**राधास्वामी!
12-01-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:- गुरु धरा सीस पर हाथ ।
मन क्यों सोच करे ।।१।।
गुरु रक्षा हरदम संग ।
क्यों नहिं धीर धरे ॥२॥ गुरु राखें राखनहार।
उनसे काज सरे।।३।।।
तेरी करें पच्छ कर प्यार।
बैरी दूर पड़े।।४।।
गुरु दाता दीन दयार ।
चरन लग जगत तरे ॥ ५ ॥ उन महिमा अकह अपार । बरनन कौन करे।।६।। सोइ चाखे अमी रस सार । चरनन सुरत धरे ॥ ७ ॥ घट बाजे अनहद सार। सुन सुन अधर चढ़े।।८।। गुरु देवें बगघन हटाय ।
उनसे काल डरे।।९।।
माया दल मारें आय ।
मोह मद अगिन जरे ॥१० ॥ बिन राधास्वामी गुरु समरथ ।
को अस दया करे ॥११ ॥ वही है बड़भागी जीव ।
जो उन सरन पड़े ॥ १२ ॥ घर हिये में गहिरी प्रीति।
संग में आन पड़ें।।१३।। मेरा जागा अम बढ़ भाग। जग जिव अचरज करे।।१४।। गुरु कीन्ही मेहर अपार ।
बैरी जल जल मरे।।१५।। मेरे मात पिता गुरु देव । महिमा कौन करे।।१६।। प्यारे राधास्वामी दीनदयाल । छिन छिन सार करें ।।१७ ।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-3- पृ.सं.272,273,274)**
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