**राधास्वामी!! 10-04-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) मेहर होय कोइ प्रेमी जाने ऐसा गुरु हमारा।।टेक।।
रुप रंग रेखा नहिं ताके राधास्वामी!!
10-04-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:
- (1) मेहर होय कोइ प्रेमी जाने ऐसा गुरु हमारा।।टेक।। रुप रंग रेखा नहिं ताके नहिं गोरा नहिं कारा।।-
(जा पर मेहर करी राधास्वामी (घट) अंतर रुप निहारा।।)
(प्रेमबिलास-शब्द-97, पृ.सं. 137-डेढगाँव ब्राँच- 88-उपस्थिति।)
(2) आग लगी संसार में। सब कोई तपन सहे।।
जो माने गुरु बचन को। ऊँचे देस चढे।।
-(राधास्वामी सरन लो। गावो राधास्वामी नाम।।
सुरत शब्द अभ्यास कर। चढ पहुँचो निज धाम।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-19-पृ.सं.155,156,157)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।। (
2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
(प्रे.भा. मेलारामजी फ्राँस) 🙏🏻
🙏राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 10-04-2021-
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे:- ( 203)-
प्रश्न-पर सारबचन पुस्तक में तो लिखा है:-
संत पुकारे भेद, वेद पशु माने नहीं।
अब क्या करें उपाय,जीव पडे सब भरम में।
लोक वेद में जो पड़े, नाग पाँच डस खायँ।
जन्म जन्म दुःख में रहे, रोवें अरु चिल्लायँ।।
षट शास्त्र और चारों वेदा, यह सन्तन ने किये निषेधा।। बानी अपनी जुदी बनाई, मूरख उनसे विधि मिलाई ।। उत्तर- इस प्रश्न का बहुत कुछ उत्तर तो ऊपर आ चुका है। इन कडियों में यही तो आदेश हुआ है कि संत दया करके सत्यदेश का भेद वर्णन करते हैं पर 'वेद पशु' उनका बचन नहीं मानते। अब क्या उपाय किया जाय?
सब जीव भ्रम में पड़े हुए हैं । जो व्यक्ति लोकाचार और वेद में अटकेगा( अर्थात तीन गुणों की हद में रहेगा ) उसे पाँच नाग अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मोह ,अहंकार, अवश्य डसेंगे और उनके विष के प्रभाव से वह संसार की वासनाओं से लिथड कर बार-बार जन्म ग्रहण करेगा और दुःख और क्लेश सहेरगा और चिल्लाएगा।
संतों में इसी कारण वेदों और शास्त्रों का निषेध किया और मनुष्यों की भूल भरम मिटाने और उन्हें कल्याण का मार्ग बतलाने के लिए अपनी अलग बानी रची। किंतु मूर्ख लोग उनकी बानी णी वर्णन के हुए उपदेश को स्वीकार करने के बदले उसका शास्त्रों से मिलान करते हैं और मिलान न होने पर शंकाएं उठाते हैंं।
🙏🏻राधास्वामी🙏
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