Tuesday, April 6, 2021

सतसंग सुबह RS 07/04

 **राधास्वामी!! 07-04-2021- आज सुबह सतसँग में पढे गये पाठ:-


                                                                               (1) अरे मन रँग जा सतगुरु प्रीत।

 होय मत और किसी का मीत।।

-(गायें राधास्वामी यह निज गीत।

 तजो सब छल बल ममता तीत।।)


(सारबचन-शब्द-7-पृ.सं.331,332-राजाबरारी ब्राँच-141 उपस्थिति।)  

                                              

  (2) गुरु प्यारे की बतियाँ सुनत रहूँ।।टेक।।

 सुन सुध बतियाँ हुई मतवाली। चरन पकड अस लिपट रहूँ।।-

(राधास्वामी मेहर करी अब न्यारी।

उनके चरन में सुरत भरूँ।।)

(प्रेमबानी-3-शब्द-18-पृ.सं.23)       

                

सतसँग के बाद:-                                            

 (1) राधास्वामी मूल नाम।।                              

  (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                

 (3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।                                           

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज-

भाग 1- कल से आगे:-

वह सतसँग को ही अपना माता-पिता समझेगी और इसके लिए हर एक के त्याग व आत्मोत्सर्ग व सेवाएँ करने के लिए तैयार रहेगी यदि ऐसे सौ लड़कों में से एक ने भी कोई ऐसा लाभदायक अविष्कार कर दिया या कोई ऐसी सुविधा पहुँचा दी जिससे सगंत व मनुष्य जाति को लाभ पहुँचा और सतसँग की आर्थिक दशा अच्छी हो गई, तो निस्संदेह लोग यह कहेंगे कि सत्संग के भीतर सुपरमैन की नस्ल पैदा होने शुरू हो गई है ।

जो तजवीज मैंने पेश की है उसे यदि किसी समय राधास्वामी दयाल ने मंजूरी के लिए माँगा तो पहले आप लोगों की फेहरिस्त पेश की जावेगी और आप लोगों को खास व उचित स्थान दिया जावेगा। अब आप इस विषय पर विचार करके बतालायें कि आप कौन सा ढंग अधिक पसंद करते हैं- आया आप तलवार खून से भरी हुई देखना चाहते हैं या आप कपड़ों के थान या दूसरी सांसारिक वस्तुओं को देखना चाहते हैं।

 आप याद रखिए कि गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने समय में सिक्खों को खांडे का पाहुल देकर उनको सिंहो में बदल दिया था जिससे सिक्ख जाति एक सैनिक जाति बन गई।

अब इस समय इंडस्ट्रीज का पाहुल देकर इंडस्ट्रियलिस्ट की जाति बनानी स्वीकार है। आप लोगों को चाहिए कि अपनी संतान के लिए अच्छे भोजन का प्रबंध करें और उनको खूब स्वस्थ और मजबूत बनावें जिससे जिस समय वह राधास्वामी दयाल के सामने सेवा के लिए उपस्थित हों वह उनको देख कर उन्हें चुन ले और आपकी सेवा स्वीकार कर लें। बचन फरमाते वक्त हुजूर ने जिस समय बहिनों से पूछा कि कौन-कौन अपनी सबसे योग्य संतान को सतसंग को भेंट करना चाहती है, तो औरतों ने भारी तादाद में हाथ उठाकर अपनी स्वीकृति प्रकट की। उसी समय फेहरिस्त तैयार कर दी गई उसमें 41 नाम लिख कर उसे बंद कर दिया क्योंकि लगभग सभी बहिनों ने अपने नाम लिखाने की इच्छा प्रकट की थी। क्रमशः                                                 

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

-[ भगवद् गीता के उपदेश]

 कल से आगे-

 हे ऋषिकेश! कुल संसार आप की महिमा गाकर जो खुशी मनाता है और मगन होता है सो उचित ही है। राक्षसों के दल मारे डर के चारों तरफ भाग रहे हैं और सिद्धो के गोल सिर झुका कर नमस्कार कर रहे हैं।

हे महात्मन्!  ये क्योंकर आपको नमस्कार न करें?  आप आदिकर्ता है। ब्राह्म भी आप की बराबरी नहीं कर सकता। आप अनन्त व अपार है,देवताओं के मालिक हैं, जगत की शरण है, अक्षर हैं , सत् और असत् और जो इन सब से परे यानी ऊँचे हैं वह आप हैं। आप आदिदेव है, पुराणपुरुष है, विष्णु यानी संसार के भंडार हैं, आलिम यानी जाननहारे और जानने योग्य हैं , परम धाम यानी सब से ऊँची गति है । आपके अनंत रूप के अंदर कुल संसार कायम है।

आप वायु और यम है, अग्नि व चंद्रमा हैं,  वरुण है, प्रजापति यानी जगत् के बाप और पडदादा है। आपको नमस्कार है, हजार बार नमस्कार है।आपको फिर नमस्कार है, बारंबार नमस्कार है । मैं आपको सामने से प्रणाम करता हूँ, पीछे से प्रणाम करता हूँ- हर तरफ से प्रणाम करता हूँ। हे प्रभु! आप का बल बेअंत है, आप की शक्ति बेअंत है, आपही सब में व्यापक है इसलिए सब कुछ आप ही हैं।

【40】                          

 क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 2-

कल से आगे:-( 5 )-

मालूम होवे कि मन और उसकी तरंग का ऐसा हाल है कि जब ख्याल करके अंतर में पहिले हिलोर होकर कोई तरंग काम, क्रोध, लोभ मोह अहंकार या दस इन्द्री के भोग की प्रकट हुई और इस शख्स ने उसको मदद देकर बढ़ाना शुरू किया और उसकी धार बढ़कर उस इन जीव के द्वार तक आ गई कि जिन जिन के विषय का भोग लेना मंजूर है, तो इस वक्त जो कोई अभ्यासी उस तरंग की धार को रोकना या उलटना चाहे तो, उसका उलटाना बहुत मुश्किल मालूम होवेगा ।

जो किसी तरह से उस वक्त वह भोग नहीं भोगा जा सकता है,तो यह तरंग की धार दूसरा रुप धर के बाहर निकलेगी, यानी अक्सर तो वह क्रोध रूप धर कर प्रगट होवेगी और अभ्यासी इसके रोकने में अपने आप को बेइख्तियार और बेताकत देखेगा।

 इस तरकीब से अलबत्ता यह तरंग की धार उलट सकती है और वह सच्चा खौफ और सच्चा रंज और सच्ची शर्म और हया है, यानी जब तेज खौफ गालिब होवे, या अपनी बेइज्जती का ख्याल दिल में पैदा हो जावे, या कोई सख्त मुसीबत या रंज का खटका मन में आ जावे तो उस वक्त कैसी ही जबर तरंग किसी किस्म की क्यों न होवे, फौरन इन्द्री द्वार से लौट कर मन की मन में समा जावेगी। क्रमशः                           🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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