**राधास्वामी!! 14-04-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) सुन री सखी मेरे प्यारे राधास्वामी।
मोहि प्यार से गोद बिठाय रहे री।।-
(परम गुरु समरथ राधास्वामी।
सब पर मेहर कराय रहै री।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-4-पृ.सं.32,33)
(- मिर्जापुर ब्राँच-अधिक्तम उपस्थिति-102)
(2) मेरा भीज रहा मन प्रेम रंग।
अब चाहत निस दिनसंत संग।।
-(गचरु का बल हिरदे धर उतंग।
अब काल करम सँग करती जंग।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-22-पृ.सं.159)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।l
(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस!)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!! 14-04- 2021
- आज शाम सत्संग में पढा गया बचन
- कल से आगे :-(205)-
जब यह मान लिया जाता है कि वेदों और शास्त्रों में ऐसी बातें भरी है जिनका संबंध तीन गुणो से है और तीन गुणों की हद में रहने वालों को देर-अबेर जन्म मरण के क्लेश अवश्य सहने पड़ते हैं फिर शिकायत किस बात की?
और यदि संतों ने अपनी वाणी में सत्यदेश का भेद बतला कर मनुष्यों को तीन गुणों की हद से परे पहुँचने और शास्त्रों की त्रिगुणात्मक क्रियाओं से बचने के लिए कहा तो फिर उलाहना किस बात का?
आप प्रेमपूर्वक वेद पढ़े, षट-शास्त्र और दूसरे ग्रन्थों का अध्ययन करें, उनसे शिक्षा लें, किंतु कृपया उनकी तीन गुनों की बातों के अंदर रखने वाली बातों से सावधान रहें और जीवन का लक्ष्य उनकी हद के पार पहुँचना ही दृढ करें, अन्यथा एक दिन सिर धुनना पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त स्मरण रक्खें कि यद्यपि वेद और अन्य धार्मिक पुस्तकों का पढ़ना एक हद तक लाभदायक है परंतु कुलमालिक का दर्शन या संसार के बन्धनों से छूटना केवल धर्मग्रंथों के पढ़ने और सुनने से नहीं हो सकता
।क्रमशः
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश भाग- दूसरा
गुरु साहब जी महाराज!**🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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