देवो के देव महादेव भगवान शिव को गुरु बनाने की विधि:-
प्रस्तुति - -- रेणु दत्ता / आशा सिन्हा
शिव गुरु को साक्षी मानकर किये गये, कोई भी कार्य मे कभी रुकावटें नही आतीं, भगवान शिव गुरुओं के भी गुरु हैं और जब गुरू शिव हों, तो इष्ट कोई भी हो अभीष्ट की प्राप्ति हो ही जाती है, उनको गुरु बनाने की विधि नीचे है, उसे अपनायें और अनंत सुखों की राह पर चल पड़ें।
1. सबसे पहले मन को शांत करके ध्यान की मुद्रा मे आंखें बंद करके बैठ जायें, इसके बाद भगवान शिव से कहें-
“हे शिव मै ‘अमुक नाम’ गोत्र ‘अमुक गोत्र’ आप को अपना गुरु बनाने का आग्रह कर रहा हूँ, आप मुझे शिष्य के रूप में स्वीकार करें”
2. फिर दोनों ऊपर हाथ उठाकर ब्रह्मांड की तरफ देखते हुए 3 बार घोषणा करें-
“मै ‘अमुक नाम’ गोत्र ‘अमुक गोत्र’ अखिल अन्तरिक्ष सम्राज्य में घोषणा करता हूं कि, शिव मेरे गुरु हैं,
मै उनका शिष्य हूं, शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं, शिव मेरे गुरु हैं, मै उनका शिष्य हूं, मैं गुरु दक्षिणा के रूप में आपको राम नाम सुनाऊंगा, तथास्तु घोषणा दर्ज हो” !
इससे भगवान शिव अपनी ही तय शास्त्रीय व्यवस्था के मुताबिक आग्रह करने वाले को शिष्य के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।
3. शिव गुरु को साक्षी मानकर शुरु किये गए कार्यों में रुकावटें नही आती हैं, इसलिये जो भी काम करें, उसके लिये भगवान शिव को पहले साक्षी बना लें और कहें------
“हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मै आपका शिष्य हूं , आपको साक्षी बनाकर ये कार्य करने जा रहा हूं, इसकी सफलता के लिये मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें”
4. फिर शिव गुरु से कम से कम तीन बार रोज कहें-
” हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया करें, हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मै आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया करें, हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मै आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया करें.”!
5. फिर हर रोज शिव गुरु को नमन करें, इसके लिये शांत मन से कुछ मिनटों तक ” ॐ नमः शिवाय गुरवे, सच्चिदानन्द मूर्तये, निष्प्रपञ्चाय शान्ताय, निरालम्बाय तेजसे “ का जाप करें !
6. इसके बाद गुरु दक्षिणा के रूप मे “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की कम से कम एक माला का जाप प्रतिदिन करने का संकल्प लेकर शिव गुरु को अर्पित करें।
इस प्रकार आप भगवान शिव को गुरु बना सकते हैं, किन्तु हमेशा ये स्मरण रहे कि, आप भगवान शिव के शिष्य बन जाएंगे, इसलिए हमेशा सच्चाई, ईमानदारी, चल,कपट से दूर और सत्य कि, राह पर चलते हुये सदकर्म करना और हमेशा जनसेवा एवं समाजसेवा के कार्य करना होंगे, यदि आप, ऐसा नहीं करते हैं तो, भगवान शिव आपको अपने शिष्य के रूप में अस्वीकार कर देंगे।
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