🙏 तरस गई आंखें दर्शन को, कोरोना ने ऐसा फैलाया जंजाल
दूर बैठे हम प्रेमी जन को, तसल्ली मिलता सुन आपका हाल
आज जो वचन सुने आपके, तब से मन है द्रवित दिल बेहाल
खाया नहीं आपने आठ दिन से, कैसे उतरे हमारे गले से निवाल ।।1।।
व्यथित व्याकुल हैं सभी, जानने को हर पल आपका हाल
क्यों आप इतना जिद कर बैठे, मन में कर रहे सब अपनी पड़ताल
है कौन किसने कब क्यूं, दिल पे आपके खंजर चुभो दिया...
फैसला खुद को सजा देना, यूं करते नहीं संत परम दयाल ।।2।।
है शर्मसार हमारी आंखें, तुम से मिलायें तो मिलायें कैसे
अपने दिल की फरियाद, तुम तक पहुंचाएं कैसे
बहते हुए अश्क को, अब तुमसे ही छुपाएं कैसे
है तुमसे कितनी मोहब्बत, दिल चीर कर दिखाएं कैसे ।।3।।
टूट चुके हैं हम सब, अंदर तक पूरी तरह
बिलख कर फफक कर, है सब रो रहे बच्चों की तरह
तुम भी तो कम नहीं, जिद पकड़ बैठे हो बच्चों की तरह
माना हमने की गलतियां, पर ना दो सजा हमें गुनाहगारों की तरह ।।4।।
हे मालिक ! क्या कुछ हम करें ऐसा, दिल आपका हल्का हो जाए
कितना कैसे बदलें खुद को, हमको बस माफी मिल जाए
दर पर सर पटकने को हैं तैयार, गर आप खाने को राजी हो जाएं
है गुहार हम सबकी, मान जाइए, फिर से वही, बगिया में बहार आ जाए ।।5।।
_______________
(राज किशोर सतसंगी)
28.05.2021
No comments:
Post a Comment