Thursday, April 8, 2021

न्याय

  प्रेरक प्रसंग 🌹!! सच्चा न्याय !!*

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एक बार एक राजा शिकार खेलने गया | उसका तीर लगने से जंगलवासियों में से किसी का बच्चा मर गया | बच्चे की माँ विधवा थी और यह बच्चा उसका एकमात्र सहारा था | विधवा न्यायधीश के पास पहुंची | रोती-पीटती   विधवा न्यायधीश के पास पहुंची और उससे फरियाद की | जब न्यायधीश को पता चला कि बालक राजा के तीर से मरा है, तो उनकी समझ में नहीं आया कि वह इंसाफ कैसे करें | अगर उसने विधवा के हक में फैसला दिया तो राजा को सजा सुनानी होगी | यदि विधवा के साथ अन्याय किया, तो ईश्वर को क्या जवाब देगा |


काफी सोच विचार कर वह फरियाद सुनने को राजी हुआ | उसने विधवा को दूसरे दिन अदालत में बुलवाया |  विधवा की फरियाद सुनने के पश्चात राजा को भी अदालत में बुलवाना आवश्यक था | वह राजा के पास यह सूचना किसी दूत से भेज सकता था | उसने अपने एक सहायक को राजा के पास भेजा की वह अदालत में हाजिर हो |


सहायक किसी प्रकार हिम्मत करके न्यायधीश का संदेश राजा को सुनाने पहुंचा | वह हाथ जोड़कर राजा के समक्ष उपस्थित हुआ तथा न्यायधीश का संदेश सुनाया |


राजा ने कहा कि वह दूसरे दिन अदालत में अवश्य हाजिर होगा |


दूसरे दिन सुबह राजा न्यायधीश की अदालत में हाजिर हुआ | वह जाते समय कुछ सोचकर अपने वस्त्रों के नीचे तलवार छिपाकर ले गया |


न्यायधीश की अदालत भीड़ से खचा-खच भरी हुयी थी | इस फैसले को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आये थे |  राजा अदालत में आया तो प्रत्येक व्यक्ति उसके सम्मान में खड़ा हो गया |


लेकिन न्यायधीश अपने स्थान पर बैठा रहा | वह खड़ा नहीं हुआ | उसने विधवा को आवाज लगायी तो वह अंदर आयी | न्यायधीश ने उससे फरियाद करने को कहा |


विधवा ने सबके सामने अपने बेटे के मरने की कहानी कह सुनायी |


अब न्यायधीश ने राजा से कहा – “ महाराज! इस विधवा का बेटा आपके तीर से मारा गया है | आप पर उसको मारने का आरोप है | इस विधवा की यह हानि किसी भी स्थिति में पूरी नहीं हो सकती | मैं आदेश देता हूं कि किसी भी हालत में इसका नुकसान पूरा करें |


राजा ने उस विधवा से क्षमा मांगी और कहा – “ मैं तुम्हारे इस नुकसान को पूरा नहीं कर सकता; किंतु इसकी भरपाई के लिए मैं पूरी उम्र तुम्हारा सारा खर्च उठाने तथा तुम्हारी सेवा करने का वचन देता हूं | जिसे तुम्हारी जिंदगी सुख-चैन से कट सके |”


विधवा राजी हो गयी |  न्यायधीश अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ तथा उसने अपनी जगह राजा के लिए खाली कर दी |


राजा बोला – “ न्यायधीश जी! अगर आप ने फैसला करने में मेरा सम्मान नहीं किया होता तो मैं तलवार से आपकी गर्दन काट देता | कहकर उसने अपने वस्त्रों में छिपी तलवार बाहर निकालकर सब को दिखाई |”


न्यायाधीश सिर झुकाकर बोला – “ महाराज! अगर आप ने मेरा आदेश मानने में जरा भी टाल-मटोल की होती तो मैं हंटर से आप की खाल उधड़वा देता |”


इतना कहकर उसने भी अपने वस्त्रों के अंदर से एक चमड़े का हंटर निकालकर सामने रख दिया |


राजा न्यायधीश की बात से बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया |


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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