलाम ।
न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम ||
जो मर्ज़ी तेरी के मुवाफिक न हो ।
रज़ा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो ।।
संस्कृत |
अभिलाषा इयमेव यावत् जीवेम ।
चलेम भ्रमेम सोद्यमभवेम ।।
पठेम लिखेम सुवाक् वा वदेम न कुर्याम को s पीदृशं कार्यमेव ।।
तवेप्सितविरुद्धं च यदपि भवेत् ।
भवतः स्वीकृत्याः प्रतिकूलं भवेत् ।।* *
◆◆तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता
मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो ।
कि मन में मेरे सदा आसरा तेरी दया व मेहर की आस हो।
चढ़ आये कभी जो दुख की घटा
या पाप कर्म की होय तपन्त।
तेरा नाम रहे मेरे चित्त बसा
तेरी दया व मेहर की आस हो।।
यह काम जो हमने है सिर लिया
करें मिलके हम तेरे बाल सब।
तेरा हाथ हम पर रहे बना
तेरी दया व मेहर की आस हो।।
तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो।
कि मन में मेरे सदा आसरा तेरी दया व मेहर की आस हो।।
संस्कृत:-
तव चरणयो : प्रिय :
हे पितः ! मम ईदृशदृढ़ विश्वास
भव यत् मनसि मम सर्वदा सहायः ।
तव मेहरदययोः विश्वासःभव ।।
आरुह्य कदापि यत् दुःखस्य घटा वा पापकर्मण :
ज्वलनम् भव ।।
तव नाम भव ममचितावासः ।
तब मेहरदययोः विश्वासः भव ।।
कार्यमेतत् अस्माभिः शिरसि धृतम् ।
कुर्मः मिलित्वा तव बालाः वयम् ।।
तव हस्तयोःअस्मासु सर्वदा भव तव मेहरदययोः विश्वासः भव ।।*
*◆◆मेरे तो
राधास्वामी दयाल
दूसरो न कोई।
सबके तो राधास्वामी दयाल
दूसरो न कोई।।*
*मेरे तो, तेरे तो, सबके तो राधास्वामी दयाल
दूसरो न कोई।। राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से।
जनम सुफल कर ले।।*
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से।
जनम सुफलतर कर ले।।*
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से।
जनम सुफलतम कर ले।।
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