*भद्रासन.........*
*भद्रासन संस्कृत शब्द भद्र से निकला_है जिसका मतलब होता है #सज्जता या शालीनता।*
*भद्रासन करनेसे शरीर सुदृढ़, स्थिर और मजबूत बनता है।*
*भद्रासन_योग_विधि*
*भद्रासन दोनों पांवों को एक साथ सामने फैलाकर जमीन पर बैठें।*
*अंगुलियों को आगे की दिशा में होना चाहिए।*
*पांवों को धीरे धीरे घुटनों से मोड़ें और दोनों एडि़यों को एक दूसरे से जोड़ें।*
*अपने हाथ बगल में रख लें और हथेलियों को जमीन पर टिका दें।*
*टखनों को हाथों से पकड़ लें।*
*धीरे_धीरे पांवों को मूलाधार की ओर लाएं, जब तक वे मूलाधार के नीचे न पहुंच जाएं।*
*घुटनों का जमीन से स्पर्श होना चाहिए।*
*टखनों को हाथों से पकड़ आप अपने घुटनों को ऊपर नीचे करें। ऊपर नीचे करने से एक चक्र हुआ*
*इस तरह आप पहले पहले 20 चक्र करें*
*फिर धीरे धीरे इसको बढ़ाएं।*
*आपके सिर, गर्दन_एवं_पीठ_सीधी होनी चाहिए।*
*भद्रासन में आपकी सांस साधारण होनी चाहिए।*
*भद्रासन के लाभ*
*भद्रासन के नियमित अभ्यास से प्रसव में बहुत आसानी हो जाती है। कहा जाता है कि जो गर्ववती महिला इसको प्राय हर दिन करती है उनको सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती।*
*भद्रासन नियमित अभ्यास करने से आप कमर दर्द से निजात पा सकते हैं।*
*भद्रासन के नियमित अभ्यास करने सेरीढ़ की हड्डी के लिए लाभदायक आसन है।*
*भद्रासन शरीर को सुंदर बनाने में मदद करता है।*
*भद्रासन के नियमित अभ्यास करने मे एकाग्रता को बढ़ाते हुए दिमाग को तेज करने में मदद करता है।*
*याददाश्त को बरक़रार रखने में मदद करता है।*
*भद्रासन_के_नियमित_अभ्यास_करने से पैरों को मजबूत बनाते हुए इसके बहुत सारी परेशानियों को दूर करता है।*
*भद्रासन के नियमित अभ्यास से आप पाइल्स की समस्याएं से बच सकते हैं।*
*भद्रासन के नियमित अभ्यास करने मे स्नायु तंत्र एवं तांत्रिक तंत्र को मजबूत बनाता है।*
*भद्रासन करने से आँखों के स्वास्थ में भद्रासन एक ध्यानात्मक आसन है जो एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करती है | वहीं एकाग्रता आपके आँखों के लिए जरूरी है, इस तरह से आप अपनी नेत्र शक्ति का विकास कर सकते हैं।*
*भद्रासन करने से मन की स्थिरता के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है जिससे आपको शारीरिक एवं मानसिक बल मिलता है।*
*भद्रासन करने से फेफड़ों के लिए भी लाभकारी आसन है।*
*भद्रासन के नियमित अभ्यास से पेल्विक की नसें एवं मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और इससे सम्बंधित परेशानियों से आपको बचाता है।*
*भद्रासन की सावधानियां*
*घुटने दर्द होने पर भद्रासन को न करें।*
*कमर दर्द होए पर भद्रासन का अभ्यास न करें।*
*पेट की बीमारी में भी भद्रासन करने से बचना चाहिए।*
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