हम बात कर रहे हैं देश के मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई कुरैशी यानी शहाबुद्दीन याकूब कुरैशी की। वह इस पद पर पहुंचने वाले पहले मुस्लिम हैं। पुरानी दिल्ली की गलियों में पले-बढ़े कुरैशी का बतौर नौकरशाह एक कामयाब पारी खेलने के बाद अब देश की चुनावी प्रक्रिया को पहले से पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने पर जोर देते हैं। उनका जोर बाहुबल और धन पर लगाम कसने पर भी रहा है।
कुरैशी की पैदाइश 11 जुलाई, 1947 को हुई। पढ़ने में होनहार रहे कुरैशी ने बचपन में ही सिविल सर्विस में जाने की ठान ली थी। फिर एक दिन ऐसा भी आया जब उनका यह ख्वाब उनकी मेहनत की बदौलत हकीकत में तब्दील हो गया। वर्ष 1971 में हरियाणा कैडर से आईएएस के लिए चुने गए।
आईएएस में चयन के बाद कुरैशी नौकरशाही में पूरे लगन और बेदाग ढंग से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए। हरियाणा सरकार के जनसंपर्क विभाग में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निभाया। कई पदों पर आसीन रहने के बावजूद उनका दामन हमेशा बेदाग रहा। इसकी वजह सिर्फ उनकी ईमानदारी को ही नहीं, बल्कि देश के प्रति उनके समर्पण को भी जाता है।
पिछले दिनों जब उन्हें मुख्य चुनाय आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई तो दिल्ली स्थिति इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के प्रमुख सिराजुद्दीन कुरैशी की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया। इस दौरान कुरैशी ने आईएएस में चुने जाने के बाद के पलों को याद किया। उन्होंने कहा कि जब वह आईएएस के लिए चुने गए तो एक बड़े अखबार संपादकी पेज पर उनके बारे में लिखा गया और इससे शायद कई नौजवानों को प्रेरणा मिली होगी।
चुनाव आयोग के प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने कई बातें कहीं थीं। कुरैशी ने संवाददाताओं से कहा था, "जल्द से जल्द सटीक मतदाता सूची तैयार करने के काम में हम पहले से व्यवस्थित रूप से काम कर रहे हैं।"
कुरैशी ने कहा, "मैं बहुत सम्मान और गौरव के साथ यह पदभार ग्रहण कर रहा हूं। निर्वाचन आयोग भारतीय संविधान की ओर से देशवासियों को प्रदान किए गए सर्वाधिक बेशकीमती तोहफों में से है। मुझे इस गरिमापूर्ण संस्था में पिछले चार वर्षों से निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। संविधान निर्माताओं ने जहां इसे सभी संभावित दबावों से अलग रखने का प्रयास किया है, वहीं सर्वोच्च न्यायालय भी इसकी स्वतंत्रता पर होनेवाले किसी भी हमले से बचाव करने में सरगर्मी से लगा रहता है। सर्वोच्च न्यायालय ने आश्वस्त किया है कि यह आयोग और सशक्त होता रहेगा।"
63 वर्षीय कुरैशी 1971 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। तीन दशकों से अधिक की सेवा के बाद वे 2006 में निर्वाचन आयोग में नियुक्त हुए थे। इससे पहले युवा मामले एवं खेल मंत्रालय में सचिव रहे कुरैशी मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर दो साल से कुछ कम समय तक रहेंगे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर कुरैशी की पहली जिम्मेदारी इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव कराने की होगी। इसके बाद अगले साल तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और असम के विधानसभा चुनाव होने हैं।
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