*राधास्वामी!
06-01-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:- राधास्वामी दयाल सुनो मेरी बिनती ।
जल्दी दरस दिखाओ हो ॥टेक ॥
तड़प रही मैं बहुत दिनों से । अब घट द्वार खुलाओ हो ॥ १ ॥
तुम समरथ क्यों देर लगाई । जल्दी मेहर कराओ हो ॥ २ ॥ मैं अति दीन पड़ी तुम द्वारे । तुम बिन कोइ न सहारो हो ॥ ३ ॥ सारी बैस आस में बीती । अब तो दया विचारो हो ॥ ४ ॥
बिन दरशन निज रूप अपारा ।
नहिं मेरा होत उधारो हो ॥ ५ ॥
जब लग सुरत चढ़े नहिं घट में ।
मन नहिं छुटकारो हो ॥ ६ ॥
चढ़ कर पहुँचूँ दसवें द्वारा । निरखूँ भँवर उजारो भँ हो ॥ ७ ॥
सत्तपुरुष के चरन परस के। निज घर जाय सिहारो हो ॥ ८ ॥
परम शांति में जाय समाऊँ । सबसे होय नियारो हो।।९।।
तब आसा पूरन होय मोरी । तुम्हरे चरन बलिहारो हो ॥ १० ॥ राधास्वामी प्यारे दया उमँगाओ ।
कीजे मम उपकारो हो ॥ ११।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-5- पृ.सं.266,267)*
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