राजा ने एक सुंदर सा महल बनाया । और महल के मुख्य द्वार पर एक गणित का सूत्र लिखवाया
प्रस्तुति - कृष्ण मेहता
और घोषणा की की इस सूत्र से यह द्वार खुल जाएगा और जो भी सूत्र को हल कर के द्वार खोलेगा में उसे अपना उत्तराधीकारी घोषित कर दूंगा...........
राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए किसी को कुछ समझ नहीं आया ........
आख़री तारीख आ चुकी
उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे
उसमे 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की किताबो सहित आये
लेकिन एक व्यक्ति जो साधक की तरह नजर आ रहा था सीधा साधा कुछ भी साथ नहीं लाया उसने कहा में बेठा हु यही पास में ध्यान कर रहा हु
अगर पहले ये दोनों महाशय कोशीस कर के
द्वार खोल दे तो मुझे कोई परेशानी नहीं
पहले इन्हें मोका दिया जाए
दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए
लेकिन नहीं कर पाये और हार मान ली
अंत में उस साधक को ध्यान से जगाया गया और कहा की आप सूत्र हल करिये ऑप का समय शुरू हो चुका हे
साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ द्वार की और चला
द्वार को धकेला और यह क्या द्वार खुल गया
...
राजा ने साधक से पूछा आप ने ऐसा क्या किया
साधक ने कहा जब में ध्यान में बेठा तो सबसे पहले अंतर्मन से आवाज आई की पहले चेक कर ले की सूत्र हे भी या नहीं
इसके बाद इसे हल करने की सोचना
और मेने वाही किया
ऐसे ही कई बार जिंदगी में समस्या होती ही नहीं
और हम विचारो में उसे इतनी बड़ी बना लेते हे की वह समस्या कभी हल न होने वाली हे
लेकिन हर समस्या का उचित इलाज आत्मा की आवाज है।
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