Wednesday, November 24, 2010

मिथुन राशि

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मिथुन राशि

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[संपादित करें] मिथुन(Gemini)

राशि चक्र की यह तीसरी राशि है,इस राशि का प्रतीक युवा दम्पति है,यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है,इसका विस्तार राशि चक्र के 60 अंश से 90 अंश के बीच है,मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह है.इस राशि के तेन द्रेष्काणों के स्वामी बुध-बुध,बुध-शुक्र,और बुध-शनि हैं.इस राशि मे मॄगसिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण,आद्रा नक्षत्र के चार चरण,और पुनर्वसु के तीन चरण आते हैं.

[संपादित करें] नक्षत्र चरण/फ़ल

  • मॄगसिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं.मंगल शक्ति और शुक्र माया है,जातक के अन्दर माया के प्रति बहुत ही बलवती भावना पायी जाती है,भदावरी ज्योतिष के अनुसार जातक अपने जीवन साथी के प्रति हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है परिणाम स्वरूप जीवन साथी में हमेशा माया के प्रति तकनीकी कारणों का प्रभाव रहता है,और किसी न किसी बात पर हमेशा घरेलू कारणों के लिये खटर पटर चलती रहती है.जीवन साथी से वियोग भी होता है,मगर अधिक दिनों के लिये नही.मंगल और शुक्र की युती के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है,जातक वाहनों के प्रति इंजीनियरिंग की अच्छी जानकारी रखता है.अधिक तर घरेलू साज सज्जा वाले लोग इसी श्रेणी के अन्दर पैदा होते हैं.
  • इस नक्षत्र के चौथे चरण के मालिक मंगल-मंगल होने की कारण जातक जवान का पक्का बन जाता है,अद्भुत शक्ति का मालिक मंगल अगर बानाने के लिये आ जाये तो सब कुछ बनाता चला जाता है,और बिगाडने के लिये शुरु हो जाये तो सब कुछ बिगाड कर फ़ेंक देता है.
  • आद्रा के प्रथम चरण के मालिक राहु-गुरु हैं,गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का चेला,दोनो मिलकर जातक में आसमानी ताकतों को विस्तारित करने में काफ़ी माहिर करते है,जातक का रुझान अंतरिक्ष में जाने और ब्रहमाण्ड के बारे मे पता करने की योग्यता जन्म जात पैदा होती है.सारी जिन्दगी तकनीकी शिक्षा के मिलने पर वह वायुयान और सेटेलाइट, के बारे में अपनी ज्ञान की सेमा को बढाता रहता है और किसी खराब ग्रह के दखल से वह शिक्षा के प्रति नही जाने पर पराशक्तियों के सहारे सूक्षम आत्मा के द्वारा आसमानीय सैर करता है.
  • इस नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक राहु-शनि हैं,राहु शनि के साथ मिलने से जातक के अन्दर शिक्षा और शक्ति उतपादित करने वाले कारकों के प्रति ले जाता है.जातक का कार्य शिक्षा स्थानों मे या बिजली,पेट्रोल,या वाहन वाले कामों की तरफ़ अपने को ले जाता है.राहु के सथ शनि के आने से जातक का स्वभाव अपने में ही अधिक्तर सीमित हो जाता है.
  • इस नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक भी राहु-शनि हैं और जो भी फ़ल मिलता है वह उपरोक्त कारकों के अनुसार ही मिलता है.फ़र्क केवल इतना मिलता है,कि जातक एक दायरे मे रह कर ही कार्य कर पाता है.
  • इस नक्षत्र के मालिक राहु-गुरु है,और इसके फ़ल भी आद्रा नक्षत्र के प्रथम चरण के अनुसार ही मिलते है,फ़र्क इतना होता है,कि जातक का पूरा जीवन कार्योपरान्त फ़ल दायक बनता है.
  • पुनर्वसु नक्षत्र के पहले चरण के मालिक गुरु-मंगल हैं,जातक के अन्दर एक मर्यादा जो धर्म में लीन करती है और जातक सामाजिक और धार्मिक कामों में अपने को रत रखता है.गुरु जो ज्ञान का मालिक है,उसे मंगल का साथ मिलने पर उच्च पदासीन करने के लिये और रक्षा आदि विभागो मे कार्य करने के लिये उद्धत करता है.
  • इस नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक गुरु-शुक्र होने से जातक के अन्दर अपने ही विचारों में अपने ही कारणों से उलझने का कारण पैदा होता है,वह अपने ज्ञान को भौतिक सुखों के प्रति खर्च करने की चाहत रखता है.वर्मान के अनुसार जातक ज्ञान और द्र्श्य को बखान करने के प्रति लालियत रहता है.
  • इस नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक गुरु-बुध होने से जातक अपने को बौद्धिकता की तरफ़ ले जाता है और वह अपने ज्ञान को बुद्धि के प्रभाव से बखान करने और प्रवचन करने के प्रति मानसिकता रखता है.
मिथुन राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है,जो जातक चन्द्रमा की निरयण समय में जन्म लेते हैं,वे मिथुन राशि के कहे जाते हैं,और जो जातक मिथुन लगन में पैदा होते हैं,वे भी उपरोक्त कारणों के प्रति जाते देखे जाते है.

[संपादित करें] लगन

मिथुन राशि में जन्म लेने के बाद जातक मे चंचलता रहती है.शरीर बलबान नही रह पाता है,आंखों का रंग भूरा या नीला होता है,शरीर का रंग सांवला या गोरा कैसा भी हो सकता है लेकिन बुढापे तक आकर्षण कभी समाप्त नही होता है.जातक दूसरों के घर की बातों को बहुत जल्दी से जान जाता है,और एक दूसरे की बात को स्वभाव के अनुसार प्रसारित करने की अच्छी योग्यता रखता है.जातक के अन्दर भाव होता है कि वह किसी को बसा सकता है तो बसे हुए को उजाड भी सकता है,लम्बा कद और गोल चेहरा हमेशा आकर्षित होता है.स्त्रियां अधिअक्तर पुरुषों मे और पुरुष हमेशा स्त्रियों में अपने को संलग्न रखते है.नाचना,बजाना,कामासुख की तरफ़ अपने लगातार लगाये रखना,हर काम और बात को मजाक के लहजे में ले जाना,दूत कर्म करने वाला,अपने मन से आगे आने वाली समस्या का समाधान बना कर जीवन को भविष्य की आफ़तों से बचा लेना ,अधिक कन्या संतान पैदा करने के बाद दूसरे परिवारों से अपने को जोडकर रिस्तेदारियों को बढाकर परिवारिक माहौल को अपने प्रति वफ़ादार बनाना,अपनी बातों और अपने कामों से पने जीवन साथी को नेस्तनाबूद कर देना,सरकार और ब्याज आदि से पैसा लेने के कारण जीवन में अपने को दूसरों के साथ व्यवहार बनाते रहना आदि कारक जीवन में मिलते हैं,मिथुन लगन वालो की आयु मध्यम होती है,उअन्की जीवन की पहली अवस्था दुखी,और अपने परिवार की अपेक्षा दूसरे परिवारोम के द्वारा सहायता मिलने से जीवन आगे बढता है,मध्यमवस्था में अपने निजी कार्यों के द्वारा अपने लिये साधन इकट्ठे करने में परेशान रहना,और आयु के अन्तिम अवस्था में पूर्ण रूप से सुखी होते ही चल बसना आधि देखे गये हैं.भाग्योदय 32 से 35 साल के मध्य होता है.

[संपादित करें] प्रकॄति और स्वभाव

सभी राशियों मे मिथुन राशि वालों को दुर्बोध माना जाता है.जैसा कि पहले बताया गया है कि इस राशि का निशान स्त्री और पुरुष का जोडा है,जब एक ही मष्तिस्क सब कुछ करने में इतना माहिर होता है,तो जहां पर दो मष्तिस्क एक साथ होंगे तो वे क्या कर सकते है.नकारात्मक और सकारात्मक का एक साथ प्रभाव दिमागी रूप से है और नही है,का रूप बन जाता है.और अक्स्मात किसी भी बात का चमत्कार करने की हैसियत इनके अन्दर होती है,मिथुन राशि चक्र की प्रथम वायु तत्व वाली राशि है,और इसका स्वामी देवता कुल का पक्षाधारी दूत बुध है,बुध एक ही पल में कहीं से कहीं पहुंच सकता है,यह शरीर मे मष्तिस्क का प्रतिधिनित्व करता है,बुध की धातु पारा है,और इसका स्वभाव जरा सी गर्मी सर्दी मे ऊपर नीचे होने वाला है,इस राशि के जातकों मे दूसरे की मन की बाते पढने,दूरद्रिष्टि,बहुमुखी प्रतिभा,होती है.उनसे अधिक जल्दी से,और अधिक चतुरायी से और अधिक सफ़लता से कार्य करने की क्षमता के कारण कोई दूसरा बराबरी नही कर सकता है.गति (Speed) से उनको प्रेम होता है.एक जगह रहना उनके लिये मौत के समान है,संवेदनशीलता और चंचलता उनका जीवन है.वे अपने और दूसरों के जीवन को अधिक सरस,और सुन्दर बनाने के लिये हमेशा प्रयास रत होते हैं.बौद्धिक संतोष उनकी प्रेरक शक्ति है,जब भी कोई समस्या आती है तो वे लागातार उसकी जडों तक जाने की कोशिश करते रहेंगे.वे अपने विचारों को प्रकट करने के लिये हमेशा अपने दोस्तों और साथियों की तलाश में रहते है.

[संपादित करें] आर्थिक गतिविधियां

मिथुन राशि के जातक अधिक धन कमाने के चक्कर में लाटरी,शट्टेबाजी,शेयर बाजार,और कम्पनी प्रोमोटर के क्षेत्र में अपने को ले जाते हैं,और जल्दी लाभ न मिलकर उनको हानि ही मिलती है,इसके अलावा इनके जीवन के अन्दर उतार चढाव अपनी कन्या संतान के प्रति और उनके खर्चों के प्रति भी मिलती है.उनको बुद्धि वाले कामों मे ही सफ़लता मिलती है,अपने आप पैदा होने बाली मति और वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूअनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं,हर कार्य में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग अन्वेषण में भी सफ़लता लेते रहते हैं,और पत्रकार,लेखक,मीडिया कर्मी,भाषाओं की जानकारी,योजनाकार,भी बन सकते हैं.इनको यात्रा प्रिय होने के कारण एजेंट की भूमिका भी निभा सकते हैं,अच्छे बोलने वाले,उपदेश देने वाले,व्याख्याता, और उच्चाधिकारी भी बन जाते है.

[संपादित करें] स्वास्थ्य/रोग

मिथुन राशि वालों का स्वास्थ्य कभी ठीक नही रहता है,लगातार दिमागी काम लेने से जैसे ही दिमाग में नकारात्मक प्रभाव का असर होता है फ़ौरन इनके पाचन तन्त्र पर प्रभाव पडता है,और सिर दर्द के साथ हाईपरटेन्सन जैसी बीमारियां इनके पास हमेशा मौजूद होती हैं,इनका मन ठीक है तो दुनिया इनके लिये ठीक होती है.मन के खराब होते ही इनका शरीर अस्वस्थ हो जाता है.जब इनका मन प्रसन्न हो तो ये लोग किसी भी बीमारी को भी चकमा दे सकते है.इन लोगों के लिये अगर कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह दे भी तो इनको मंजूर नही होती है,अधिक विज्ञापन वाली दवाइयों के प्रति इनका मन जाता रहता है.इनको अधिकतर जीभ के रोग,प्लूरिसी,निमोनिया,जैसे फ़ेफ़डों के रोग,सर्दी,जुकाम,ब्रोम्काइटिस,आईसीनोफ़ीलिया,और सांस वाले रोग इनको होने की संभावना रहती है

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