*राधास्वामी!
28-01-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:- आज आया बसंत नवीन । सखी री खेलो गुरु सँग फाग रचाय ॥ १ ॥ भाँति भाँति के फूल खिलाने ।
नई नई डाल डाल लहराय ॥ २ ॥
जहाँ तहाँ खिल रही नई बहारा ।
पीत रंग रहा चहुँ दिस छाय ॥ ३ ॥
सखियाँ सब जुड़ मिल कर आई ।
सतगुरु चरनन प्रेम जगाय ॥ ४ ॥
पीत रंग बस्तर पहिनाये ।
चमक दमक सँग साज सजाय ॥ ५ ॥
दरशन कर हिये में हरखाईं । अद्भुत शोभा बरनी न जाय ॥ ६ ॥
सतगुरु मुखड़ा छिन छिन निरखत ।
बार बार चरनन बल जाय ॥ ७ ॥
उमँग उमँग गुरु चरनन लागीं ।
हिये में नया नया भाव धराय ॥ ८ ॥
प्रेम भरी मुख आरत गावत । तन मन की सब सुधि बिसराय ॥ ९ ॥
समाँ बँधा इस औसर ऐसा । हंस हंसनी रहे लुभाय ॥१० ॥
राधास्वामी दयाल प्रसन्न होय कर ।
सब को लीना चरन लगाय ॥११ ॥
प्रेम दात दे हरख हरख कर । इक इक का दिया भाग बढ़ाय ॥१२ ॥ राधास्वामी महिमा को सके गाई ।
बेद कतेब रहे शरमाय ॥१३ ॥
जोगी ज्ञानी कहन न जानें । जोत निरंजन भेद न पाय ॥१४ ।।
प्यारे राधास्वामी परम दयाला ।
हम नीचन को लियाअपनाय ॥१५ ॥
l।(प्रेमबानी-3-शब्द-7-
पृ.सं.287,288,289)🙏🏿🙏🏿
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