काइआ_अंदरी_रतन_पदारथ_भगति_भरे_भंडार
इसु काइआ अंदरी नऊ खंड पृथमी हाट पटण बाजारा
गुरु साहिब समझाते है की हमारी देह के अन्दर अपार रूहानी दोलत है भक्ति के भंडार भरे हुवे हैजो कुछ भी हमें मिलेगा अपने शारीर के अन्दर ही मिलेगा हमारे शारीर के अन्दर सारे दुनिया की रचना है आप भी सोचेगे की जब डाक्टर पोस्ट मार्टम करता है तो उसे हमारी देह में ये सब रचनाये कभी नहीं मिलतीअगर आप रेडियो को तोडकर देखे तो उसके अन्दर से कभी कोई बोलने वाला तो नहीं निकलता लेकिन आवाज अन्दर से ही आती है इसी प्रकार सब कुछ हमारी देह या शारीर के अन्दर है जब तक हम अन्दर जाकर अपने ख्याल को उस केंद्र पर इकट्टा नहीं करते हमें न अन्दर कुछ दिखाई देता है और न ही किसी चीज को सुन सकते है #गुरु _साहिब सब कुछ बयान करके फिर #शब्द या नाम की और आते है यह #शब्द या नाम हमें अपनी देह के अन्दर ही मिलेगा यह नाम रूपी दोलत बाहर न कभी किसी को मिली है और न कभी किसी को मिलेगी ll
नऊ दरवाज नवे दर फीके रसू अमृत दसवे च इजे
भाई आखों के निचे -निचे इन्द्रियों के भोग है विषय विकारो शराबो कबाबो की लज्जते है अगर तू रस से भरे हुवे अमृत को पीना चाहता है दसवे चुईजे ; वह तेरी आखों के पीछे बरस रहा है आप देखे कितनी जोर की बारिश क्यों न हो रही हो अगर हम बर्तन को ही उल्टा कर रख देगे उसको सीधा नहीं करेगे तो बारिश का इक कतरा भी बर्तन में नहीं जा सकता इसलिये जिस चीज को यहाँ आँखों के पीछे आकर उस अमृत को पीना है वह मन तो सारी दुनिया में फेला हुवा है उसी मन को सिमरन और ध्यान के जरिये फिर वापस इस नुक्ते पर इकट्टा करना है l
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