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◆◆मिश्रित शब्द पाठ◆◆*
*अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।। (प्रे.भा. मेलाराम जी फ्राँस)
हे दयाल सद् कृपाल ।
हम जीवन आधारे॥१॥
सप्रेम प्रीति और भक्ति रीति ।
वन्दे चरन तुम्हारे ॥२॥
दीन अजान इक चहें दान ।
दीजे दया विचारे॥३॥
कृपा दृष्टि निज मेहर वृष्टि ।
सब पर करो पियारे ॥४॥◆◆*
*राधास्वामी रक्षक जीव के! (हिन्दी)-
राधास्वामी रक्षक जीव के ,
जीव न जाने भेद ।
गुरु चरित्र जाने नहीं ,
रहे कर्म के खेद ॥
खेद मिटे गुरु दरस से ,
और न कोई उपाय |
सो दर्शन जल्दी मिलें ,
बहुत कहा मैं गाय।।◆◆
गुरु धरा सीस पर हाथ ।
मन क्यों सोच करे ||
गुरु रक्षा हरदम संग ।
क्यों नहिं धीर धरे ॥
गुरु राखें राखनहार ।
उनसे काज सरे ॥
तेरी करें पच्छ कर प्यार ।
बैरी दूर पड़ें।।◆◆
तमन्ना यही है कि
जब तक जीऊं ।
चलूं या फिरूं
या कि मेहनत करूं ।।
पढूं या लिखूं मुँह से बोलूं कलाम ।
न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम ||
जो मर्ज़ी तेरी के मुवाफिक न हो ।
रज़ा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो ।।
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तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता
मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो ।
कि मन में मेरे सदा आसरा
तेरी दया व मेहर की आस हो।
चढ़ आये कभी जो दुख की घटा
या पाप कर्म की होय तपन्।
तेरा नाम रहे मेरे चित्त बसा
तेरी दया व मेहर की आस हो।।
यह काम जो हमने है सिर लिया
करें मिलके हम तेरे बाल सब।
तेरा हाथ हम पर रहे बना
तेरी दया व मेहर की आस हो।।
तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता
मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो।
कि मन में मेरे सदा आसरा
तेरी दया व मेहर की आस हो।।◆◆
मेरे तो राधास्वामी दयाल
दूसरो न कोई।
सबके तो राधास्वामी दयाल
दूसरो न कोई।। राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से जनम सुफल कर ले।।
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