*राधास्वामी!
08-01-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला शब्द पाठ:-
भक्ति कर लीजिये जग जीवन थोड़ा ॥टेक ॥
चार दिनों का खेल यह ,
देह तजना ज़रूरी |
सतगुरु का सतसंग कर ,
तज मान ग़रूरी ॥
हिये में आज बसाय ले ,
तू चरन हज़ूरी ।
अंतर दृष्टि खुलाय कर, लखना सत नूरी ॥
सतगुरु सँग तू बाँध ले प्यारी अब के जोड़ा॥१।। बंध छुड़ावन आइया , सतगुरु संसारा ।
आज्ञा उनकी मानिये ,
हिये धर कर प्यारा ॥
शब्द की जुगत कमाय कर ,
कीजे निरवारा ।
नाम बिना सब जीव ,
बहे चौरासी धारा ॥
भाग जगा मोहि मिल गये गुरु बंदीछोड़ा ॥ २ ॥
दया करी गुरु प्रीतमा ,
मोहि संग लगाई ।
घर का भेद सुनाय कर ,
स्रुत अधर चढ़ाई ॥
घंटा संख सुनाय कर ,
फिर जोत लखाई ।
वहाँ से गगन चढ़ाय कर ,
धुन गरज सुनाई ॥
चंद्र रूप लख काल से
अब नाता तोड़ा ॥३ ॥
भँवरगुफा में जाय कर ,
सुनी मुरली प्यारी ।
सत्तलोक में पुरुष का ,
जाय रूप निहारी ॥
अलख अगम का रूप लख ,
स्रुत चढ़ गई पारी ।
मेहर दया गुरु पाय कर ,
हुई सबसे न्यारी ॥
राधास्वामी दर्शन पाय कर स्रुत हो गई पोढ़ा ।।४।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-2-
पृ.सं.268,269)
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