राधास्वामी!
18-01-2022-आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:- आरती गाऊँ सतगुरु आज ।
प्रीति घट माहिं बसाऊँ आज ॥ १ ॥
दया कर लीना खैंच बुलाय ।
लिया सतसँग में मोहि लगाय ॥ २ ॥
सुनी जब महिमा सतगुरु आय ।
उमँग मेरे हिये में बढ़ती जाय ॥ ३ ॥
संत की महिमा अब जानी ।
सरन दृढ़ मन में जब ठानी ॥ ४ ॥
सुरत और और शब्द राह पाई ।
नाम का भेद संत गाई ॥ ५ ॥
जपूँ राधास्वामी नाम मन से ।
सेव गुरु करत रहूँ तन से ॥ ६ ॥
मेरे मन अस निश्चय आई ।
संत बिन नहिं कोई घर जाई ॥ ७ ॥
करे कोई चाहे जतन अनेक ।
बचे नहिं बिन सतगुरु की टेक ॥ ८ ॥
काल ने जग में डाला फंद ।
भोगते सब जिव दुख सुख दंड ॥ ९॥
करम और भरम संग रातें ।
चले नित चौरासी जाते ॥ १० ॥
संत का भाग बचन नहीं मानें ।
कुमत बस मन मत फिर ठानें ॥११ ॥
भाग परमारथ नहिं पाया ।
कनक कामिन सँग भरमाया ॥ १२ ॥
भाग मेरा जागा अजब निदान ।
दिया मोहि राधास्वामी भक्ती दान।।१३।।
करूँ मैं आरत उन की नित्त ।
चरन में छिन छिन बढ़ता हित्त॥ १४ ॥
प्रीति से सतसँग निंत करहूँ ।
नाम राधास्वामी छिन छिन भजहूँ ॥ १५ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-29- पृ.सं.286,287)
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