पांच सोने के तीर
जब कौरव महाभारत का युद्ध हार रहे थे तो दुर्योधन एक रात भीष्म से मिलने गया और उन पर इलजाम लगाया की वह पांडवों से प्रेम के चलते पूर्ण मन से युद्ध नहीं लड़ रहे हैं | गुस्से में भीष्म ने पांच सोने के तीर उठाये और मन्त्र पढ़ बोले की कल वह पांच पांडवों को इन पांच तीरों से मार देंगे | दुर्योधन को भीष्म की बात पर यकीन नहीं था और उसने भीष्म से वह पांच सोने के तीर मांगे की वह उन्हें अपनी सुरक्षा में रखना चाहता है और अगले दिन वापस कर देगा |
इससे पहले महाभारत के युद्ध से कई साल पहले पांडव जंगल में वास कर रहे थे | दुर्योधन ने अपना शिविर जहाँ पांडव रुके थे उसकी उलटी दिशा में बनाया | एक बार जब दुर्योधन तालाब में नहा रहा था तो गन्धर्व धरती पर आये | दुर्योधन ने उनसे लडाई छेड़ी लेकिन हार गया | गन्धर्व ने दुर्योधन को बंदी बना लिया | अर्जुन ने आकर दुर्योधन की जान बचाई | दुर्योधन बहुत शर्मिंदा था पर क्यूंकि वह क्षत्रिय था तो उसने अर्जुन से वर मांगने को कहा | अर्जुन ने कहा की वह वक़्त आने पर अपना वर मांग लेगा |
अर्जुन ने अपना वर माँगा:
उसी रात कृष्ण ने अर्जुन को उस अपूर्ण वर की याद दिलाई और उनसे कहा की वह दुर्योधन से 5 सोने के तीर मांग ले | जब अर्जुन ने तीर मांगे तो दुर्योधन हैरान रह गया लेकिन क्यूंकि वह क्षत्रिय था उसे अपना वचन निभाना पड़ा | उसने कहा की तुम्हें सोने के तीरों के बारे में किसने बताया तो अर्जुन ने कहा की कृष्ण के इलावा और कौन बता सकता है | दुर्योधन भीष्म के पास फिर से पांच सोने के तीर मांगने गया | इस पर भीष्म हँसे और बोले की अब ये मुमकिन नहीं है |
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