सम्राज्ञी नूरजहां ने अपने पिता की स्मृति में आगरा में एतमादुद्दौला का मकबरा बनवाया था। यह उसके पिता घियास-उद-दीन बेग़, जो जहांगीर के दरबार में मंत्री भी थे, की याद में बनवाया गया था। मुगल काल के अन्य मकबरों से अपेक्षाकृत छोटा होने से, इसे कई बार श्रंगारदान भी कहा जाता है। यहां के बाग, पीट्रा ड्यूरा पच्चीकारी, व कई घटक ताजमहल से मिलते हुए हैं।
इतिमद-उद-दौला का मकबरा नूरजहां के पिता मिर्जा गियास बेग को समर्पित है। इतिमद-उद-दौला उनकी उपाधि थी। यमुना नदी के किनारे स्थित इस मकबरे का निर्माण 1625 ईसवी में किया गया था। बेबी ताज के नाम से मशहूर इस मकबरे की कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें बाद में ताजमहल बनाते समय अपनाया गया था। लोगों का कहना है कि कई जगह यहां की नक्काशी ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत लगती है। इस मकबरे एक अन्य आकर्षण मध्य एशियाई शैली में बना इसका गुंबद है। यहां के बगीचे और रास्ते इसकी सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं।
यह मकबरा भारत में बना पहला मकबरा है जो पूरी तरह सफेद संगमरमर से बनाया गया था। इसकी दीवारों पर पेड़ पौधों,जानवरों और पक्षियों के चित्र उकेरे गए हैं। कहीं कहीं आदमियों के चित्रों को भी देखा जा सकता है जो एक अनोखी चीज है क्योंकि इस्लाम में मनुष्य का सजावट की चीज के रूप में इस्तेमाल करने की मनाही है। अपनी खूबसूरती के कारण यह मकबरा आभूषण बक्से के रूप में जाना जाता है।
इतिमद-उद-दौला का मकबरा नूरजहां के पिता मिर्जा गियास बेग को समर्पित है। इतिमद-उद-दौला उनकी उपाधि थी। यमुना नदी के किनारे स्थित इस मकबरे का निर्माण 1625 ईसवी में किया गया था। बेबी ताज के नाम से मशहूर इस मकबरे की कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें बाद में ताजमहल बनाते समय अपनाया गया था। लोगों का कहना है कि कई जगह यहां की नक्काशी ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत लगती है। इस मकबरे एक अन्य आकर्षण मध्य एशियाई शैली में बना इसका गुंबद है। यहां के बगीचे और रास्ते इसकी सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं।
यह मकबरा भारत में बना पहला मकबरा है जो पूरी तरह सफेद संगमरमर से बनाया गया था। इसकी दीवारों पर पेड़ पौधों,जानवरों और पक्षियों के चित्र उकेरे गए हैं। कहीं कहीं आदमियों के चित्रों को भी देखा जा सकता है जो एक अनोखी चीज है क्योंकि इस्लाम में मनुष्य का सजावट की चीज के रूप में इस्तेमाल करने की मनाही है। अपनी खूबसूरती के कारण यह मकबरा आभूषण बक्से के रूप में जाना जाता है।
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