**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज
-भाग 2- कल से आगे:-
आपने देखा होगा कि फौज के मार्च पास्ट करने के समय 20- 20, 25-25 हजार सिपाही सिर्फ अपनी नजर को अफसर की ओर घुमा कर सैल्यूट( सलाम) करते हैं और आन की आन में बहुत खूबसूरती के साथ मार्च करते हुए सामने से गुजर जाते हैं। यह तमाम कार्रवाई डिसिप्लिन, तरीका और शऊर से काम करने के कारण संभव होती है।
यदि बाहर के लोगों में यह बात देखने में आती है तो कोई कारण नहीं कि सत्संगी, यदि उन्हें बढ़कर नहीं तो कम से कम उनके बराबर यह कार्रवाई न कर सकें।l
इसलिए आगे के लिए समय को बचाने और डिसिप्लिन कायम करने के लिए मेरी तजवीज यह है कि आप लोगों के सामने सिविक गार्ड्स सलाम करने का ढंग पेश करें और आप सब लोग आंखें खोलकर यह देखें कि यह किस तरह से आते और सलाम करते हैं।
यदि आप भी इससे लाभ उठाने और उनके ढंग का अनुकरण करें तो अत्यंत सौभाग्य! सामने आकर सर झुकाने या दृष्टि नीची रखने से कोई लाभ नहीं। यदि आपके मन के अंदर कोई अकड़ नहीं है और आप सिर झुकाने की कार्यवाही केवल नुमाइश और पुरानी रस्म की अदायगी के लिए करती हैं तो आपका यह ढंग गलत और अनुचित है।
क्रशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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