मुस्कान की तलाश / लता प्रासर
बस एक अदद मुस्कान चाहिए
नहीं कोई फरमान चाहिए
धरती हंसती है
फूल खिलते हैं
आसमान हंसता है
बूंदें बरसतीं हैं
गरीब हंसता है
दुख ढंक लेता है
अमीर हंसता है
गरीबी धंस जाती है
बस हमें तो
एक अदद मुस्कान चाहिए
तेरे होने का प्रमाण चाहिए
जीत हंसता है
अधिकार बढ़ता है
हार हंसती है
ज़मीर बचती है
हंसना सबने जाना
हंसी लेकर बैठा है जमाना
हमें तो
एक अदद मुस्कान चाहिए
जिंदा हूं यही पहचान चाहिए
सरमाया हंसता है
इंसान ढहता है
शर्म हंसता है
हया बढ़ती है
हमें तो
एक अदद मुस्कान चाहिए
तेरे मेरे होने का पैगाम चाहिए
जब चुल्हा हंसता है
भूख मरती है
पानी हंसता है
ईमान मरती है
हमें तो
एक अदद मुस्कान चाहिए
प्रेम भरा शान चाहिए
हमें तो
मुस्कान चाहिए!
लता प्रासर
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