**राधास्वामी!
13-01-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:- गुरु धरा सीस पर हाथ ।
मन क्यों सोच करे ।।१।।
गुरु रक्षा हरदम संग ।
क्यों नहिं धीर धरे ॥२॥
गुरु राखें राखनहार।
उनसे काज सरे।।३।।।
तेरी करें पच्छ कर प्यार।
बैरी दूर पड़े।।४।।
गुरु दाता दीन दयार ।चरन लग जगत तरे ॥ ५ ॥ उन महिमा अकह अपार । बरनन कौन करे।।६।।
सोइ चाखे अमी रस सार । चरनन सुरत धरे ॥ ७ ॥
घट बाजे अनहद सार।
सुन सुन अधर चढ़े।।८।।
गुरु देवें बगघन हटाय ।
उनसे काल डरे।।९।। माया दल मारें आय । मोह मद अगिन जरे ॥१० ॥ बिन राधास्वामी गुरु समरत्थ । को अस दया करे ॥११ ॥ वही है बड़भागी जीव ।
जो उन सरन पड़े ॥ १२ ॥
घर हिये में गहिरी प्रीति।
संग में आन पड़ें।।१३।।
मेरा जागा अम बढ़ भाग। जग जिव अचरज करे।।१४।।
गुरु कीन्ही मेहर अपार ।
बैरी जल जल मरे।।१५।।
मेरे मात पिता गुरु देव । महिमा कौन करे।।१६।।
प्यारे राधास्वामी दीनदयाल । छिन छिन सार करें ।।१७ ।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-3- पृ.सं.272,273,274)**
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